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जैसलमेर के युवाओं का नवाचार, बरसाने में होली खेलने जाएंगे 'रसिया', महिलाएं-बच्चे भी होंगे शामिल

जैसलमेर में होली का अपना अलग ही महत्व है. होलाष्टक लगते ही जैसलमेर के नगर आराध्य लक्ष्मीनाथजी मंदिर में फाग का गायन शुरू हो जाता है. वहीं, दूसरी तरफ जैसलमेर के होली रसिया नाथद्वारा व बरसाने जाकर भी वहां की गलियों व भगवान के सम्मुख बैठकर होली के फाग गाते हैं.

Holi Rasiyas Will Play Holi
बरसाने में होली खेलने जाएंगे होली के रसिया
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 7, 2024, 11:29 AM IST

बरसाने में होली खेलने जाएंगे होली के रसिया

जैसलमेर. एक कहावत बहुत ही प्रचलित है कि होली या तो बरसाने की या जैसाणे की. इस पुरानी कहावत को आज के इस आधुनिक युग के युवा भी साकार करने में जुटे हुए हैं. जैसलमेर में होली का अपना अलग ही महत्व है. होलाष्टक लगते ही जैसलमेर के नगर आराध्य लक्ष्मीनाथजी मंदिर में फाग का गायन शुरू हो जाता है, जो होली तक चलता है. लेकिन युवाओं ने फाग गायन में एक कदम और बढ़ाते हुए इसे जैसलमेर से बाहर ले गए. जैसलमेर की होली अपने आप में बहुत प्रख्यात है. यहां की फाग गायन की परंपरा का निर्वहन सालों से हो रहा है.

मान्यता है कि होली की शुरूआत नगर आराध्य लक्ष्मीनाथजी के साथ की जाती है. इस दौरान रोजाना दोपहर में मंदिर में रसिए पहुंच कर फाग का गायन करते हैं. इसके बाद मंदिर अबीर व गुलाल से सराबोर हो जाता है. इसके बाद एकादशी पर जैसलमेर रियासत के महारावल भी फाग खेलने पहुंचते हैं.

जैसलमेर के युवाओं का दल पिछले तीन साल से फाग गायन कर रहा है. 2019 व 2020 में यह दल नाथद्वारा गया था. इसमें करीब 40-50 युवक थे. फाग गायकों की ओर से जैसलमेरी फाग का गायन किया जाता है. इसके बाद युवाओं की ओर से इसे बढ़ाते हुए जतीपुरा स्थित गिरीराजजी व बरसाणा में जाकर फाग गायन करना शुरू कर दिया. पहली बार फलोदी के भगवती वैष्णव सखी महाराज की प्रेरणा से युवा नाथद्वारा गए थे. इसके बाद से यह सिलसिला शुरू हो गया है.

इसे भी पढ़ें- मेवाड़ में फाग उत्सव की धूम, भगवान जगदीश के साथ भक्तों ने खेली होली

14 को जतीपुरा व गिरीराजजी में करेंगे फाग गायन : गिरीराजजी व बरसाणा में फाग के रसिए 13 मार्च को शाम करीब 5 बजे बसों से बाड़मेर के लिए रवाना होंगे. इसके बाद वहां से ट्रेन में रिजर्वेशन है. 14 मार्च को सबसे पहले जतीपुरा व गोवर्धन स्थित गिरीराज के मुखारविंद में फाग गायन किया जाएगा. इसके बाद 15 मार्च को बरसाणा, 16 मार्च को सुरभि कुंड में पंचामृत अभिषेक के बाद गोवर्धन परिक्रमा करते हुए बरसाणा और 17 को जयपुर होते हुए जैसलमेर पहुंचेंगे. गिरीराजजी जाने वालों की ओर से सभी के लिए ड्रेस कोड भी अनिवार्य किया गया है, जिसमें पुरुष गुलाबी फागणिया साफे के साथ सफेद पोशाक में रहेंगे, जबकि महिलाएं गुलाबी फाल्गुन की साड़ी में फाग गाएगी.

जैसलमेर से जा रहे फागियों के दल के रसिया व फाग गायक राकेश व्यास ने बताया कि पूर्व में यह परंपरा शुरू होने के बाद दो बार जैसलमेर से होली के रसियों का दल नाथद्वारा व उसके बाद गिरिराज जी फाग गाने के लिए जा चुका है. जहां भगवान श्रीनाथ के सम्मुख बैठकर सभी ने जैसलमेर की होली के परम्परागत गीत व फाग गाये और भगवान श्रीनाथ जी के साथ होली खेली थी. वहीं, इस बार भी जैसलमेर से होली के रसियों का दल जा रहा है, लेकिन इस बार गिरिराज जी के साथ साथ बरसाना भी जाएंगे.

इसे भी पढ़ें- रंग तेरस के जश्न में डूबा चित्तौड़गढ़, देखें VIDEO

गैर निकालकर गाएंगे फाग : उन्होंने बताया कि जैसलमेर के होली के रसिया इस दौरान बरसाना की गलियों में भी घूमकर जैसलमेर की परंपरागत गैर निकालकर जैसलमेर की परंपरागत होली की फाग गाएंगे. साथ ही वहां भी होली खेलेंगे. उन्होंने बताया कि अष्टमी के दिन जैसलमेर के नगर आराध्य भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद होली के रसियों का दल जैसलमेर से रवाना होगा. इसको लेकर तैयारियां लगातार चल रही है. वहीं, इसको लेकर होली फाग के टेरिया शिव कुमार ने बताया कि हमने अपनी मौज मस्ती को हमने भगवान को समर्पित कर दिया है, ताकि आने वाली पीढ़ी हमारी इस परंपरा को देख व जान सके. साथ ही वह स्वयं भी हमारे होली मनाने की परंपरा व होली का कल्चर के साथ ही होली के फाग व अन्य गीत को सीख सकें.

