ETV Bharat / state

तीन पीढ़ियां, 59 गांव, अचानक आदिवासी हो गए भूमिहीन, चुनाव से पहले प्रशासन को बड़ी चेतावनी - Jabalpur tribals Boycott elections - JABALPUR TRIBALS BOYCOTT ELECTIONS

जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के हजारों आदिवासियों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है. सिहोरा विधानसभा क्षेत्र के करीब 59 गांवों के ग्रामीणों ने मतदान नहीं करने का फैसला किया है. इनका कहना है कि उनकी जमीन को प्रशासन ने औद्योगिक विभाग को सौंप दिया है. इस जमीन पर वे तीन पीढ़ियों से खेती करते आ रहे हैं.

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 16, 2024, 1:19 PM IST

Updated : Apr 16, 2024, 1:28 PM IST

जबलपुर के 59 आदिवासी गांवों में चुनाव बहिष्कार का ऐलान

जबलपुर। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों का कहना है कि वह पिछले एक माह से गांव के बाहर बैठकर आंदोलन कर अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. लेकिन जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनके पास समस्या हल करने नहीं आया. इसलिए उन्होंने अब गांव में रैली निलकालते हुए मतदान न करने का फैसला लेते हुए घर घर तक संदेश दिया है. दरअसल, जबलपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर सिहोरा तहसील के हरगढ़ सरदा गांव से लगे प्रतापपुर, मझगवां, सरौली, घुघरा, पडरिया, धनवानी सहित करीब 59 गांवों के लोग भूमिहीन हो गए हैं. तीन पीढ़ियों से सरकारी जमीन को उपजाऊ बनाकर इस जमीन पर अनाज पैदा कर रहे आदिवासियों की करीब 700 एकड़ से ज्यादा जमीन जिला प्रशासन ने औद्योगिक क्षेत्र को आवंटित कर दी है.

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर के हजारों आदिवासियों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार कर दिया
Jabalpur tribals Boycott elections
एक माह से आंदोलन कर रहे आदिवासी परिवार

आदिवासियों की जमीन उद्योग विभाग को कर दी आवंटित

प्रदर्शन कर रहे हैं आदिवासियों का कहना है "2008 में जिला प्रशासन ने यह जमीन आदिवासियों से छुड़ाकर उद्योग विभाग को आवंटित कर दी थी. जिसके बाद से यह ग्रामीण लगातार लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. साथ ही आदिवासियों की इस जमीन पर औद्योगिक विकास निगम का बोर्ड लगा दिया गया है. जिसके चलते ग्रामीण आदिवासी आक्रोशित हो गए हैं. आदिवासि परिवारों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें जमीन से बेदखल किया गया तो लोकसभा चुनाव में मतदान का खुलकर बहिष्कार करेंगे." सरदा गांव के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हरगढ़ के सरदा गांव के 84 परिवारों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. करीब 84 परिवारों की 44 एकड़ जमीन को राजस्व विभाग को हस्तांतरित कर दिया है, जिस पर आदिवासी सहित अन्य परिवार खेती बाड़ी कर अपना गुजारा करते थे.

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार

एक माह से आंदोलन कर रहे आदिवासी परिवार

आदिवासियों ने इस जमीन को बचाने के लिए मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान न करने का फैसला लिया है. सरदा गांव की रहने वाली रश्मि कोल का कहना है "वह पिछले एक माह से जमीन वापसी को लेकर आंदोलन कर रही है लेकिन अभी तक कोई भी अधिकारी हमारा दर्द सुनने के लिए नहीं आया. पहले यह जमीन बंजर थी. हमारे पूर्वजों ने इसे उपजाऊ बनाया. आज जमीन हमसे छुड़ाकर उद्योग विभाग को दे दी. हम पूछना चाहते हैं देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से कि जब हमने बंजर जमीनर को उपजाऊ बनाया है तो हमसे आखिर क्यों छुड़ा रहे हैं."

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार
Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार

ALSO READ:

मंडला में सीएम की सभा में डैम प्रभावित ग्रामीणों ने दी चेतावनी, विस्थापन नहीं किया तो चुनाव का बहिष्कार

मंडला के बिरसा ग्राम में ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहण, जल सत्याग्रह कर चुनाव का बहिष्कार करेंगे लोग

आदिवासियों ने बंजर जमीन को बनाया था उपजाऊ

आदिवासी उत्थान महासंघ के तत्वावधान में प्रदर्शन कर रहे योगेश कोल का कहना है "पिछले 60 सालों से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर यहाँ खेती किसानी कर रहे हैं, जिसका ग्रामीण इसका लगान भी देते आ रहे है. इससे 59 गांवों के करीब 50-60 हजार लोग प्रभावित हुए. सभी गांव के लोगों ने फैसला लिया है कि वह इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे." इधर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है "मतदान करना हर एक नागरिक का कर्तव्य है लेकिन ग्रामीणों के द्वारा की जा रही मांग पर फिलहाल किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती है. हम केवल अपील कर सकते हैं कि वह मतदान जरूर करें."

