ETV Bharat / state

"जमानत निरस्त करने का आवदेन पेश करने में सावधानी बरतें", एमपी हाईकोर्ट ने सरकार को दी सलाह - MP High Court Advised GOVT - MP HIGH COURT ADVISED GOVT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक आरोपी की जमानत कैंसिल करने के आवेदन को खारिज कर दिया. ये आवेदन राज्य सरकार की ओर से लगाया गया. कोर्ट ने सरकार को सलाह दी कि इस प्रकार के आवेदन पेश करने में सावधानी रखनी चाहिए.

MP High Court Advised GOVT
एमपी हाईकोर्ट ने सरकार को दी सलाह (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 7:56 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि जमानत रद्द करने की शक्तियों का उपयोग न्यायालय को मशीनरी तरीके से नहीं करना चाहिए. एकलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जमानत निरस्त का आवेदन पेश करने में सावधानी बरतें. इसका उपयोग नियमित तरीके से नहीं किया जा सकता.

सीधी जिले में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला

सरकार की तरफ से सीधी जिले के चुरहट थाने में पॉक्सो तथा दुष्कर्म के तहत दर्ज अपराध के मामले में आरोपी की जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन दायर किया गया था. इस मामले में आरोपी अनिल साकेत को हाईकोर्ट से जुलाई 2022 को जमानत मिली थी. सरकार की तरफ से इस आधार पर जमानत रद्द करने का आवेदन पेश किया गया है कि आरोपी ने रिहा होने के बाद धारा 323,294,506 तथा 34 का अपराध किया है. आरोपी द्वारा न्यायालय से मिली स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया गया है.

ALSO READ :

"लंबित विभागीय जांच के आधार पर कैसे कर दिया निलंबन" एमपी हाईकोर्ट ने सहकारी बैंक के CEO को दी राहत

"मनमाने तरीके से नहीं कर सकते अनिवार्य सेवानिवृत्ति", एमपी हाईकोर्ट ने सरकार का आदेश किया निरस्त

एकलपीठ ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया

सरकार ने आवेदन में कोर्ट को बताया कि जमानत मिलने के बाद आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 437 का उल्लंघन किया गया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में सर्वोच्च तथा अन्य उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि जमानत रद्द करने की शक्तियों का उपयोग न्यायालय को यांत्रिकी तरीके से नहीं करना चाहिए. पूर्व में किये गये अपराध की प्रकृति, जिसमें जमानत दी गयी है और बाद के अपराध की प्रकृति के पहलू पर न्यायालय को विचार करना चाहिए. एकलपीठ ने जमानत रद्द करने का कोई आधार नहीं पाया. इस प्रकार सरकार के आवेदन को निरस्त कर दिया गया.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि जमानत रद्द करने की शक्तियों का उपयोग न्यायालय को मशीनरी तरीके से नहीं करना चाहिए. एकलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जमानत निरस्त का आवेदन पेश करने में सावधानी बरतें. इसका उपयोग नियमित तरीके से नहीं किया जा सकता.

सीधी जिले में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला

सरकार की तरफ से सीधी जिले के चुरहट थाने में पॉक्सो तथा दुष्कर्म के तहत दर्ज अपराध के मामले में आरोपी की जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन दायर किया गया था. इस मामले में आरोपी अनिल साकेत को हाईकोर्ट से जुलाई 2022 को जमानत मिली थी. सरकार की तरफ से इस आधार पर जमानत रद्द करने का आवेदन पेश किया गया है कि आरोपी ने रिहा होने के बाद धारा 323,294,506 तथा 34 का अपराध किया है. आरोपी द्वारा न्यायालय से मिली स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया गया है.

ALSO READ :

"लंबित विभागीय जांच के आधार पर कैसे कर दिया निलंबन" एमपी हाईकोर्ट ने सहकारी बैंक के CEO को दी राहत

"मनमाने तरीके से नहीं कर सकते अनिवार्य सेवानिवृत्ति", एमपी हाईकोर्ट ने सरकार का आदेश किया निरस्त

एकलपीठ ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया

सरकार ने आवेदन में कोर्ट को बताया कि जमानत मिलने के बाद आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 437 का उल्लंघन किया गया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में सर्वोच्च तथा अन्य उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि जमानत रद्द करने की शक्तियों का उपयोग न्यायालय को यांत्रिकी तरीके से नहीं करना चाहिए. पूर्व में किये गये अपराध की प्रकृति, जिसमें जमानत दी गयी है और बाद के अपराध की प्रकृति के पहलू पर न्यायालय को विचार करना चाहिए. एकलपीठ ने जमानत रद्द करने का कोई आधार नहीं पाया. इस प्रकार सरकार के आवेदन को निरस्त कर दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.