जबलपुर. 18 जून से निजी स्कूलों ने स्कूल खोलने की तारीख रखी थी लेकिन स्कूल नहीं खोले गए. सोशल मीडिया के जरिए लोगों को पता लगा कि प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में स्कूल नहीं खोले जा रहे हैं. हालांकि, निजी स्कूल संचालकों ने किसी हड़ताल की बात नहीं की है लेकिन फिर भी स्कूल नहीं खोले गए. इसी समस्या के समाधान को लेकर बुधवार को कलेक्टर और निजी स्कूल संचालकों के बीच बैठक हुई.
कलेक्टर ने दी ये हिदायत
जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने स्कूल संचालकों को हिदायत देते हुए कहा कि स्कूलों ने फीस ड्रेस और पुस्तकों के मामले में जो गड़बड़ियां की हैं वह अपने स्तर पर ठीक कर लें. यदि वे इन्हें ठीक कर लेते हैं तो किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. जिन 11 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है उनके मामले कोर्ट में चल रहे हैं. निजी स्कूल संचालकों को कलेक्टर ने कहा स्कूलों को नियम से ही चलना होगा पुस्तकों की मोनोपली नहीं चलेगी और फीस को लेकर जो कानून में बातें लिखी हैं उन्हें मनाना होगा.
स्कूल संचालकों ने कहा- गलती सुधारेंगे
निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि वह प्रशासन से डर गए हैं. दरअसल, उन्हें नहीं पता था कि वे भी गलतियां कर रहे हैं. वे अपनी गलतियों को ठीक कर लेंगे. इस बात का भरोसा निजी स्कूलों ने दिलाया है. वहीं एक निजी स्कूल संचालक नमन जैन ने कहा, यदि सरकार को लगता है की पुस्तकों के मामले में गड़बड़ी है तो सरकार सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तक लागू कर दे. हालांकि, स्कूल संचालक ने बैठक को काफी सकारात्मक बताते हुए प्रशासन का सहयोग करने की बात कही है.
कब खुलेंगे निजी स्कूल?
कलेक्टर से बातचीत के बाद भी निजी स्कूलों के संचालक तुरंत स्कूल खोलने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि फिलहाल गर्मी बहुत अधिक है इसलिए वे चाहते हैं कि 1 जुलाई से ही स्कूल खोलें. हालांकि, प्रशासन ने ऐसा कोई आदेश उनके लिए जारी नहीं किया है. कुल मिलाकर स्कूलों के खोलने को लेकर इस बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया.
पेरेंट्स ने कार्रवाई को सही ठहराया
वहीं इसी बैठक के दौरान एक अभिभावक संघ भी कलेक्ट्रेट पहुंच गया. पेरेंट्स का कहना है कि प्रशासन ने जो कार्रवाई की है, वह सही है. निजी स्कूल बंद रखकर जो दबाव बना रहे हैं वह सही नहीं है. इसलिए स्कूलों को खोल जाना चाहिए और बच्चों की पढ़ाई नियमित शुरू की जानी चाहिए. लेकिन कई स्कूलों का महत्वपूर्ण स्टाफ जेल में है. ऐसी स्थिति में इन स्कूलों में पढ़ाई कैसे होगी यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है.