जबलपुर: नए साल के मौके पर मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियां महंगाई का तोहफा देने जा रही हैं. कंपनयों ने 7.5% की दर से बिजली के दाम बढ़ाने की याचिका विद्युत नियामक आयोग के सामने पेश की है, जिसका अंतिम फैसला अप्रैल से पहले होगा. नई दरें अप्रैल के बाद से लागू होने की संभावना है. हालांकि बीच में जनसुनवाई है. यदि लोग आपत्ति करते हैं तो कुछ राहत मिल सकती है. बिजली मामलों के जानकार रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है "विद्युत नियामक आयोग के सामने मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने याचिका पेश की है, जिसमें बिजली बिलों में 7.5 2% की बढ़ोतरी करने की अनुमति मांगी है."
बिजली कंपनियों ने प्रस्ताव में क्या तर्क रखे
बिजली के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने बताया "याचिका में कहा गया है कि बिजली कंपनियां को 2023-24 में 54637 करोड़ रुपए की आय हुई है और 54637 करोड़ का ही खर्च हुआ है लेकिन 2025-26 में बिजली कंपनियों ने अतिरिक्त राशि की जरूरत बताई है. बिजली कंपनियों का कहना है कि उन्हें 2025-26 में 58744 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. इसलिए बिजली की दरें बढ़ाना चाहते हैं." राजेंद्र अग्रवाल का कहना है "वर्तमान में बिजली कंपनियां घाटे में नहीं हैं. जितनी जरूरत है उतनी आय भी बिजली कंपनियों को हो रही है. इसलिए बिजली बिल बढ़ाना ठीक नहीं होगा."
बिजली बिलों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर एक नजर
विद्युत कंपनियां बिजली बिलों की दरों को 7.52% बढ़ाना चाहती हैं
स्लैब के अनुसार बढ़ोतरी का प्रस्ताव
50 यूनिट तक
वर्तमान दर 4.27/-रुपये
प्रस्तावित दर 4.59/-(32 पैसे बढ़ोतरी )
51- 150 यूनिट तक
वर्तमान दर 5.23/रुपये
प्रस्तावित दर 5.62/-(39 पैसे बढ़ोतरी )
150-300 यूनिट तक
वर्तमान दर 6.61/रुपये
प्रस्तावित दर 7.11/(50 पैसे बढ़ोतरी )
300 यूनिट से ज़्यादा
वर्तमान दर 6.80/ रुपये
प्रस्तावित दर 7.11/-(31 पैसे बढ़ोतरी )
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24 जनवरी तक आपत्तियां आमंत्रित
बिजली मामलों के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने बताया "इस मामले में 24 जनवरी तक आपत्तियां आमंत्रित की गई है, जिन्हें ऑनलाइन विद्युत नियामक आयोग की वेबसाइट पर सबमिट किया जा सकता है. इसके साथ ही 11 फरवरी को जबलपुर में और 14 फरवरी को भोपाल में जनसुनवाई भी रखी गई है, जिसमें लोग अपनी बात रख सकते हैं और बिजली बिलों के बढ़ोतरी पर आपत्ति जता सकते हैं. मध्यम वर्ग की आय इतनी नहीं बढ़ रही है जितनी महंगाई बढ़ रही है. बिजली घर की मुख्य जरूरत में शामिल है और इसकी दरों के बढ़ने का मतलब सीधे-सीधे मध्यवर्ग की कमर तोड़ना है बिजली की बढ़ी हुई दरें लोगों के बजट बिगाड़ सकती हैं."