शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट पेश कर दिया है. इस बार 58,444 करोड़ का बजट पेश किया गया है. जिसमें विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग घोषणाएं की हैं. वहीं, पूरे बजट पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रतिक्रिया दी है. जयराम ठाकुर ने कहा कि ''पिछले साल के बजट में की गई घोषणाओं को सरकार पूरा नहीं कर पाई. जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार ने लोगों को गुमराह किया है.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि ''मुख्यमंत्री सुक्खू लोकसभा चुनाव से पहले लोगों से झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बजट में किसी भी वर्ग के लिए कोई राहत नहीं मिली है. OPS की बात कहते कहते वो खुद इसमें उलझ कर रह गए. OPS में भी कर्मचारियों को आने वाले समय में परेशानी होगी. वहीं, उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार पूरा साल कर्ज को लेकर पूर्व सरकार को कोसती रही, लेकिन खुद कर्ज लेने में रिकॉर्ड तोड़ दिया. जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार ने 14 महीने में 14 हजार करोड़ रुपये का कर्ज केंद्र से लिया है. जो उन्होंने बजट स्पीच में स्वीकार भी किया''.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि ''कांग्रेस सरकार ने एमएसपी दूध के लिए सुनिश्चित कर दी और इन्होंने वादा तो ये किया था कि भैंस का दूध 100 रुपये लीटर और गाय का दूध 80 रुपये लीटर, लेकिन जो पिछली घोषणा की है. उसके हिसाब से दूध की कीमतें अभी तक मिल नहीं रही हैं. जयराम ठाकुर ने कहा कि इस बात के बारे में कोई जिक्र नहीं किया कि रेवेन्यू जेनरेट करने के रास्ते क्या होंगे?. अभी तक आपदा प्रभावितों को घर तक नहीं मिल पाया है''.
जयराम ठाकुर ने कहा कि ''कांग्रेस सरकार से जनता का भरोसा टूट चुका है और अब यह भरोसा सरकार फिर से हासिल नहीं कर पाएगी. सरकार पूरी तरह से नाकाम हो गई है. आपदा राहत के नाम पर भी झूठ बोल रही है. सरकार से हर वर्ग नाराज है, निराश है. इस बजट को मैं सिरे से खारिज करता हूं''.
हिमाचल का बजट मजदूरों कर्मचारियों की आकांक्षाओं के खिलाफ है- सीटू
इसके साथ ही सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा का कहना है कि ''हिमाचल सरकार का बजट मजदूरों कर्मचारियों की आकांक्षाओं के खिलाफ है. आत्मनिर्भर हिमाचल के दस मुख्य बिंदुओं की बात करने वाले बजट में मजदूरों कर्मचारियों की बात तक न करना ही बजट की दिशा को बताता है. सरकार के एजेंडे से मजदूर कर्मचारी गायब हैं. भारी महंगाई के दौर में मजदूरों की दिहाड़ी में केवल 25 रुपये की बढ़ोतरी करना, मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम वेतन न देना, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों को ग्रेच्युटी व न्यूनतम वेतन सुविधा लागू न करना, वाटर कैरियर, जल रक्षकों, मल्टीपर्पस वर्कर, पैरा फिटर, पम्प ऑपरेटरों, चौकीदारों, राजस्व चौकीदारों, पंचायत वेटनरी असिस्टेंट के मासिक वेतन में केवल 300 से 500 रुपये बढ़ोतरी करना व उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन न देना उनके साथ क्रूर मजाक है. उन्होंने कहा कि सरकार से जनता को उम्मीदें थी कि उनके हित के लिए बजट पेश होगा, लेकिन आम जनता के लिए कुछ खास नहीं है''.