जबलपुर : ग्वारीघाट और तिलवारा घाट के ठीक बीच में नर्मदा नदी में एक बहुत बड़ा गंदा नाला मिलता है. इसे खंदारी नाले के नाम से जाना जाता है. इस नाले से आधे शहर का गंदा पानी नर्मदा नदी में लगातार मिल रहा था. इसे लेकर लगातार कई आंदोलन भी हुए. नर्मदा भक्तों ने यह मांग उठाई की नर्मदा नदी में गंदा पानी मिलाने से रोका जाए. हाई कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई, जिसमें नर्मदा नदी में मिलने वाले गंदे पानी को नदी में मिलने से पहले ट्रीटमेंट करने की बात भी कही गई.
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में नगर निगम ने नाले के गंदे पानी को साफ करने के लिए एक एसटीपी प्लांट लगाया है. इस प्लांट में नाले के गंदे पानी को साफ किया जा रहा है और साफ करने के बाद ही इसे नर्मदा में छोड़ा जा रहा है. सोमवार को इस प्लांट का उद्घाटन करने मध्य प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जबलपुर पहुंचे. उनके साथ जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह भी मौजूद रहे. कैलाश विजयवर्गीय ने इस मौके पर कहा कि जबलपुर में तो गंदे नाले को नर्मदा नदी में मिलने से रोक दिया गया है, अब इसका साफ पानी ही नर्मदा नदी में जाएगा लेकिन वे पूरे प्रदेश में ऐसी कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी शहर का गंदा पानी नर्मदा नदी में ना मिले.
महापौर ने पिया नाले का पानी
जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने गंदे नाले के पानी को पीकर दिखाया. दरअसल, गंदे नाले का पानी एसटीपी प्लांट में जा रहा है और प्लांट में इसको फिल्टर किया जा रहा है. महापौर का दावा है कि नाले का जो पानी फिल्टर किया जा रहा है वह इतना साफ है कि उसे पिया जा सकता है और उन्होंने इस पानी को पीकर दिखाया.
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इस बड़े नाले से बड़े पैमाने पर गंदा पानी नर्मदा नदी में मिल रहा था लेकिन यह दावा पूरी तरह सही नहीं है कि एक नाले के गंदे पानी को साफ कर लेने के बाद जबलपुर में नर्मदा नदी में कोई दूसरा गंदा नाला नदी में नहीं मिल रहा. अभी भी कई छोटी-छोटी नाली और नालियां हैं जिनके माध्यम से गंदा पानी नर्मदा नदी तक पहुंचता है. नगर निगम का कहना है कि इन्हें भी साफ करने की कोशिश की जा रही है.