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चीटियों से परेशान मजदूर ने ध्वस्त किया अपना ही आशियाना, सरकार से कहा 'अब दोगे पीएम आवास' - जबलपुर किसान ने गिराया घर

Jabalpur Farmer Demolish Own house: जबलपुर के शाहपुरा में एक मजदूर किसान ने बड़े प्यार से बनाया अपना आशियाना अपने ही हाथों गिरा दिया. मकान को जमींदोज करने के पीछे की वजह बेदह चौंकाने वाला है, जिसे सुनकर जिला प्रशासन भी हैरान रह गया. मामला घर में चीटियों के निकलने से जुड़ा है, जिसे लेकर किसान काफी परेशान था.

ant causes Farmer House collapse
जबलपुर में किसान ने खुद गिराया अपना घर चाटियों के आतंक से था परेशान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 4, 2024, 5:42 PM IST

Updated : Mar 4, 2024, 7:31 PM IST

जबलपुर में किसान ने खुद गिराया अपना घर

जबलपुर। जिले के शाहपुरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत खैरी में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जिसमें एक मजदूर सुखचैन बर्मन ने अपने ही घर को गिरा दिया. सुखचैन बर्मन का कहना है कि 'वह बीते 2 सालों से अपने घर में निकलने वाली काली चीटियों से परेशान था. यह बड़े साइज के चीटे, उसे जीने नहीं दे रहे थे, उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं, उन्हें यह काटते थे. उसने बहुत कोशिश की, लेकिन यह चीटें खत्म नहीं हो रहे थे. उसने कई बार इनको खत्म करने के लिए पाउडर डालें. दूसरे उपाय किए, जब कुछ नहीं हुआ तो घर ही गिरा दिया.

चाटियों से परेशान किसान सुखचैन

घरों में अक्सर चीटियां निकल आती हैं. शहरी इलाकों में पक्के घरों में रहने वाले लोगों को इस बात का आभास कम है, लेकिन गांव में यह छोटा सा प्राणी लोगों को बहुत परेशान करता है. अक्सर लोगों के खाने-पीने के समान को बर्बाद कर देते हैं. वहीं यदि जरूरत से ज्यादा हो जाए तो लोगों का जीना तक दूभर हो जाता है. सुखचैन इसी का एक उदाहरण है. सुखचैन मजदूरी करता है. वह एक खेतीहर मजदूर है. इसलिए उसकी आमदनी बहुत कम है. इसी वजह से वह पक्का घर कभी नहीं बना पाया. गांव में बाकी लोगों को प्रधानमंत्री आवास के पक्के घर मिले हैं, लेकिन सुखचैन को यह सुविधा भी नहीं मिल पाई.

farmer demolished his house in jabalpur
किसान द्वारा गिराए गए घर की तस्वीर

सुखचैन को पक्के मकान की दरकार

सुखचैन का कहना है कि 'यदि सरकार उसकी मदद कर दे तो उसे भी प्रधानमंत्री आवास मिल सकता है. जिससे वह पक्के घर में रह सकता है. एक बार घर पक्का हो गया, तो उसे इन चीटियों से भी मुक्ति मिल जाएगी और उसके बच्चे भी आराम से रह सकेंगे.' दरअसल गांव में भी स्थानीय राजनीति की वजह से राजनीतिक दखल वाले लोगों को ही पहले सुविधा मिलती है. ऐसी स्थिति में सुखचैन को मकान नहीं मिला. जबकि सुखचैन जैसे गरीब जिन्हें दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

यहां पढ़ें...

भले ही सरकार दावा करती हो जबलपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में 5000 से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास बनाए गए हैं, लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर गरीबों के पास पक्के मकान नहीं है. इसकी वजह से लोगों को कच्चे मकान में परेशानियों के साथ गुजर बसर करना पड़ रहा है.

जबलपुर में किसान ने खुद गिराया अपना घर

जबलपुर। जिले के शाहपुरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत खैरी में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जिसमें एक मजदूर सुखचैन बर्मन ने अपने ही घर को गिरा दिया. सुखचैन बर्मन का कहना है कि 'वह बीते 2 सालों से अपने घर में निकलने वाली काली चीटियों से परेशान था. यह बड़े साइज के चीटे, उसे जीने नहीं दे रहे थे, उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं, उन्हें यह काटते थे. उसने बहुत कोशिश की, लेकिन यह चीटें खत्म नहीं हो रहे थे. उसने कई बार इनको खत्म करने के लिए पाउडर डालें. दूसरे उपाय किए, जब कुछ नहीं हुआ तो घर ही गिरा दिया.

चाटियों से परेशान किसान सुखचैन

घरों में अक्सर चीटियां निकल आती हैं. शहरी इलाकों में पक्के घरों में रहने वाले लोगों को इस बात का आभास कम है, लेकिन गांव में यह छोटा सा प्राणी लोगों को बहुत परेशान करता है. अक्सर लोगों के खाने-पीने के समान को बर्बाद कर देते हैं. वहीं यदि जरूरत से ज्यादा हो जाए तो लोगों का जीना तक दूभर हो जाता है. सुखचैन इसी का एक उदाहरण है. सुखचैन मजदूरी करता है. वह एक खेतीहर मजदूर है. इसलिए उसकी आमदनी बहुत कम है. इसी वजह से वह पक्का घर कभी नहीं बना पाया. गांव में बाकी लोगों को प्रधानमंत्री आवास के पक्के घर मिले हैं, लेकिन सुखचैन को यह सुविधा भी नहीं मिल पाई.

farmer demolished his house in jabalpur
किसान द्वारा गिराए गए घर की तस्वीर

सुखचैन को पक्के मकान की दरकार

सुखचैन का कहना है कि 'यदि सरकार उसकी मदद कर दे तो उसे भी प्रधानमंत्री आवास मिल सकता है. जिससे वह पक्के घर में रह सकता है. एक बार घर पक्का हो गया, तो उसे इन चीटियों से भी मुक्ति मिल जाएगी और उसके बच्चे भी आराम से रह सकेंगे.' दरअसल गांव में भी स्थानीय राजनीति की वजह से राजनीतिक दखल वाले लोगों को ही पहले सुविधा मिलती है. ऐसी स्थिति में सुखचैन को मकान नहीं मिला. जबकि सुखचैन जैसे गरीब जिन्हें दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

यहां पढ़ें...

भले ही सरकार दावा करती हो जबलपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में 5000 से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास बनाए गए हैं, लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर गरीबों के पास पक्के मकान नहीं है. इसकी वजह से लोगों को कच्चे मकान में परेशानियों के साथ गुजर बसर करना पड़ रहा है.

Last Updated : Mar 4, 2024, 7:31 PM IST
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