जबलपुर। 2023 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा के अधिकारियों के चयन के लिए प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया था. इस परीक्षा में कुछ सवाल ऐसे पूछे थे, जिनके जवाब के सही उत्तर सभी विकल्पों में नहीं थे. जब पीएससी ने अपनी आंसर शीट जारी की. उसमें भी इन सवालों के जवाबों को लेकर संदेह बना रहा. इसी को आधार बनाकर 50 से अधिक छात्रों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की.
संदेह के घेरे में कुछ सवालों के जवाब
जिसमें छात्रों ने यह दावा किया कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने जो सवाल पूछे थे. उनके जवाब संदेह के घेरे में है. इसलिए उनका सिलेक्शन प्रारंभिक परीक्षा में नहीं हो पाया. इनमें से ज्यादातर छात्र-छात्राओं को मेन्स या मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई करने के लिए मात्र एक या दो नंबर कम थे. इस मामले की सुनवाई लगातार कोर्ट में चल रही है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से इस मामले में जवाब भी मांगा है. जिसका अभी तक मध्य प्रदेश पीएससी सही तरीके से उत्तर नहीं दे पाई है.
हाई कोर्ट ने लगाई पीएससी को फटकार
इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होनी थी, लेकिन 11 मार्च को पीएससी मेंस के एग्जाम है. इसलिए याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अंशुल तिवारी ने हाईकोर्ट में आवेदन दिया था कि इन छात्र-छात्राओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति मिले. इस मामले की सुनवाई 11 मार्च के पहले करवाई जाए. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीएससी को फटकार लगाते हुए इस मामले से जुड़े हुए तमाम दस्तावेज जल्द पेश करने का आदेश दिया है.
7 मार्च को होगी पीएससी से जुड़े मामले की सुनवाई
कोर्ट ने अंशुल तिवारी की मांग को जायज मानते हुए अब इस मामले की सुनवाई 7 मार्च के लिए तय कर दी है. वहीं जिन छात्रों ने कोर्ट में याचिका लगाई है. उन्हें मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है. हालांकि एडवोकेट अंशुल तिवारी का कहना है कि 'यह अंतरिम आदेश है और इन छात्रों को मिली हुई अनुमति कोर्ट के आदेश पर निर्भर रहेगी. यदि निर्णय इन छात्रों के पक्ष में हुआ तो यह परीक्षा दे पाएंगे और यदि निर्णय इन छात्रों के खिलाफ हुआ तो परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिलेगा.