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यूपी में फ्लोटिंग वाटर इनटेक से पूरा होगा जल जीवन मिशन का लक्ष्य, 205 गावों के 1.43 लाख ग्रामीणों को मिलेगा पीने का पानी - DHANDHRAUL RESERVOIR OF SONBHADRA

सोनभद्र में धंधरौल जलाशय में बनाया गया तैरता वाटर इनटेक, घर-घर पेयजल पहुंचाया जाएगा

Photo Credit- ETV Bharat
इस तरह का नजारा लोगों के लिए सबसे अलग होगा. (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 13, 2024, 9:02 PM IST

सोनभद्र: धंधरौल जलाशय पर तैरता इंटेक वेल नई तकनीक से बनाया गया है. इस वाटर इनटेक से जुड़े पाइप, फ्लोटर की मदद से बांध में तैरते हुए रॉ-वाटर को डब्ल्यूटीपी तक पहुंचाएंगे. इससे 7 पानी टंकियों से 205 गांव के 23,779 ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा.

नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि सोनभद्र के लोग नदी के पेयजल पर ही आश्रित थे, लेकिन जल जीवन मिशन की योजना से नदियों और बांधों पर इंटेक बनाकर घर-घर पेयजल पहुंचाया जाएगा. सोन नदी के किनारे बसे सोनभद्र जिले में जल जीवन मिशन की सबसे अनोखी योजना बनकर तैयार है. इंटेक से जुड़े पाइपलाइन फ्लोटर पर बांध पर तैरते हुए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाते हुए नजर आएंगे. इस तरह का नजारा लोगों के लिए सबसे अलग होगा.

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जल जीवन मिशन की योजना से नदियों और बांधों पर इंटेक बनाकर घर-घर पेयजल पहुंचाया जाएगा. (Photo Credit- ETV Bharat)

यह इंटेक 205 गांव के 23,779 ग्रामीण परिवारों को नल से स्वच्छ पेयजल की सप्लाई करेगा. 1 लाख 30 हजार से अधिक ग्रामीण इस योजना से लाभान्वित होंगे. सात टंकियों से पेयजल पहुंचाने की योजना है. जल जीवन मिशन योजना यूपी के सोनभद्र जिले के लिए वरदान साबित हो रही है. यहां कभी पीने के पानी की समस्या बड़ी विकट थी, लेकिन जब से जल जीवन मिशन की हर घर जल योजना का काम शुरू हुआ, स्थितियां बदलने लगीं हैं. अब गांव-गांव में स्वच्छ पेयजल पहुंच रहा है. बीमारियां भी घटी हैं और ग्रामीणों का स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है.

पेयजल की समस्या को दूर करने लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित जल जीवन मिशन "हर घर जल" कार्यक्रम के तहत जनपद में सतही श्रोत जैसे जलाशयों और नदियों पर आधारीत 12 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाओं का निर्माण कराया जा रहा है. योजनाओं में जल आहरण के लिए सोन नदी, रेणु नदी, धंघरौल बांध, नगवां बांध एवं रिहन्द बांध के किनारे पर पारंपरिक इण्टेक वेल का निर्माण किया जाना है. रिहन्द बांध और धंघरौल बांध एवं नगवां बांध का धरातल पथरीला होने के कारण पारंपरिक इण्टेकवेल के निर्माण में अत्यधिक समय एवं खर्च लगना था.

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इंटेक से जुड़े पाइपलाइन फ्लोटर पर बांध पर तैरते हुए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाते हुए नजर आएंगे. (Photo Credit- ETV Bharat)

साथ ही अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में भी कठिनाई हो रही थी. इसके समाधान के लिये वारी पोन्टून कंपनी पुणे से फ्लोटिंग इण्टेकवेल हेतु अनुबंध किया गया और इसके लाभ को देखते हुए नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने इस नई विधि से सोनभद्र में पेयजल की चुनौतियों से निपटने का निर्णय लिया और फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम का कार्य प्रारंभ किया गया. नई तकनीक फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम की खूबियों के चलते किया जा रहा प्रयोग जनपद-सोनभद्र का क्षेत्र पहाड़ी है. एप्रोच रोड और डैम बनाने के लिए मिट्टी उपलब्ध होना भी कठिन होता है.

