जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बीएससी नर्सिंग के सत्र 2023-24 को लेकर नर्सिंग काउंसिल से जवाब मांगा है. सरकारी नर्सिंग कॉलेज में तो यह सत्र शून्य घोषित कर दिया गया है, लेकिन निजी कॉलेजों में बड़े पैमाने पर छात्रों को एडमिशन दिया गया है. वकीलों का दावा है कि यह एडमिशन नियम विरुद्ध तरीके से हुए हैं, इसलिए इन्हें निरस्त किया जाए. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल से इस बारे में जवाब मांगा है.
बीएससी नर्सिंग में एडमिशन को लेकर हुई सुनवाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 28 अगस्त को बीएससी नर्सिंग की 2023 और 2024 की मान्यता को लेकर सुनवाई हुई. सरकारी कॉलेजों ने बीएससी नर्सिंग के सत्र 2023-24 के लिए एडमिशन नहीं दिए हैं. एडमिशन की तारीख भी निकल चुकी है और सरकारी मेडिकल कॉलेज की ओर से हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है कि उन्होंने इस सत्र को शून्य घोषित किया है. 2023-24 में बीएससी नर्सिंग के प्रथम वर्ष कोई पढ़ाई नहीं होगी.
निजी कॉलेजों ने दिए छात्रों को एडमिशन
निजी कॉलेजों को इस बात की उम्मीद थी कि उन्हें 2023-24 के सत्र के लिए एडमिशन की अनुमति मिल जाएगी. इसी वजह से निजी कॉलेजों ने 2023-24 के फर्स्ट ईयर के लिए बच्चों को एडमिशन दे दिया और इनसे फीस भी जमा करवा ली. इस याचिका में पैरवी कर रहे एडवोकेट विशाल बघेल ने बताया कि ''निजी कॉलेजों ने नियम विरुद्ध तरीके से एडमिशन दिया है, क्योंकि निजी कॉलेजों में मान्यता को लेकर सीबीआई जांच चल रही थी और हाईकोर्ट ने स्पष्ट कह दिया था कि आगे के सारे एडमिशन और मान्यता की कार्यवाही हाई कोर्ट के आदेश पर होगी और अभी तक हाई कोर्ट से निजी कॉलेजों को एडमिशन देने की अनुमति नहीं मिली थी. इसलिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों से जवाब मांगा है कि आखिर इन लोगों ने किस आधार पर एडमिशन दिया और अब इनका क्या निर्णय किया जाए.''
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5 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
नर्सिंग काउंसिल निजी कॉलेजों में एडमिशन की वस्तु स्थिति हाईकोर्ट के सामने रखेगा. ऐसी संभावना है कि यह एडमिशन हजारों की संख्या में हैं. इस मामले में हाईकोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जब तक हाई कोर्ट आदेश नहीं देगा तब तक निजी कॉलेज किसी को एडमिशन नहीं देंगे. इसके बावजूद कई निजी कॉलेजों ने हजारों छात्रों को एडमिशन दे दिए हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी.