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712 करोड़ की टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी, 8 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट और फिर... - cyber fraud in jaipur - CYBER FRAUD IN JAIPUR

साइबर अपराधियों ने ठगी का नया तरीका अपनाया है. वे डिजिटल हाउस अरेस्ट के नाम पर पीड़ित को उसके खुद के घर में ही बंधक बनाकर रखते हैं और धमकाकर रुपये ट्रांसफर करवा लेते हैं. ऐसा ही एक मामला राजधानी जयपुर में सामने आया है, जिसमें साइबर ठगों ने पीड़ित से 4.55 लाख रुपये ठग लिए. यहां जानिए पूरा मामला...

cyber fraud in jaipur
साइबर ठगी का बड़ा खुलासा (Photo ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 10, 2024, 2:12 PM IST

जयपुर: साइबर अपराधियों ने डिजिटल हाउस अरेस्ट के नाम पर डरा कर ठगी करने का नया तरीका निकाल लिया है. ठगों ने जयपुर के वैशाली नगर निवासी पीड़ित को करीब 8 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट करके रखा. शुक्रवार तक पीड़ित को अपनी निगरानी में रखा. इतने लंबे समय तक डिजिटल अरेस्ट का यह पहला मामला बताया जा रहा है. ठगों ने 712 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी देकर 4.55 लाख रुपये ठग लिए. ठगों ने खुद को सीबीआई, आरबीआई और ईडी अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया.

एसीपी वैशाली नगर आलोक गौतम ने बताया कि पीड़ित वैशाली नगर निवासी है. उसके पास 1 अगस्त को दोपहर के समय उसके मोबाइल पर एक कॉल आया. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को आरबीआई का अधिकारी बताकर क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट होने की बात कही. पीड़ित ने क्रेडिट कार्ड होने से मना कर दिया. इसके बाद फोन करने वाले व्यक्ति ने हैदराबाद पुलिस से बात करने के लिए कहा और कॉल ट्रांसफर करके बात करवाई. एक महिला ने अपने आप को पुलिस अधिकारी बताकर बातचीत की और कहा कि 712 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग में आपके बैंक खाते का उपयोग किया गया है.

पढ़ें: खाते में रुपए 'क्रेडिट' होने का मैसेज आया, फिर भी हो गए साइबर फ्रॉड के शिकार? ऐसे बचें

पीड़ित ने बताया कि उसने इसके लिए भी मना कर दिया, तो महिला ने कहा कि आपके खाते से 20 लाख रुपये आतंकी गतिविधियों के लिए भेजे गए हैं. इसके बाद पीड़ित के बैंक खाते के साथ आधार कार्ड की डिटेल्स ले ली. पीड़ित को डराते हुए कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, जिसमें कई लोग संदिग्ध हैं. उनमें से 194 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. महिला ने कहा कि आपके खिलाफ भी जांच चल रही है, जल्द ही गिरफ्तारी होने वाली है.

ठगों ने पीड़ित को फर्जी वारंट और नोटिस भेज दिए. इसके बाद अलग-अलग नंबर से अलग-अलग जांच एजेंसी के अधिकारी बनकर फोन करके पीड़ित को डराया. पीड़ित से नया मोबाइल फोन खरीदवा कर एक ऐप डाउनलोड करवाया, जिस पर वीडियो कॉल करके पीड़ित को अपनी निगरानी में रखा गया. इस दौरान एक दिन होटल में भी रुकवाया था. शुक्रवार को दोपहर तक पीड़ित को साइबर ठगों ने अपनी निगरानी में रखा. पीड़ित से 4.55 लाख रुपये ठग लिए.

ठगों ने पीड़ित के खाते से एफडी का पता लगाकर एफडी तुड़वाने का दबाव बनाया. एफडी तुड़वाने के लिए पीड़ित को बैंक में भेजा गया. शुक्रवार को पीड़ित ने जब अपने पिता से चेक बुक के बारे में चर्चा की, तो पूरे घटनाक्रम का खुलासा हुआ. पीड़ित के पिता ने पूरे मामले की जानकारी ली और ठगों के वीडियो कॉल को डिस्कनेक्ट करवाया. पीड़ित की ओर से शनिवार को थाने में मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें:ठगी का ये तरीका जानकार हैरान हो जाएंगे आप, महिला को गर्भवती करने का ऑफर और फिर आपका अकाउंट खाली

साइबर ठगी से बचने का उपाय: एसीपी वैशाली नगर आलोक गौतम ने बताया कि ऐसे फर्जी कॉल से डरना नहीं चाहिए, बल्कि पुलिस को तुरंत सूचना देनी चाहिए. केन्द्र सरकार ने साइबर और आनलाइन ठगी रोकने के लिए चक्षु पोर्टल लॉन्च किया है. पीड़ित को वहां या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करनी चाहिए.