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बांध का धरातल पथरीला है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकी का उपयोग किया गया, जिसे फ्लोटिंग इण्टेक कहा जाता है. फ्लोटिंग इण्टेक यूनिट का निर्माण पम्प स्टेशन को पानी की सतह पर रखकर और उस तक जाने वाली पाइप लाइन को फ्लोटिंग ब्रिज या वे लाइन से जोड़कर किया जाता है. यह संरचना जल कि सतह पर तैरती रहती है, जिस कारण इसे आसानी से अत्यधिक जल की उपलब्धता वाले स्थान पर स्थानान्तरीत किया जा सकता है. जिन स्थानों पर वॉटर बेसिन के अन्दर पत्थर या चट्टाने पायी जाती है, वहां पारम्परिक इण्टेकवेल का निर्माण किया जाना अत्यधिक कठिन होता है.

ऐसे स्थानों के लिए फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम एक मात्र आसान विकल्प है. इस संरचना के निर्माण एवं रख रखाव की लागत पारम्परिक इण्टेकवेल से कम है. इस संरचना द्वारा सतही जल निरन्तर प्राप्त किया जा सकता है. वाटर बेसिन में जल की मात्रा अत्यधिक होने या कम होने पर भी आहरित जल की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नही पड़ता है. फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम में लगने वाली पाईप लाईन को फ्लोटिंग ब्रिज या वे लाइन से जोड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है.

इसमें किसी प्रकार के चैम्बर एवं ट्रैन्च खुदाई की आवश्यकता नहीं होती है. सहायक अभियंता अरुण सिंह ने बताया कि फ्लोटिंग इनटेक वेल योजना सोनभद्र के लिए बहुत ही प्रभावी है, क्योंकि यहां जलाशयों की सतह चट्टानी है. इससे जल जीवन मिशन को सोनभद्र में प्रभावी तौर पर लागू किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें- भाजपा विधायक योगेश वर्मा को थप्पड़ मारने वाले वकील का करणी सेना ने किया सम्मान, लगाए नारे-'देखो देखो कौन आया, शेर आया-शेर आया'

सोनभद्र: धंधरौल जलाशय पर तैरता इंटेक वेल नई तकनीक से बनाया गया है. इस वाटर इनटेक से जुड़े पाइप, फ्लोटर की मदद से बांध में तैरते हुए रॉ-वाटर को डब्ल्यूटीपी तक पहुंचाएंगे. इससे 7 पानी टंकियों से 205 गांव के 23,779 ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा.

नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि सोनभद्र के लोग नदी के पेयजल पर ही आश्रित थे, लेकिन जल जीवन मिशन की योजना से नदियों और बांधों पर इंटेक बनाकर घर-घर पेयजल पहुंचाया जाएगा. सोन नदी के किनारे बसे सोनभद्र जिले में जल जीवन मिशन की सबसे अनोखी योजना बनकर तैयार है. इंटेक से जुड़े पाइपलाइन फ्लोटर पर बांध पर तैरते हुए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाते हुए नजर आएंगे. इस तरह का नजारा लोगों के लिए सबसे अलग होगा.

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जल जीवन मिशन की योजना से नदियों और बांधों पर इंटेक बनाकर घर-घर पेयजल पहुंचाया जाएगा. (Photo Credit- ETV Bharat)

यह इंटेक 205 गांव के 23,779 ग्रामीण परिवारों को नल से स्वच्छ पेयजल की सप्लाई करेगा. 1 लाख 30 हजार से अधिक ग्रामीण इस योजना से लाभान्वित होंगे. सात टंकियों से पेयजल पहुंचाने की योजना है. जल जीवन मिशन योजना यूपी के सोनभद्र जिले के लिए वरदान साबित हो रही है. यहां कभी पीने के पानी की समस्या बड़ी विकट थी, लेकिन जब से जल जीवन मिशन की हर घर जल योजना का काम शुरू हुआ, स्थितियां बदलने लगीं हैं. अब गांव-गांव में स्वच्छ पेयजल पहुंच रहा है. बीमारियां भी घटी हैं और ग्रामीणों का स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है.

