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ऑपरेशन में लापरवाही से आंख खराब हुई, डॉक्टर व अस्पताल पर 16.61 लाख रुपए का लगा हर्जाना - Jaipur Consumer Commission

जयपुर उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल पर लगाया हर्जाना. मोतियाबिंद के ऑपरेशन में बरती लापरवाही.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

IMPOSED A FINE ON DOCTOR,  FINE FOR EYE DAMAGE
जयपुर उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल पर लगाया हर्जाना. (ETV Bharat jaipur)

जयपुरः जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लापरवाही से मरीज की आंख खराब होने को गंभीर कृत्य एवं सेवा दोष बताया है. इसके साथ ही आयोग ने ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक व हॉस्पिटल पर 16.61 लाख रुपए हर्जाना लगाया है. आयोग ने विपक्षी को निर्देश दिए हैं कि वह ऑपरेशन व लेंस के लिए परिवादी से वसूले 18 हजार रुपए उसे परिवाद दायर करने की तारीख से 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाए. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश शकुंतला देवी के परिवाद पर दिए.

आयोग ने कहा कि विपक्षी के ऑपरेशन में बरती गई लापरवाही से परिवादिया की आंख में इंफेक्शन हुआ और उसकी आंख की पुतली खराब हो गई. जिससे उसकी रोशनी हमेशा के लिए चली गई. मामले के तथ्यों से भी यह साबित है कि विपक्षी डॉक्टर ने उसकी आंख का सही तरीके से ऑपरेशन नहीं किया. परिवाद में कहा गया कि परिवादिया ने दांयी आंख में परेशानी होने पर विपक्षी डॉक्टर के घर पर 19 दिसंबर 2005 को दिखाया. इसके बाद 17 दिसंबर, 2006 को उसकी आंख में इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी आंख में कई दिनों तक दर्द रहा. वह लगातार डॉक्टर के संपर्क में रही और उसके अनुसार ही दवाइयां लेती रही.

पढ़ेंः बीमित वाहन का रिपेयर खर्चा नहीं दिया, बीमा कंपनी पर लगाया 55 हजार रुपये हर्जाना - Consumer Commission

इस दौरान 24 सितंबर 2008 को उसे मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने की सलाह दी गई. जिस पर 26 सितंबर 2009 को डॉक्टर राजकुमार ने उसकी आंख का ऑपरेशन कर दिया और इसके लिए लेंस व ऑपरेशन के 18 हजार रुपए परिवादिया से लिए. ऑपरेशन के कुछ दिन बाद जब उसकी आंख की पट्टी खोली गई तो उसे दिखाई नहीं दिया और पुतली भी सफेद हो गई. परिजनों ने जब इस संबंध में डॉक्टर से पूछा तो उसने आंख में दवाई डालने के लिए कहा, लेकिन आंख में सूजन व इंफेक्शन हो गया. जब परिवादी ने दिसंबर, 2010 में एम्स, दिल्ली के चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लापरवाही बरती है और इसी के चलते उसकी आंख की पुतली खराब हुई है. इस पर परिवादी ने आयोग में परिवाद पेश कर विपक्षी से मुआवजा दिलाने की गुहार की, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने विपक्षी पर हर्जाना लगाया है.

जयपुरः जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लापरवाही से मरीज की आंख खराब होने को गंभीर कृत्य एवं सेवा दोष बताया है. इसके साथ ही आयोग ने ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक व हॉस्पिटल पर 16.61 लाख रुपए हर्जाना लगाया है. आयोग ने विपक्षी को निर्देश दिए हैं कि वह ऑपरेशन व लेंस के लिए परिवादी से वसूले 18 हजार रुपए उसे परिवाद दायर करने की तारीख से 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाए. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश शकुंतला देवी के परिवाद पर दिए.

आयोग ने कहा कि विपक्षी के ऑपरेशन में बरती गई लापरवाही से परिवादिया की आंख में इंफेक्शन हुआ और उसकी आंख की पुतली खराब हो गई. जिससे उसकी रोशनी हमेशा के लिए चली गई. मामले के तथ्यों से भी यह साबित है कि विपक्षी डॉक्टर ने उसकी आंख का सही तरीके से ऑपरेशन नहीं किया. परिवाद में कहा गया कि परिवादिया ने दांयी आंख में परेशानी होने पर विपक्षी डॉक्टर के घर पर 19 दिसंबर 2005 को दिखाया. इसके बाद 17 दिसंबर, 2006 को उसकी आंख में इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी आंख में कई दिनों तक दर्द रहा. वह लगातार डॉक्टर के संपर्क में रही और उसके अनुसार ही दवाइयां लेती रही.

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इस दौरान 24 सितंबर 2008 को उसे मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने की सलाह दी गई. जिस पर 26 सितंबर 2009 को डॉक्टर राजकुमार ने उसकी आंख का ऑपरेशन कर दिया और इसके लिए लेंस व ऑपरेशन के 18 हजार रुपए परिवादिया से लिए. ऑपरेशन के कुछ दिन बाद जब उसकी आंख की पट्टी खोली गई तो उसे दिखाई नहीं दिया और पुतली भी सफेद हो गई. परिजनों ने जब इस संबंध में डॉक्टर से पूछा तो उसने आंख में दवाई डालने के लिए कहा, लेकिन आंख में सूजन व इंफेक्शन हो गया. जब परिवादी ने दिसंबर, 2010 में एम्स, दिल्ली के चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लापरवाही बरती है और इसी के चलते उसकी आंख की पुतली खराब हुई है. इस पर परिवादी ने आयोग में परिवाद पेश कर विपक्षी से मुआवजा दिलाने की गुहार की, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने विपक्षी पर हर्जाना लगाया है.

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