बरसाने में होली खेलने जाएंगे होली के रसिया

जैसलमेर. एक कहावत बहुत ही प्रचलित है कि होली या तो बरसाने की या जैसाणे की. इस पुरानी कहावत को आज के इस आधुनिक युग के युवा भी साकार करने में जुटे हुए हैं. जैसलमेर में होली का अपना अलग ही महत्व है. होलाष्टक लगते ही जैसलमेर के नगर आराध्य लक्ष्मीनाथजी मंदिर में फाग का गायन शुरू हो जाता है, जो होली तक चलता है. लेकिन युवाओं ने फाग गायन में एक कदम और बढ़ाते हुए इसे जैसलमेर से बाहर ले गए. जैसलमेर की होली अपने आप में बहुत प्रख्यात है. यहां की फाग गायन की परंपरा का निर्वहन सालों से हो रहा है.

मान्यता है कि होली की शुरूआत नगर आराध्य लक्ष्मीनाथजी के साथ की जाती है. इस दौरान रोजाना दोपहर में मंदिर में रसिए पहुंच कर फाग का गायन करते हैं. इसके बाद मंदिर अबीर व गुलाल से सराबोर हो जाता है. इसके बाद एकादशी पर जैसलमेर रियासत के महारावल भी फाग खेलने पहुंचते हैं.

जैसलमेर के युवाओं का दल पिछले तीन साल से फाग गायन कर रहा है. 2019 व 2020 में यह दल नाथद्वारा गया था. इसमें करीब 40-50 युवक थे. फाग गायकों की ओर से जैसलमेरी फाग का गायन किया जाता है. इसके बाद युवाओं की ओर से इसे बढ़ाते हुए जतीपुरा स्थित गिरीराजजी व बरसाणा में जाकर फाग गायन करना शुरू कर दिया. पहली बार फलोदी के भगवती वैष्णव सखी महाराज की प्रेरणा से युवा नाथद्वारा गए थे. इसके बाद से यह सिलसिला शुरू हो गया है.

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14 को जतीपुरा व गिरीराजजी में करेंगे फाग गायन : गिरीराजजी व बरसाणा में फाग के रसिए 13 मार्च को शाम करीब 5 बजे बसों से बाड़मेर के लिए रवाना होंगे. इसके बाद वहां से ट्रेन में रिजर्वेशन है. 14 मार्च को सबसे पहले जतीपुरा व गोवर्धन स्थित गिरीराज के मुखारविंद में फाग गायन किया जाएगा. इसके बाद 15 मार्च को बरसाणा, 16 मार्च को सुरभि कुंड में पंचामृत अभिषेक के बाद गोवर्धन परिक्रमा करते हुए बरसाणा और 17 को जयपुर होते हुए जैसलमेर पहुंचेंगे. गिरीराजजी जाने वालों की ओर से सभी के लिए ड्रेस कोड भी अनिवार्य किया गया है, जिसमें पुरुष गुलाबी फागणिया साफे के साथ सफेद पोशाक में रहेंगे, जबकि महिलाएं गुलाबी फाल्गुन की साड़ी में फाग गाएगी.

जैसलमेर से जा रहे फागियों के दल के रसिया व फाग गायक राकेश व्यास ने बताया कि पूर्व में यह परंपरा शुरू होने के बाद दो बार जैसलमेर से होली के रसियों का दल नाथद्वारा व उसके बाद गिरिराज जी फाग गाने के लिए जा चुका है. जहां भगवान श्रीनाथ के सम्मुख बैठकर सभी ने जैसलमेर की होली के परम्परागत गीत व फाग गाये और भगवान श्रीनाथ जी के साथ होली खेली थी. वहीं, इस बार भी जैसलमेर से होली के रसियों का दल जा रहा है, लेकिन इस बार गिरिराज जी के साथ साथ बरसाना भी जाएंगे.

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गैर निकालकर गाएंगे फाग : उन्होंने बताया कि जैसलमेर के होली के रसिया इस दौरान बरसाना की गलियों में भी घूमकर जैसलमेर की परंपरागत गैर निकालकर जैसलमेर की परंपरागत होली की फाग गाएंगे. साथ ही वहां भी होली खेलेंगे. उन्होंने बताया कि अष्टमी के दिन जैसलमेर के नगर आराध्य भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद होली के रसियों का दल जैसलमेर से रवाना होगा. इसको लेकर तैयारियां लगातार चल रही है. वहीं, इसको लेकर होली फाग के टेरिया शिव कुमार ने बताया कि हमने अपनी मौज मस्ती को हमने भगवान को समर्पित कर दिया है, ताकि आने वाली पीढ़ी हमारी इस परंपरा को देख व जान सके. साथ ही वह स्वयं भी हमारे होली मनाने की परंपरा व होली का कल्चर के साथ ही होली के फाग व अन्य गीत को सीख सकें.

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