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मोहन यादव सरकार में उद्योगों की हालत खस्ता!, अरबों रुपए की सब्सिडी बाकी - jabalpur investor summit

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार द्वारा जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. प्रदेश में उद्योगों को बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों को सरकार सब्सिडी का लालच दे रही है, जबकि प्रदेश में उद्योगपतियों को सालों से सब्सिडी नहीं मिली है.

JABALPUR INVESTOR SUMMIT
सब्सिडी के अभाव में उद्योगों की हालत खस्ता (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 19, 2024, 10:00 PM IST

जबलपुर: सरकारी सब्सिडी के लालच में यदि आप निवेश कर रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए. मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के जाने के बाद से अब तक किसी उद्योगपति को सब्सिडी नहीं मिली है. सब्सिडी की किस्तों को मिलने में अफसर शाही एक बड़ा रोड़ा माना जा रहा है. इसके साथ ही सरकार के खजाने में पैसा कम होने की वजह से भी कई उद्योगों को सब्सिडी का आवंटन नहीं हो पा रहा है.

उद्योगों को सालों से नहीं मिली सब्सिडी (ETV Bharat)

सब्सिडी देने में सरकार कर रही लेट लतीफी

जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर सरकार उद्योगपतियों से वादा कर रही है कि वे यदि मध्य प्रदेश में उद्योग लगते हैं, तो अलग-अलग योजनाओं के जरिए उन्हें सब्सिडी दी जाएगी, लेकिन जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने दावा किया है कि "बीते 5 सालों से कई उद्योगपतियों को सब्सिडी नहीं दी गई है. सब्सिडी देने में सरकार की ओर से लेट लतीफ भी की जा रही है. कई उद्योगों को जानबूझकर सब्सिडी का पैसा नहीं दिया जा रहा है. जिसकी वजह से उनकी कमर टूट रही है."

सब्सिडी मिलने में लग जाता है 5 साल से ज्यादा का समय

दरअसल, सब्सिडी के नियमों में कुछ इस तरह के प्रावधान हैं कि किसी उद्योग को सब्सिडी मिलते-मिलते 5 साल से ज्यादा का वक्त लग जाता है. सरकार सब्सिडी कई किस्तों में देती है और हर बार उद्योग विभाग के अधिकारी जब तक उद्योग एनओसी नहीं देते तब तक सब्सिडी रिलीज नहीं की जाती है. उद्योग विभाग के अधिकारी जानबूझकर एनओसी देने में देरी करते हैं. इसकी एक वजह अधिकारियों की अफसरशाही है और दूसरी बड़ी वजह सरकार के खजाने में पैसा ना होना है.

उद्योगों को जल्द मिलेगी सब्सिडी: जबलपुर कलेक्टर

जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि "यह बात सही है कि बहुत से उद्योगों को योजनाओं के माध्यम से दी जाने वाली सब्सिडी अब तक नहीं मिली है. यह बात मुख्यमंत्री के संज्ञान में है और जल्द ही यह पैसा जारी किया जा सकता है." एक अनुमान के तहत मध्य प्रदेश में लगभग 3 लाख करोड़ की सब्सिडी की राशि उद्योगों को सरकार को देना है. इसके पहले सब्सिडी की राशि शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान अंतिम बार दी गई थी. जिसमें एक सिंगल क्लिक में सब्सिडी की किस्त जारी की गई थी. उसके बाद से किसी को भी सब्सिडी नहीं मिली है.

यहां पढ़ें...

फूड प्रोसेसिंग से लाखों की हो रही कमाई, यूनिट शुरू करने सरकार दे रही 10 लाख तक की मदद, ये हैं शर्तें

MP के आष्टा में देश का सबसे बड़ा एथेन क्रैकर पेट्रोकेमिकल प्लांट लगेगा, 20 हजार से ज्यादा लोगों को मिलेगा रोजगार

सब्सिडी की राशि लाडली बहना योजना में खर्च

ऐसा भी कहा जा रहा है कि सरकार ने सब्सिडी की राशि लाडली बहना योजना में खर्च कर दी है. इस वजह से सरकार के खजाने में पैसा नहीं है और पेंडेंसी बढ़ती जा रही है. दरअसल, बड़े उद्योगों में सरकार की सब्सिडी ना मिले तो उद्योग चलाना बहुत कठिन हो जाता है, क्योंकि मशीन बिजली लीवर और कच्चे माल के लिए बहुत पूंजी की जरूरत पड़ती है. इसलिए एक बार शुरुआती मदद मिलने के बाद ही उद्योग खड़ा हो सकता है. ऐसी स्थिति में यदि सब्सिडी ना मिले तो उद्योगपति के सामने दोहरा संकट खड़ा हो जाता है, क्योंकि उसका पैसा उद्योग में लग जाता है. नया पैसा नहीं होने पर वह उद्योग चला नहीं पता और उद्योग यदि बंद करता है. तो ज्यादा घाटे की स्थिति बन जाती है और इस कुचक्र में जब उद्योगपति फंस जाता है तभी इंडस्ट्री बीमारू हो जाती है।