जयपुर: साइबर अपराधियों ने डिजिटल हाउस अरेस्ट के नाम पर डरा कर ठगी करने का नया तरीका निकाल लिया है. ठगों ने जयपुर के वैशाली नगर निवासी पीड़ित को करीब 8 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट करके रखा. शुक्रवार तक पीड़ित को अपनी निगरानी में रखा. इतने लंबे समय तक डिजिटल अरेस्ट का यह पहला मामला बताया जा रहा है. ठगों ने 712 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी देकर 4.55 लाख रुपये ठग लिए. ठगों ने खुद को सीबीआई, आरबीआई और ईडी अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया.

एसीपी वैशाली नगर आलोक गौतम ने बताया कि पीड़ित वैशाली नगर निवासी है. उसके पास 1 अगस्त को दोपहर के समय उसके मोबाइल पर एक कॉल आया. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को आरबीआई का अधिकारी बताकर क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट होने की बात कही. पीड़ित ने क्रेडिट कार्ड होने से मना कर दिया. इसके बाद फोन करने वाले व्यक्ति ने हैदराबाद पुलिस से बात करने के लिए कहा और कॉल ट्रांसफर करके बात करवाई. एक महिला ने अपने आप को पुलिस अधिकारी बताकर बातचीत की और कहा कि 712 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग में आपके बैंक खाते का उपयोग किया गया है.

पढ़ें: खाते में रुपए 'क्रेडिट' होने का मैसेज आया, फिर भी हो गए साइबर फ्रॉड के शिकार? ऐसे बचें

पीड़ित ने बताया कि उसने इसके लिए भी मना कर दिया, तो महिला ने कहा कि आपके खाते से 20 लाख रुपये आतंकी गतिविधियों के लिए भेजे गए हैं. इसके बाद पीड़ित के बैंक खाते के साथ आधार कार्ड की डिटेल्स ले ली. पीड़ित को डराते हुए कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, जिसमें कई लोग संदिग्ध हैं. उनमें से 194 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. महिला ने कहा कि आपके खिलाफ भी जांच चल रही है, जल्द ही गिरफ्तारी होने वाली है.

ठगों ने पीड़ित को फर्जी वारंट और नोटिस भेज दिए. इसके बाद अलग-अलग नंबर से अलग-अलग जांच एजेंसी के अधिकारी बनकर फोन करके पीड़ित को डराया. पीड़ित से नया मोबाइल फोन खरीदवा कर एक ऐप डाउनलोड करवाया, जिस पर वीडियो कॉल करके पीड़ित को अपनी निगरानी में रखा गया. इस दौरान एक दिन होटल में भी रुकवाया था. शुक्रवार को दोपहर तक पीड़ित को साइबर ठगों ने अपनी निगरानी में रखा. पीड़ित से 4.55 लाख रुपये ठग लिए.

ठगों ने पीड़ित के खाते से एफडी का पता लगाकर एफडी तुड़वाने का दबाव बनाया. एफडी तुड़वाने के लिए पीड़ित को बैंक में भेजा गया. शुक्रवार को पीड़ित ने जब अपने पिता से चेक बुक के बारे में चर्चा की, तो पूरे घटनाक्रम का खुलासा हुआ. पीड़ित के पिता ने पूरे मामले की जानकारी ली और ठगों के वीडियो कॉल को डिस्कनेक्ट करवाया. पीड़ित की ओर से शनिवार को थाने में मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है.

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साइबर ठगी से बचने का उपाय: एसीपी वैशाली नगर आलोक गौतम ने बताया कि ऐसे फर्जी कॉल से डरना नहीं चाहिए, बल्कि पुलिस को तुरंत सूचना देनी चाहिए. केन्द्र सरकार ने साइबर और आनलाइन ठगी रोकने के लिए चक्षु पोर्टल लॉन्च किया है. पीड़ित को वहां या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करनी चाहिए.

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