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आपसी समझौते के बावजूद पति नहीं दे रहा था भरण-पोषण की राशि,हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश - husband not paid maintenance

Jabalpur High Court News: जबलपुर हाईकोर्ट ने पति से आपसी समझौते के तहत अलग हुई महिला को भरण पोषण देने के आदेश जारी किए हैं.कुटुंब न्यायालय ने महिला के आवेदन को खारिज कर दिया था.

jabalpur high court order
हाईकोर्ट ने महिला को भरण पोषण देने के दिए आदेश
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 3, 2024, 7:35 PM IST

जबलपुर। पति से अलग हुई पत्नी के भरण-पोषण के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने महिला को प्रति माह 5 हजार तथा बच्चों को ढाई हजार रुपये भरण पोषण की राशि देने के आदेश जारी किये हैं.इसी मामले को कुटुंब न्यायालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि महिला आपसी सहमति से पति से अलग हुई है,इसलिये वह भरण पोषण की हकदार नहीं है.जबकि आपसी सहमति के तहत पति ने महिला को भरण-पोषण की राशि देने का वादा किया था. इसी फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने पाया कि महिला साजिश की शिकार हुई है. एकलपीठ ने महिला सहित उसके दोनों बच्चों के लिए भरण-पोषण की राशि निर्धारित की है.

कुटुंब न्यायालय ने खारिज कर दिया था मामला

कुटुंब न्यायालय ने भरण-पोषण के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि आपसी सहमति से वह पति से अलग हुई है. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल घगट की एकलपीठ ने पाया कि आपसी समझौते के तहत पति ने महिला को भरण-पोषण की राशि का वादा किया था और महिला साजिश की शिकार हुई है.

क्या है मामला

याचिकाकर्ता नगीना बानो तथा उसके 18 और 11 वर्षीय बच्चों की तरफ से यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि नगीना बानो का विवाह मुस्लिम रीति रिवाज के साथ मो. नईम से जून 1994 में हुआ था. विवाह के बाद उसने दो बच्चों को जन्म दिया था. इसके बाद पति ने दूसरी औरत से संबंध स्थापित कर लिये. जिसके कारण दोनों आपसी सहमति से अलग हुए थे. आपसी सहमति के अनुसार पति उसे भरण पोषण के लिए प्रति माह दो हजार रुपये प्रदान करेगा. इसके अलावा एक एकड़ कृषि भूमि देगा.आपसी समझौता जुलाई 2019 में हुआ था. जिसका पालन पति के द्वारा नहीं किया गया. जिसके बाद उसने भरण-पोषण की राशि के लिए कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन दायर किया था. कुटुम्ब न्यायालय ने इस आधार पर आवेदन खारिज कर दिया था कि स्वेच्छा से अलग होने के कारण वह भरण-पोषण की राशि पाने की हकदार नहीं है.

ये भी पढ़ें:

हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल घगट की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि एक पक्षीय कार्यवाही की चेतावनी देने के बावजूद भी अनावेदक पति की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ. एकलपीठ ने भरण-पोषण की राशि के लिए आवेदन प्रस्तुत किये जाने की तिथि से महिला को प्रति माह 5 हजार तथा बच्चों को ढाई हजार रुपये भरण पोषण की राशि देने के आदेश जारी किये हैं. बकाया राशि का भुगतान 6 माह में किये के आदेश भी एकलपीठ ने जारी किये हैं.

जबलपुर। पति से अलग हुई पत्नी के भरण-पोषण के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने महिला को प्रति माह 5 हजार तथा बच्चों को ढाई हजार रुपये भरण पोषण की राशि देने के आदेश जारी किये हैं.इसी मामले को कुटुंब न्यायालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि महिला आपसी सहमति से पति से अलग हुई है,इसलिये वह भरण पोषण की हकदार नहीं है.जबकि आपसी सहमति के तहत पति ने महिला को भरण-पोषण की राशि देने का वादा किया था. इसी फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने पाया कि महिला साजिश की शिकार हुई है. एकलपीठ ने महिला सहित उसके दोनों बच्चों के लिए भरण-पोषण की राशि निर्धारित की है.

कुटुंब न्यायालय ने खारिज कर दिया था मामला

कुटुंब न्यायालय ने भरण-पोषण के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि आपसी सहमति से वह पति से अलग हुई है. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल घगट की एकलपीठ ने पाया कि आपसी समझौते के तहत पति ने महिला को भरण-पोषण की राशि का वादा किया था और महिला साजिश की शिकार हुई है.

क्या है मामला

याचिकाकर्ता नगीना बानो तथा उसके 18 और 11 वर्षीय बच्चों की तरफ से यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि नगीना बानो का विवाह मुस्लिम रीति रिवाज के साथ मो. नईम से जून 1994 में हुआ था. विवाह के बाद उसने दो बच्चों को जन्म दिया था. इसके बाद पति ने दूसरी औरत से संबंध स्थापित कर लिये. जिसके कारण दोनों आपसी सहमति से अलग हुए थे. आपसी सहमति के अनुसार पति उसे भरण पोषण के लिए प्रति माह दो हजार रुपये प्रदान करेगा. इसके अलावा एक एकड़ कृषि भूमि देगा.आपसी समझौता जुलाई 2019 में हुआ था. जिसका पालन पति के द्वारा नहीं किया गया. जिसके बाद उसने भरण-पोषण की राशि के लिए कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन दायर किया था. कुटुम्ब न्यायालय ने इस आधार पर आवेदन खारिज कर दिया था कि स्वेच्छा से अलग होने के कारण वह भरण-पोषण की राशि पाने की हकदार नहीं है.

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हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल घगट की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि एक पक्षीय कार्यवाही की चेतावनी देने के बावजूद भी अनावेदक पति की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ. एकलपीठ ने भरण-पोषण की राशि के लिए आवेदन प्रस्तुत किये जाने की तिथि से महिला को प्रति माह 5 हजार तथा बच्चों को ढाई हजार रुपये भरण पोषण की राशि देने के आदेश जारी किये हैं. बकाया राशि का भुगतान 6 माह में किये के आदेश भी एकलपीठ ने जारी किये हैं.

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