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लोको पायलट को क्यों लगाना पड़ा इमरजेंसी ब्रेक, तेज दिमाग ने बचाई हजारों की जिंदगी - Jabalpur DRM honored loco pilot

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 11:04 PM IST

मध्‍य प्रदेश के कटनी में ट्रेन के इंजन ड्राइवर सुनील श्रीवास्तव ने ओएचई को असाधारण तरीके से हिलते देखा. अंदेशा हुआ कि ट्रैक पर कोई बड़ा हादसा हुआ है. पैसेंजर गाड़ी की स्पीड़ लगभग 70-80 किमी प्रति घंटे पर थी. लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ही ट्रेन को खतरे से महज 800 मीटर पहले रोक दिया.

PATHARIA LOCO PILOT EMERGENCY BRAKE
इलेक्ट्रिक वायर हिलता देख लगाई इमरजेंसी ब्रेक (ETV Bharat)

जबलपुर: बीते बुधवार की शाम कटनी-दमोह रेलवे लाइन पर कोयले से भरी मालगाड़ी के 7 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. हादसे के वक्त वापी से पटना जाने वाली (वापी दानापुर एक्सप्रेस) ट्रेन पथरिया की तरफ से घटना स्थल की तरफ जा रही थी. लेकिन मालगाड़ी के हादसे वाले स्थान के कुछ दूर पहले ही ड्राइवर को खतरे का एहसास हुआ और उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर बड़े हादसे को रोक लिया. लोको पायलट की इस सूझबूझ के लिए डीआरएम रतलाम ने ड्राइवर और गार्ड को सम्मानित किया.

लोको पायलट का किया गया सम्मानित (ETV Bharat)

इलेक्ट्रिक वायर हिलता देख लगाई इमरजेंसी ब्रेक

बीते 14 अगस्त को दमोह जिले के पथरिया रेलवे स्टेशन के पास सुनील श्रीवास्तव उदय राज और संतोष लोधी एक पैसेंजर ट्रेन लेकर जा रहे थे. सुनील श्रीवास्तव इस गाड़ी के लोको पायलट थे. लोको पायलट सुनील की नजर बगल वाले ट्रैक पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि ट्रैक के ऊपर लगा इलेक्ट्रिक वायर तेजी से हिल रहा है. उन्हें इस तरह से वायर हिलने से आगे किसी खतरे का अंदेशा हुआ. सुनील ने संभावित खतरे से बचने के लिए गाड़ी का इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया. गाड़ी धीरे-धीरे रुक गई. जहां गाड़ी रुकी उसके मात्र 800 मीटर की दूरी पर बगल वाले ट्रैक पर सामने से आ रही मालगाड़ी के 7 डिब्बे पटरी से उतर थे, जिनमें से कुछ डिब्बे इस पैसेंजर ट्रेन के ट्रैक पर भी थे.

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लोको पायलट को किया गया सम्मानित

सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि, '''गर ब्रेक लगाने में लगभग 35 सेकंड की और देरी हुई होती तो ट्रेन नहीं रुक पाती और वह मालगाड़ी के डिब्बों में जाकर टकरा जाती जिससे बड़ा हादसा हो जाता और यात्रियों की जान भी जा सकती थी.'' दरअसल, मालगाड़ी के डिरेल होने के बाद उसके डिब्बे ट्रैक के ऊपर लगे इलेक्ट्रिक वायर में टकरा गए थे जिससे तार तेजी से हिलने लगा था और लोको पायलट की उसपर नजर पड़ गई और उन्होंने आगे के खतरे को भांप लिया. जबलपुर मंडल के डीआरएम विवेक शील का कहना है कि, ''हमारे रेलवे कर्मचारियों ने जो काम किया है उसकी वजह से हजारों लोगों की जान बची है. इसलिए स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन तीनों रेल कर्मचारियों का सम्मान किया गया.''

जबलपुर: बीते बुधवार की शाम कटनी-दमोह रेलवे लाइन पर कोयले से भरी मालगाड़ी के 7 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. हादसे के वक्त वापी से पटना जाने वाली (वापी दानापुर एक्सप्रेस) ट्रेन पथरिया की तरफ से घटना स्थल की तरफ जा रही थी. लेकिन मालगाड़ी के हादसे वाले स्थान के कुछ दूर पहले ही ड्राइवर को खतरे का एहसास हुआ और उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर बड़े हादसे को रोक लिया. लोको पायलट की इस सूझबूझ के लिए डीआरएम रतलाम ने ड्राइवर और गार्ड को सम्मानित किया.

लोको पायलट का किया गया सम्मानित (ETV Bharat)

इलेक्ट्रिक वायर हिलता देख लगाई इमरजेंसी ब्रेक

बीते 14 अगस्त को दमोह जिले के पथरिया रेलवे स्टेशन के पास सुनील श्रीवास्तव उदय राज और संतोष लोधी एक पैसेंजर ट्रेन लेकर जा रहे थे. सुनील श्रीवास्तव इस गाड़ी के लोको पायलट थे. लोको पायलट सुनील की नजर बगल वाले ट्रैक पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि ट्रैक के ऊपर लगा इलेक्ट्रिक वायर तेजी से हिल रहा है. उन्हें इस तरह से वायर हिलने से आगे किसी खतरे का अंदेशा हुआ. सुनील ने संभावित खतरे से बचने के लिए गाड़ी का इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया. गाड़ी धीरे-धीरे रुक गई. जहां गाड़ी रुकी उसके मात्र 800 मीटर की दूरी पर बगल वाले ट्रैक पर सामने से आ रही मालगाड़ी के 7 डिब्बे पटरी से उतर थे, जिनमें से कुछ डिब्बे इस पैसेंजर ट्रेन के ट्रैक पर भी थे.

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लोको पायलट को किया गया सम्मानित

सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि, '''गर ब्रेक लगाने में लगभग 35 सेकंड की और देरी हुई होती तो ट्रेन नहीं रुक पाती और वह मालगाड़ी के डिब्बों में जाकर टकरा जाती जिससे बड़ा हादसा हो जाता और यात्रियों की जान भी जा सकती थी.'' दरअसल, मालगाड़ी के डिरेल होने के बाद उसके डिब्बे ट्रैक के ऊपर लगे इलेक्ट्रिक वायर में टकरा गए थे जिससे तार तेजी से हिलने लगा था और लोको पायलट की उसपर नजर पड़ गई और उन्होंने आगे के खतरे को भांप लिया. जबलपुर मंडल के डीआरएम विवेक शील का कहना है कि, ''हमारे रेलवे कर्मचारियों ने जो काम किया है उसकी वजह से हजारों लोगों की जान बची है. इसलिए स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन तीनों रेल कर्मचारियों का सम्मान किया गया.''

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