पेयजल की समस्या को दूर करने लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित जल जीवन मिशन "हर घर जल" कार्यक्रम के तहत जनपद में सतही श्रोत जैसे जलाशयों और नदियों पर आधारीत 12 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाओं का निर्माण कराया जा रहा है. योजनाओं में जल आहरण के लिए सोन नदी, रेणु नदी, धंघरौल बांध, नगवां बांध एवं रिहन्द बांध के किनारे पर पारंपरिक इण्टेक वेल का निर्माण किया जाना है. रिहन्द बांध और धंघरौल बांध एवं नगवां बांध का धरातल पथरीला होने के कारण पारंपरिक इण्टेकवेल के निर्माण में अत्यधिक समय एवं खर्च लगना था.

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इंटेक से जुड़े पाइपलाइन फ्लोटर पर बांध पर तैरते हुए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाते हुए नजर आएंगे. (Photo Credit- ETV Bharat)

साथ ही अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में भी कठिनाई हो रही थी. इसके समाधान के लिये वारी पोन्टून कंपनी पुणे से फ्लोटिंग इण्टेकवेल हेतु अनुबंध किया गया और इसके लाभ को देखते हुए नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने इस नई विधि से सोनभद्र में पेयजल की चुनौतियों से निपटने का निर्णय लिया और फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम का कार्य प्रारंभ किया गया. नई तकनीक फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम की खूबियों के चलते किया जा रहा प्रयोग जनपद-सोनभद्र का क्षेत्र पहाड़ी है. एप्रोच रोड और डैम बनाने के लिए मिट्टी उपलब्ध होना भी कठिन होता है.

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बांध का धरातल पथरीला है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकी का उपयोग किया गया, जिसे फ्लोटिंग इण्टेक कहा जाता है. फ्लोटिंग इण्टेक यूनिट का निर्माण पम्प स्टेशन को पानी की सतह पर रखकर और उस तक जाने वाली पाइप लाइन को फ्लोटिंग ब्रिज या वे लाइन से जोड़कर किया जाता है. यह संरचना जल कि सतह पर तैरती रहती है, जिस कारण इसे आसानी से अत्यधिक जल की उपलब्धता वाले स्थान पर स्थानान्तरीत किया जा सकता है. जिन स्थानों पर वॉटर बेसिन के अन्दर पत्थर या चट्टाने पायी जाती है, वहां पारम्परिक इण्टेकवेल का निर्माण किया जाना अत्यधिक कठिन होता है.

ऐसे स्थानों के लिए फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम एक मात्र आसान विकल्प है. इस संरचना के निर्माण एवं रख रखाव की लागत पारम्परिक इण्टेकवेल से कम है. इस संरचना द्वारा सतही जल निरन्तर प्राप्त किया जा सकता है. वाटर बेसिन में जल की मात्रा अत्यधिक होने या कम होने पर भी आहरित जल की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नही पड़ता है. फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम में लगने वाली पाईप लाईन को फ्लोटिंग ब्रिज या वे लाइन से जोड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है.

इसमें किसी प्रकार के चैम्बर एवं ट्रैन्च खुदाई की आवश्यकता नहीं होती है. सहायक अभियंता अरुण सिंह ने बताया कि फ्लोटिंग इनटेक वेल योजना सोनभद्र के लिए बहुत ही प्रभावी है, क्योंकि यहां जलाशयों की सतह चट्टानी है. इससे जल जीवन मिशन को सोनभद्र में प्रभावी तौर पर लागू किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें- भाजपा विधायक योगेश वर्मा को थप्पड़ मारने वाले वकील का करणी सेना ने किया सम्मान, लगाए नारे-'देखो देखो कौन आया, शेर आया-शेर आया'

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