जबलपुर। एमपी में स्थानीय निकायों में दल-बदल कानून लागू नहीं होने की वजह से स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधि जब चाहे तब दल-बदल कर सकते हैं और उन्हें पद से हटाया भी नहीं जा सकता. इसी का फायदा उठाकर जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. जबलपुर के कांग्रेसी पार्षद इस बात से बेहद खफा हैं कि कांग्रेसियों ने मेयर इन काउंसिल से इस्तीफा दे दिया है वहीं कानून के जानकारों का कहना है कि भले ही यह कानून लागू नहीं है लेकिन यदि कोई चाहेगा तो जनहित में वे इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.
कांग्रेसियों ने भला बुरा कहा
जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. जगत बहादुर सिंह ना केवल जबलपुर में महापौर थे बल्कि नगर कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे. इस बात से कांग्रेसियों को बड़ा धक्का लगा.जबलपुर नगर निगम में मेयर इन काउंसिल और कांग्रेस पार्षद अयोध्या तिवारी ने बताया कि जगत बहादुर सिंह ने कायरता का परिचय दिया है. यहां तक की अयोध्या तिवारी ने जगत बहादुर के लिए काफी अपशब्द भी कहे.
मेयर इन काउंसिल भंग हुई
जगत बहादुर ने कांग्रेस छोड़ दी इसलिए जगत बहादुर के साथ जो कांग्रेसी पार्षद मेयर इन काउंसिल में थे, उन्होंने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है. कांग्रेसी पार्षद अमित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है.उनका कहना है कि जगत बहादुर सिंह ने जबलपुर की जनता के साथ धोखा किया है. उन्होंने चुनाव कांग्रेस के पंजा निशान पर लड़ा और अब उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया. कांग्रेसियों ने जगत बहादुर सिंह को यह चुनौती भी दी है कि यदि हिम्मत है तो वह एक बार पद से भी इस्तीफा दें और दोबारा चुनाव लड़कर देखें. उन्हें इस बात का अंदाजा हो जाएगा की जीत उनकी नहीं हुई थी बल्कि कांग्रेस की थी.
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चुनाव नहीं होंगे
मध्य प्रदेश में दल-बदल कानून तो लागू है लेकिन यह केवल सांसद और विधायकों पर ही काम करता है. नगरी निकाय में इसे लागू नहीं किया गया है. कानून के जानकार एडवोकेट धर्मेंद्र सोनी का कहना है कि यह बात सही है कि मध्य प्रदेश में दल बदल कानून लागू है लेकिन यदि जबलपुर की जनता की ओर से कोई चाहे तो वह इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकता है.