जबलपुर: मध्य प्रदेश के किसानों ने सरकार से मांग की है कि सोयाबीन के रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाई जाए क्योंकि अभी सभी किसान सोयाबीन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं. कई किसानों की खसरे में पटवारी ने सोयाबीन दर्ज ही नहीं किया था इसलिए इन किसानों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया. जबलपुर में मात्र 29 किसानों ने ही सोयाबीन का समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. जिला प्रशासन का कहना है कि वह सरकार से इसे लेकर बात करेंगे.
समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए आंदोलन
सोयाबीन के समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर किसानों ने एक लंबा आंदोलन चलाया था. इस आंदोलन के बाद सरकार ने यह घोषणा की थी कि सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगी. किसान इस बात से उत्साहित हो गए थे कि उन्हें समर्थन मूल्य के दाम मिलेंगे. लेकिन किसानों को उनकी फसल के पूरे दाम मिलेंगे ऐसी संभावना नजर नहीं आ रही है.
20 अक्टूबर तक है रजिस्ट्रेशन करवाने की तारीख
सोयाबीन की फसल मध्य प्रदेश में अलग-अलग सीजन पर कट रही है. कुछ जगहों पर फसल कट चुकी है और कुछ जगहों पर अभी भी खेत से फसल काटी जा रही है. ऐसी स्थिति में जब किसान रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए पहुंचे तो उनके रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने 25 सितंबर से 20 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन करवाने की तारीख रखी है लेकिन अभी तक कई किसानों की फसल खेत से ही नहीं निकल पाई है. ऐसी स्थिति में वे रजिस्ट्रेशन किस आधार पर करवाते.
'किसानों के खसरे में सोयाबीन दर्ज नहीं'
भारतीय किसान संघ के नेता राघवेंद्र पटेल का कहना है कि "जबलपुर में मात्र 29 किसानों ने ही सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. इसकी वजह यह है कि बहुत सारे किसानों के खसरे में यह गिरदावरी ही नहीं डाली गई है कि उन्होंने सोयाबीन बोया था. ऐसी स्थिति में जब भी रजिस्ट्रेशन करवाने पहुंच रहे हैं तो उनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो रहा. रजिस्ट्रेशन के लिए यह जरूरी है कि किसान के खेत की खसरे में खरीफ की फसल के रूप में सोयाबीन दर्ज किया गया हो लेकिन इस बार यह काम निजी संस्थाओं को दिया गया था इसलिए इसमें कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं और इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है."
'रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाने करेंगे चर्चा'
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि "जबलपुर में सोयाबीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर नहीं होता लेकिन फिर भी लगभग 10000 क्विंटल के उत्पादन की संभावना कृषि विभाग ने जताई थी. ऐसी स्थिति में मात्र चंद किसानों का रजिस्ट्रेशन अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है. यदि किसान रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं तो वह सरकार से इस बात की चर्चा करेंगे कि रजिस्ट्रेशन की तारीख और अधिक बढ़ाई जाए."
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रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर मंडी में बिकेगा सोयाबीन
एक तरफ किसान सोयाबीन का समर्थन मूल्य ₹6000 प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे लेकिन सरकार ने उन्हें 4892 प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य देने की घोषणा की थी. सोयाबीन के मौजूदा मंडी भाव लगभग ₹3600 से लेकर 4500 रुपये तक चल रहे हैं. ऐसे में यदि रजिस्ट्रेशन की तारीख नहीं बढ़ी तो किसानों को मंडी भाव पर ही सोयाबीन बेचना पड़ेगा.