नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल आफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के 62वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षा से बड़ा कोई दान नहीं और शिक्षा से बड़ा कोई अधिकार नहीं. शिक्षा ही सभी सफलताओं की कुंजी है. इसलिए हमें शिक्षा पर जरूर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि विफलता नाम की कोई चीज नहीं होती है. असफलता से ही सफलता की शुरुआत होती है. विफलता सफलता की सीढ़ी है. जिस तरह हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर भेजा था, लेकिन वह थोड़ी ही दूरी शेष रहते विफल हो गया था. लेकिन, हमारे प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि इतने नजदीक पहली बार में कोई नहीं पहुंचा है. यह विफलता नहीं है यह सफलता की सीढ़ी है. उसके बाद 23 अगस्त 2023 को हमारे वैज्ञानिकों ने यही करके दिखाया और चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर पहुंचा दिया. यह है भारत की ताकत.
उन्होंने कहा कि सभी को सस्ती और सुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए मुफ्त शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि तकनीक बहुत आगे बढ़ चुकी है और तकनीक के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हर क्षेत्र में अपनी योग्यता के कीर्तिमान गढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस समय जो मेहनत की जा रही है उसका परिणाम 2047 में दिखाई देगा. जब भारत विकसित देशों की कतार में खड़ा होगा.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि आज हम सब भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. विकसित राष्ट्र की पहली शर्त है कि कोई भूखा ना सोए. इसके पहले लेवल को प्रधानमंत्री मोदी जी ने प्रधानमंत्री अन्न योजना की शुरुआत कर पूरा कर दिया है. अब हमें आगे के चरणों की ओर बढ़ना है. वहीं, एसओएल की निदेशक प्रोफेसर पायल मांगो ने बताया कि सन 1962 में एसओएल की शुरुआत दो कोर्स और 900 छात्राओं के साथ हुई थी, जो आज बढ़कर 4 लाख तक पहुंच गई है.
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उन्होंने बताया कि हम इस सत्र से एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं. इसके तहत एसओएल में अपनी पढ़ाई के पहले साल में जो छात्रा 8.5 सीजीपीए या उससे ऊपर लाती है तो उसकी अगली साल की फीस माफ होगी. इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एसओएल की दो टॉपर छात्राओं एवं अर्जुन पुरस्कार विजेता दीक्षा डगर को सम्मानित किया. इनमें पायल सिंह टॉपर बीए लाइब्रेरी साइंस और नैंसी गोयल टॉपर एमए पॉलिटिकल साइंस शामिल रहीं. दीक्षा डागर की अनुपस्थिति में उनकी जगह उनकी मां ने उनका सम्मान प्राप्त किया.
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