जबलपुर: सरकारी सब्सिडी के लालच में यदि आप निवेश कर रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए. मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के जाने के बाद से अब तक किसी उद्योगपति को सब्सिडी नहीं मिली है. सब्सिडी की किस्तों को मिलने में अफसर शाही एक बड़ा रोड़ा माना जा रहा है. इसके साथ ही सरकार के खजाने में पैसा कम होने की वजह से भी कई उद्योगों को सब्सिडी का आवंटन नहीं हो पा रहा है.

उद्योगों को सालों से नहीं मिली सब्सिडी (ETV Bharat)

सब्सिडी देने में सरकार कर रही लेट लतीफी

जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर सरकार उद्योगपतियों से वादा कर रही है कि वे यदि मध्य प्रदेश में उद्योग लगते हैं, तो अलग-अलग योजनाओं के जरिए उन्हें सब्सिडी दी जाएगी, लेकिन जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने दावा किया है कि "बीते 5 सालों से कई उद्योगपतियों को सब्सिडी नहीं दी गई है. सब्सिडी देने में सरकार की ओर से लेट लतीफ भी की जा रही है. कई उद्योगों को जानबूझकर सब्सिडी का पैसा नहीं दिया जा रहा है. जिसकी वजह से उनकी कमर टूट रही है."

सब्सिडी मिलने में लग जाता है 5 साल से ज्यादा का समय

दरअसल, सब्सिडी के नियमों में कुछ इस तरह के प्रावधान हैं कि किसी उद्योग को सब्सिडी मिलते-मिलते 5 साल से ज्यादा का वक्त लग जाता है. सरकार सब्सिडी कई किस्तों में देती है और हर बार उद्योग विभाग के अधिकारी जब तक उद्योग एनओसी नहीं देते तब तक सब्सिडी रिलीज नहीं की जाती है. उद्योग विभाग के अधिकारी जानबूझकर एनओसी देने में देरी करते हैं. इसकी एक वजह अधिकारियों की अफसरशाही है और दूसरी बड़ी वजह सरकार के खजाने में पैसा ना होना है.

उद्योगों को जल्द मिलेगी सब्सिडी: जबलपुर कलेक्टर

जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि "यह बात सही है कि बहुत से उद्योगों को योजनाओं के माध्यम से दी जाने वाली सब्सिडी अब तक नहीं मिली है. यह बात मुख्यमंत्री के संज्ञान में है और जल्द ही यह पैसा जारी किया जा सकता है." एक अनुमान के तहत मध्य प्रदेश में लगभग 3 लाख करोड़ की सब्सिडी की राशि उद्योगों को सरकार को देना है. इसके पहले सब्सिडी की राशि शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान अंतिम बार दी गई थी. जिसमें एक सिंगल क्लिक में सब्सिडी की किस्त जारी की गई थी. उसके बाद से किसी को भी सब्सिडी नहीं मिली है.

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सब्सिडी की राशि लाडली बहना योजना में खर्च

ऐसा भी कहा जा रहा है कि सरकार ने सब्सिडी की राशि लाडली बहना योजना में खर्च कर दी है. इस वजह से सरकार के खजाने में पैसा नहीं है और पेंडेंसी बढ़ती जा रही है. दरअसल, बड़े उद्योगों में सरकार की सब्सिडी ना मिले तो उद्योग चलाना बहुत कठिन हो जाता है, क्योंकि मशीन बिजली लीवर और कच्चे माल के लिए बहुत पूंजी की जरूरत पड़ती है. इसलिए एक बार शुरुआती मदद मिलने के बाद ही उद्योग खड़ा हो सकता है. ऐसी स्थिति में यदि सब्सिडी ना मिले तो उद्योगपति के सामने दोहरा संकट खड़ा हो जाता है, क्योंकि उसका पैसा उद्योग में लग जाता है. नया पैसा नहीं होने पर वह उद्योग चला नहीं पता और उद्योग यदि बंद करता है. तो ज्यादा घाटे की स्थिति बन जाती है और इस कुचक्र में जब उद्योगपति फंस जाता है तभी इंडस्ट्री बीमारू हो जाती है।

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