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पैरेंट्स की संपत्ति में हिस्सा मिले या नहीं, संतान को भरण-पोषण करना होगा : हाईकोर्ट - Parents Maintenance Rules

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि माता-पिता को भरण-पोषण नहीं देने का आधार ये नहीं हो सकता कि संतान को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिला. कोर्ट ने बेटे की ये दलीलें खारिज कर दी कि माता-पिता ने अपनी संपत्ति का हिस्सा अन्य बेटों को दिया लेकिन उसे कुछ नहीं मिला.

Parents Maintenance Rules
संपत्ति में हिस्सा मिले या नहीं, पैरेंट्स का भरण पोषण करना होगा (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 11, 2024, 7:45 PM IST

जबलपुर। माता-पिता के भारण-पोषण अधिकार के तहत निर्धारित की गयी राशि के आदेश को चुनौती देते हुए बेटे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि मां ने अपनी सम्पत्ति तीनों बेटे के नाम कर दी है. सम्पति में उसे कोई हिस्सा नहीं दिया गया. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने याचिका को निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा "संपत्ति नहीं मिलने पर भी संतान का कर्तव्य है कि माता-पिता का भरण-पोषण करें."

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में ये दलीलें दी

नरसिंहपुर निवासी गोविंद लोधी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि उसकी मां हल्की बाई ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण अधिकार 2007 के तहत एसडीएम के समक्ष आवेदन दायर किया है. एसडीएम ने चारों बेटों को तीन-तीन हजार रुपये देने के आदेश जारी किए. इसके खिलाफ उसने अपील दायर की. अपील की सुनवाई करते हुए अपर कलेक्टर ने भरण-पोषण की राशि घटाकर दो-दो हजार रुपये कर दी. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि मां ने एसडीएम के समक्ष दायर आवेदन में कहा था कि बेटे ने भरण-पोषण का आश्वासन दिया था. जिस कारण उसने अपनी सम्पत्ति दे दी.

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जमीन का हिस्सा नहीं मिलने से व्यथित बेटा

याचिकाकर्ता का कहना है कि मां ने अपनी 8 एकड़ जमीन में से उसे एक टुकड़ा भी नहीं दिया. इसलिए उसे भरण-पोषण के दायित्व से मुक्त किया जाए. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का भी उल्लेख किया. एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा "माता-पिता को भरण-पोषण इस पर निर्भर नहीं है कि संतान को कितनी संपत्ति दी गई है. संतान का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता का भरण-पोषण करे." कोर्ट ने सलाह दी कि याचिकाकर्ता भूमि के असामान्य वितरण से व्यथित है तो सिविल मुकदमा दायर कर सकता है.

जबलपुर। माता-पिता के भारण-पोषण अधिकार के तहत निर्धारित की गयी राशि के आदेश को चुनौती देते हुए बेटे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि मां ने अपनी सम्पत्ति तीनों बेटे के नाम कर दी है. सम्पति में उसे कोई हिस्सा नहीं दिया गया. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने याचिका को निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा "संपत्ति नहीं मिलने पर भी संतान का कर्तव्य है कि माता-पिता का भरण-पोषण करें."

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में ये दलीलें दी

नरसिंहपुर निवासी गोविंद लोधी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि उसकी मां हल्की बाई ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण अधिकार 2007 के तहत एसडीएम के समक्ष आवेदन दायर किया है. एसडीएम ने चारों बेटों को तीन-तीन हजार रुपये देने के आदेश जारी किए. इसके खिलाफ उसने अपील दायर की. अपील की सुनवाई करते हुए अपर कलेक्टर ने भरण-पोषण की राशि घटाकर दो-दो हजार रुपये कर दी. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि मां ने एसडीएम के समक्ष दायर आवेदन में कहा था कि बेटे ने भरण-पोषण का आश्वासन दिया था. जिस कारण उसने अपनी सम्पत्ति दे दी.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि मां ने अपनी 8 एकड़ जमीन में से उसे एक टुकड़ा भी नहीं दिया. इसलिए उसे भरण-पोषण के दायित्व से मुक्त किया जाए. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का भी उल्लेख किया. एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा "माता-पिता को भरण-पोषण इस पर निर्भर नहीं है कि संतान को कितनी संपत्ति दी गई है. संतान का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता का भरण-पोषण करे." कोर्ट ने सलाह दी कि याचिकाकर्ता भूमि के असामान्य वितरण से व्यथित है तो सिविल मुकदमा दायर कर सकता है.

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