जबलपुर के 59 आदिवासी गांवों में चुनाव बहिष्कार का ऐलान

जबलपुर। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों का कहना है कि वह पिछले एक माह से गांव के बाहर बैठकर आंदोलन कर अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. लेकिन जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनके पास समस्या हल करने नहीं आया. इसलिए उन्होंने अब गांव में रैली निलकालते हुए मतदान न करने का फैसला लेते हुए घर घर तक संदेश दिया है. दरअसल, जबलपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर सिहोरा तहसील के हरगढ़ सरदा गांव से लगे प्रतापपुर, मझगवां, सरौली, घुघरा, पडरिया, धनवानी सहित करीब 59 गांवों के लोग भूमिहीन हो गए हैं. तीन पीढ़ियों से सरकारी जमीन को उपजाऊ बनाकर इस जमीन पर अनाज पैदा कर रहे आदिवासियों की करीब 700 एकड़ से ज्यादा जमीन जिला प्रशासन ने औद्योगिक क्षेत्र को आवंटित कर दी है.

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर के हजारों आदिवासियों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार कर दिया
Jabalpur tribals Boycott elections
एक माह से आंदोलन कर रहे आदिवासी परिवार

आदिवासियों की जमीन उद्योग विभाग को कर दी आवंटित

प्रदर्शन कर रहे हैं आदिवासियों का कहना है "2008 में जिला प्रशासन ने यह जमीन आदिवासियों से छुड़ाकर उद्योग विभाग को आवंटित कर दी थी. जिसके बाद से यह ग्रामीण लगातार लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. साथ ही आदिवासियों की इस जमीन पर औद्योगिक विकास निगम का बोर्ड लगा दिया गया है. जिसके चलते ग्रामीण आदिवासी आक्रोशित हो गए हैं. आदिवासि परिवारों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें जमीन से बेदखल किया गया तो लोकसभा चुनाव में मतदान का खुलकर बहिष्कार करेंगे." सरदा गांव के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हरगढ़ के सरदा गांव के 84 परिवारों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. करीब 84 परिवारों की 44 एकड़ जमीन को राजस्व विभाग को हस्तांतरित कर दिया है, जिस पर आदिवासी सहित अन्य परिवार खेती बाड़ी कर अपना गुजारा करते थे.

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार

एक माह से आंदोलन कर रहे आदिवासी परिवार

आदिवासियों ने इस जमीन को बचाने के लिए मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान न करने का फैसला लिया है. सरदा गांव की रहने वाली रश्मि कोल का कहना है "वह पिछले एक माह से जमीन वापसी को लेकर आंदोलन कर रही है लेकिन अभी तक कोई भी अधिकारी हमारा दर्द सुनने के लिए नहीं आया. पहले यह जमीन बंजर थी. हमारे पूर्वजों ने इसे उपजाऊ बनाया. आज जमीन हमसे छुड़ाकर उद्योग विभाग को दे दी. हम पूछना चाहते हैं देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से कि जब हमने बंजर जमीनर को उपजाऊ बनाया है तो हमसे आखिर क्यों छुड़ा रहे हैं."

Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार
Jabalpur tribals Boycott elections
जबलपुर आदिवासी गांवों में चुनाव का बहिष्कार

ALSO READ:

मंडला में सीएम की सभा में डैम प्रभावित ग्रामीणों ने दी चेतावनी, विस्थापन नहीं किया तो चुनाव का बहिष्कार

मंडला के बिरसा ग्राम में ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहण, जल सत्याग्रह कर चुनाव का बहिष्कार करेंगे लोग

आदिवासियों ने बंजर जमीन को बनाया था उपजाऊ

आदिवासी उत्थान महासंघ के तत्वावधान में प्रदर्शन कर रहे योगेश कोल का कहना है "पिछले 60 सालों से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर यहाँ खेती किसानी कर रहे हैं, जिसका ग्रामीण इसका लगान भी देते आ रहे है. इससे 59 गांवों के करीब 50-60 हजार लोग प्रभावित हुए. सभी गांव के लोगों ने फैसला लिया है कि वह इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे." इधर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है "मतदान करना हर एक नागरिक का कर्तव्य है लेकिन ग्रामीणों के द्वारा की जा रही मांग पर फिलहाल किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती है. हम केवल अपील कर सकते हैं कि वह मतदान जरूर करें."

Last Updated : Apr 16, 2024, 1:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.