जबलपुर। निजी स्कूल संचालकों ने मनमाने तरीके से फीस में वृद्धि कर दी है. इसको लेकर जिला प्रशासन से अभिभावकों ने शिकायतें की हैं. जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने आज स्कूल और शिकायत करने वाले अभिभावकों को बुलाया है. स्कूल संचालकों से जवाब मांगा जाएगा. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों के संचालन के लिए नियम बनाए हैं. इन नियमों के अनुसार बिना सरकार की अनुमति के कोई भी निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता. निजी स्कूलों को 10% तक फीस बढ़ाने के लिए कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी और यदि 10% से ज्यादा फीस बढ़ाई जाती है तो राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी.
फीस बढ़ाने का कारण बताना पड़ेगा
नियम के अनुसार निजी स्कूलों को यह बात स्पष्ट तौर से उल्लेख करनी पड़ेगी कि फीस क्यों बढ़ाना चाहते हैं. क्या उन्होंने स्कूल में कोई नई सुविधा शुरू की है. यदि कारण स्पष्ट नहीं होगा तो स्कूल फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी. आज जबलपुर में 9 निजी स्कूलों के खिलाफ सुनवाई होनी है. जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना की उपस्थिति में काइस्टचर्च स्कूल की सभी शाखाओं के साथ ही ज्ञानगंगा आर्चिड इंटरनेशनल स्कूल, लिटिल वर्ल्ड कटंगा एवं तिलवाराघाट, सत्यप्रकाश स्कूल पोलीपाथर, अजय सत्यप्रकाश स्कूल पनागर, चैतन्य टैक्नो स्कूल, नालंदा स्कूल धनवंतरी नगर स्कूलों की क्लास लगेगी.
कलेक्टर लेंगे निजी स्कूल संचालकों की क्लास
कलेक्टर के सामने बैठक में स्कूल संचालक और प्राचार्य शिकायतकर्ताओ के सवालों का जवाब देंगे. सवाल जवाब के बीच में मौजूद जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना अपनी ओर से भी स्कूलों से जानकारी लेंगे. यह प्रक्रिया लगातार जबलपुर में जारी रहेगी. जबलपुर जिला प्रशासन का कहना है कि इन स्कूलों के खिलाफ यदि किसी को शिकायत करनी है तो वह 8 मई को जबलपुर जिला कार्यालय में पहुंच सकते हैं और यहां अपनी शिकायत पर स्कूल प्रबंधन से जवाब मांग सकते हैं. इसके अलावा दूसरे स्कूलों के बारे में भी यदि शिकायत करनी है तो भी जा सकती है. शिकायत मिलने पर स्कूल को जिला कलेक्ट्रेट में आकर जवाब देना होगा.
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हर जिले में लगेंगे पुस्तक मेले, पैरेंट्स को राहत
बता दें कि निजी स्कूलों की पुस्तक और ड्रेस के नाम पर होने वाली लूट पर शिकंजा कसने के लिए जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जो काम किया है वह प्रदेश के लिए एक नजीर बन गया है. उन्होंने कई निजी पुस्तक विक्रेताओं के पर छापे डलवाए. दो पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ तो थाने में मामले भी दर्ज करवाए गए हैं. पुस्तकों में निजी स्कूल मनमानी न कर सकें, इसलिए पुस्तक मेले का आयोजन करवाया गया. हालांकि यह मेला इस साल लेट हो गया था लेकिन राज्य शासन ने इसको अच्छा प्रयास मानते हुए यह आदेश दिया है कि अब ऐसे पुस्तक मेले हर साल सभी जिलों में लगाए जाएंगे.