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कानूनी प्रक्रिया के बिना लिया गया तलाक मान्य नहीं, दहेज प्रताड़ना के मामले में कोर्ट की टिप्पणी - Highcourt on mutual divorce

आपसी सहमति से लिए गए तलाक के बाद दहेज प्रताड़ना के मामले में कोर्ट ने आदेश सुनाया है. दरअसल, एक पक्ष ने तलाक के बाद महिला द्वारा की गई दहेज प्रताड़ना की एफआईआर को खारिज करने की अपील की थी, जिसे जबलपुर हाईकोर्ट कोर्ट ने ठुकरा दिया है.

JABALPUR HIGHCOURT ON MUTUAL DIVORCE
तलाक और दहेज प्रताड़ना के मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 1:42 PM IST

जबलपुर. हाईकोर्ट में तलाक के बाद दहेज प्रताड़ना के तहत एफआईआर दर्ज करवाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि दोनों पक्ष मुस्लिम वर्ग के नहीं हैं. इसलिए कानूनी दृष्टि से आपसी समझौते और बिना कानूनी प्रक्रिया के लिया गया तलाक मान्य नहीं है. एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि नोटरी ने आपसी तलाक के समझौता पत्र को कैसे नोटिराइज कर दिया, यह भी गंभीर चिंता का विषय है.

क्या है पूरा मामला?

वडोदरा निवासी रविंद्र प्रताप, उसके पिता गोपाल सिंह व मां कोमल सिंह की ओर से दायर याचिका में अनावेदिका राकेश सिसोदिया की द्वारा लगाए गए दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज किए जाने की अपील की गई थी. याचिका में कहा गया था कि रविंद्र का उसकी पत्नी से आपसी समझौते के तहत तलाक हो गया था. तलाक के बाद अनावेदिका ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. याचिका के साथ आपसी समझौते के तहत किए गए तलाक के नोटिराइज दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए थे. दलील दी गई कि अनावेदिका पहले से शादीशुदा थी. याचिकाकर्ता की ओर से वैदिक विवाह एव संस्कार समिति का सर्टिफिकेट भी प्रस्तुत किया गया था.

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कोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अनावेदिका के द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में सभी आवेदकों के खिलाफ विशेष आरोप लगाया है. शादी के बाद पति ने उससे शारीरिक संबंध स्थापित नहीं किए. दहेज में कार व दस लाख रु की मांग करते हुए उसे प्रताड़ित करते हुए मारपीट की गई. काउंसलिंग के बाद भी उसके साथ मारपीट की गई. विशेष आरोप होने के कारण एकलपीठ ने एफआईआर को खारिज करने से इंकार कर दिया. एकलपीठ ने विवाह के संबंध में पेश किए गए सर्टिफिकेट की प्रमाणिकता के संबंध में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

जबलपुर. हाईकोर्ट में तलाक के बाद दहेज प्रताड़ना के तहत एफआईआर दर्ज करवाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि दोनों पक्ष मुस्लिम वर्ग के नहीं हैं. इसलिए कानूनी दृष्टि से आपसी समझौते और बिना कानूनी प्रक्रिया के लिया गया तलाक मान्य नहीं है. एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि नोटरी ने आपसी तलाक के समझौता पत्र को कैसे नोटिराइज कर दिया, यह भी गंभीर चिंता का विषय है.

क्या है पूरा मामला?

वडोदरा निवासी रविंद्र प्रताप, उसके पिता गोपाल सिंह व मां कोमल सिंह की ओर से दायर याचिका में अनावेदिका राकेश सिसोदिया की द्वारा लगाए गए दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज किए जाने की अपील की गई थी. याचिका में कहा गया था कि रविंद्र का उसकी पत्नी से आपसी समझौते के तहत तलाक हो गया था. तलाक के बाद अनावेदिका ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. याचिका के साथ आपसी समझौते के तहत किए गए तलाक के नोटिराइज दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए थे. दलील दी गई कि अनावेदिका पहले से शादीशुदा थी. याचिकाकर्ता की ओर से वैदिक विवाह एव संस्कार समिति का सर्टिफिकेट भी प्रस्तुत किया गया था.

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एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अनावेदिका के द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में सभी आवेदकों के खिलाफ विशेष आरोप लगाया है. शादी के बाद पति ने उससे शारीरिक संबंध स्थापित नहीं किए. दहेज में कार व दस लाख रु की मांग करते हुए उसे प्रताड़ित करते हुए मारपीट की गई. काउंसलिंग के बाद भी उसके साथ मारपीट की गई. विशेष आरोप होने के कारण एकलपीठ ने एफआईआर को खारिज करने से इंकार कर दिया. एकलपीठ ने विवाह के संबंध में पेश किए गए सर्टिफिकेट की प्रमाणिकता के संबंध में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

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