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सरकार को क्यों कराना पड़ा था नंदिकेश्वर मंदिर का निर्माण, सिंचाई विभाग अब भी उठा रहा जिम्मेदारी - JABALPUR NANDIKESHWARA TEMPLE

जबलपुर में ग्वाला टेकरी पर स्थित नंदिकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण सिंचाई विभाग ने कराया है. बरगी डैम में डूब गया था प्राचीन मंदिर.

JABALPUR NANDIKESHWARA TEMPLE
जबलपुर का नंदिकेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 2, 2025, 6:27 PM IST

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में बरगी बांध के पास नंदिकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. इस मंदिर के निर्माण की कहानी रोचक है. दरअसल, महादेव का प्राचीन मंदिर नर्मदा नदी के बरगी बांध में डूब गया था. इसकी वजह से सिंचाई विभाग को परियोजना में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पानी के भीतर से प्रतिमाओं को निकाल कर ग्वाला टेकरी पर इस नए मंदिर में विराजित किया तब उनकी परियोजना सही ढंग से आगे बढ़ पाई. इसलिए इस मंदिर का रखरखाव आज भी सिंचाई विभाग करता है.

सिंचाई विभाग ने कराया था मंदिर का निर्माण

सामान्य तौर पर मंदिरों का निर्माण या तो राजा महाराजाओं के समय हुआ है या फिर कोई श्रद्धालु या धार्मिक संस्थाएं मंदिर का निर्माण करवाती हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जबलपुर के नंदिकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग ने करवाया है. ऐसा नहीं है कि सिंचाई विभाग को भगवान पर कोई श्रद्धा रही हो बल्कि इस मंदिर के निर्माण के पीछे सिंचाई विभाग को भगवान के आशीर्वाद की जरूरत थी.

सिंचाई विभाग को कराना पड़ा था नंदिकेश्वर मंदिर का निर्माण (ETV Bharat)

प्राचीन मंदिर डैम के बैकवॉटर में डूब गया था

बरगी बांध निर्माण के लिए कैचमेंट एरिया में आने वाले गावों को विस्थापित होना पड़ा था. ग्रामीणों ने दूर जाकर अपनी बस्तियां बसा ली, लेकिन नर्मदा की पुरानी धारा के ठीक पास में स्थित नंदिकेश्वर महादेव मंदिर बांध के बैकवाटर में डूब गया. इस मंदिर के पुजारी नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि "महादेव का प्राचीन मंदिर बरगी बांध के बैकवाटर में डूब गया था. इसके बाद बांध के कामकाज में परेशानियां आने लगी. जिस ग्वाला टेकरी पर यह मंदिर स्थित है उसी टेकरी पर एक महात्मा रहते थे.

Nandikeshwara Temple History
मंदिर में स्थापित शेषनाग की मूर्ति (ETV Bharat)

उन्होंने ही बांध के निर्माण में लगे सिंचाई विभाग के अधिकारियों को बताया कि पानी में डूबी हुई मूर्तियों को एक मंदिर बनाकर स्थापित करने से बांध का काम सुचारू रूप से हो सकेगा. इसके बाद अधिकारियों ने गहरे पानी में डूबी भगवान शंकर और शेषनाग की मूर्ति को निकालकर ग्लावा टेकरी पर एक भव्य मंदिर बनाकर उसमें स्थापित करवाया. तभी से इस मंदिर की देखभाल सिंचाई विभाग ही करता है."

Mahadev temple drowned Bargi Dam
ग्वाला टेकरी से दिखता है खूबसूरत नजारा (ETV Bharat)

पुराणों में भी मिलता है मंदिर का उल्लेख

वर्तमान नंदकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 1982 में शुरू हुआ था और 1994 में बनकर तैयार हो गया था. यह मंदिर पुरानी मंदिर शैली के अनुसार बना हुआ है, जिसमें एक बड़ी गुंबद और दो छोटी गुंबद है. ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से बरगी बांध का बहुत खूबसूरत नजारा दिखता है. नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि "इस मंदिर के बारे में 6 पुराणों में भी उल्लेख है और धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो गौ हत्या और ब्रह्महत्या के दोष के निवारण की पूजा नंदिकेश्वर महादेव मंदिर में होती है."

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में बरगी बांध के पास नंदिकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. इस मंदिर के निर्माण की कहानी रोचक है. दरअसल, महादेव का प्राचीन मंदिर नर्मदा नदी के बरगी बांध में डूब गया था. इसकी वजह से सिंचाई विभाग को परियोजना में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पानी के भीतर से प्रतिमाओं को निकाल कर ग्वाला टेकरी पर इस नए मंदिर में विराजित किया तब उनकी परियोजना सही ढंग से आगे बढ़ पाई. इसलिए इस मंदिर का रखरखाव आज भी सिंचाई विभाग करता है.

सिंचाई विभाग ने कराया था मंदिर का निर्माण

सामान्य तौर पर मंदिरों का निर्माण या तो राजा महाराजाओं के समय हुआ है या फिर कोई श्रद्धालु या धार्मिक संस्थाएं मंदिर का निर्माण करवाती हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जबलपुर के नंदिकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग ने करवाया है. ऐसा नहीं है कि सिंचाई विभाग को भगवान पर कोई श्रद्धा रही हो बल्कि इस मंदिर के निर्माण के पीछे सिंचाई विभाग को भगवान के आशीर्वाद की जरूरत थी.

सिंचाई विभाग को कराना पड़ा था नंदिकेश्वर मंदिर का निर्माण (ETV Bharat)

प्राचीन मंदिर डैम के बैकवॉटर में डूब गया था

बरगी बांध निर्माण के लिए कैचमेंट एरिया में आने वाले गावों को विस्थापित होना पड़ा था. ग्रामीणों ने दूर जाकर अपनी बस्तियां बसा ली, लेकिन नर्मदा की पुरानी धारा के ठीक पास में स्थित नंदिकेश्वर महादेव मंदिर बांध के बैकवाटर में डूब गया. इस मंदिर के पुजारी नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि "महादेव का प्राचीन मंदिर बरगी बांध के बैकवाटर में डूब गया था. इसके बाद बांध के कामकाज में परेशानियां आने लगी. जिस ग्वाला टेकरी पर यह मंदिर स्थित है उसी टेकरी पर एक महात्मा रहते थे.

Nandikeshwara Temple History
मंदिर में स्थापित शेषनाग की मूर्ति (ETV Bharat)

उन्होंने ही बांध के निर्माण में लगे सिंचाई विभाग के अधिकारियों को बताया कि पानी में डूबी हुई मूर्तियों को एक मंदिर बनाकर स्थापित करने से बांध का काम सुचारू रूप से हो सकेगा. इसके बाद अधिकारियों ने गहरे पानी में डूबी भगवान शंकर और शेषनाग की मूर्ति को निकालकर ग्लावा टेकरी पर एक भव्य मंदिर बनाकर उसमें स्थापित करवाया. तभी से इस मंदिर की देखभाल सिंचाई विभाग ही करता है."

Mahadev temple drowned Bargi Dam
ग्वाला टेकरी से दिखता है खूबसूरत नजारा (ETV Bharat)

पुराणों में भी मिलता है मंदिर का उल्लेख

वर्तमान नंदकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 1982 में शुरू हुआ था और 1994 में बनकर तैयार हो गया था. यह मंदिर पुरानी मंदिर शैली के अनुसार बना हुआ है, जिसमें एक बड़ी गुंबद और दो छोटी गुंबद है. ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से बरगी बांध का बहुत खूबसूरत नजारा दिखता है. नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि "इस मंदिर के बारे में 6 पुराणों में भी उल्लेख है और धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो गौ हत्या और ब्रह्महत्या के दोष के निवारण की पूजा नंदिकेश्वर महादेव मंदिर में होती है."

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