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तय समय पर फ्लैट का कब्जा नहीं, बिल्डर पर 1.61 लाख का लगा हर्जाना - Jaipur District Consumer Commission

जयपुर जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय ने तय समय में फ्लैट का कब्जा नहीं देने पर बिल्डर पर 1.61 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

FINE OF MORE THAN RS 1 LAKH,  POSSESSION OF THE FLAT
जयपुर जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय . (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 4, 2024, 6:19 PM IST

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय ने तय समय में फ्लैट का कब्जा नहीं देने को सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने विपक्षी यूनिक बिल्डर व रॉयल लिविंग होम्स प्रा. लि. पर 1 लाख 61 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके अलावा परिवादी से वसूली गई 4 लाख 28 हजार रुपए की राशि भी नौ फीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं. आयोग अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश श्वेता अग्रवाल के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसने विपक्षी बिल्डर से यूनिक जोय हाउसिंग स्कीम में 12.50 लाख रुपए का फ्लैट फरवरी 2015 में बुक कराया था. परिवादी ने बिल्डर को 4 लाख 28 हजार रुपए का भुगतान किया. इस पर बिल्डर ने चार साल में निर्माण पूरा करना बताकर उस पर एक साल का ग्रेस पीरियड लेना बताया. अवधि पूरी होने पर परिवादी ने बिल्डर से संपर्क किया तो उसने ग्रेस पीरियड में निर्माण कर कब्जा देने की बात कही.

पढ़ेंः टूटी सीट पर बैठने से दर्शक का कुर्ता फटा, सिनेमा हॉल पर 22 हजार रुपए हर्जाना - Rs 22 Thousand Fine On Cinema Hall

परिवाद में बताया गया कि ग्रेस पीरियड उस समय ही लागू हो सकता है, जब निर्माण में ऐसी परेशानी आए कि वह बिल्डर के वश में ना हो. जब परिवादी ने मौके पर जाकर देखा तो वहां सिर्फ ढांचा खड़ा था और निर्माण सामग्री भी घटिया किस्म की थी. बिल्डर ने फ्लैट का कब्जा अभी तक परिवादी को नहीं सौंपा है. इसलिए उसे हर्जाना दिलाया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बिल्डर पर हर्जाना लगाते हुए वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने को कहा है.

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय ने तय समय में फ्लैट का कब्जा नहीं देने को सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने विपक्षी यूनिक बिल्डर व रॉयल लिविंग होम्स प्रा. लि. पर 1 लाख 61 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके अलावा परिवादी से वसूली गई 4 लाख 28 हजार रुपए की राशि भी नौ फीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं. आयोग अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश श्वेता अग्रवाल के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसने विपक्षी बिल्डर से यूनिक जोय हाउसिंग स्कीम में 12.50 लाख रुपए का फ्लैट फरवरी 2015 में बुक कराया था. परिवादी ने बिल्डर को 4 लाख 28 हजार रुपए का भुगतान किया. इस पर बिल्डर ने चार साल में निर्माण पूरा करना बताकर उस पर एक साल का ग्रेस पीरियड लेना बताया. अवधि पूरी होने पर परिवादी ने बिल्डर से संपर्क किया तो उसने ग्रेस पीरियड में निर्माण कर कब्जा देने की बात कही.

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परिवाद में बताया गया कि ग्रेस पीरियड उस समय ही लागू हो सकता है, जब निर्माण में ऐसी परेशानी आए कि वह बिल्डर के वश में ना हो. जब परिवादी ने मौके पर जाकर देखा तो वहां सिर्फ ढांचा खड़ा था और निर्माण सामग्री भी घटिया किस्म की थी. बिल्डर ने फ्लैट का कब्जा अभी तक परिवादी को नहीं सौंपा है. इसलिए उसे हर्जाना दिलाया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बिल्डर पर हर्जाना लगाते हुए वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने को कहा है.

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