जबलपुर। महिला दिवस के मौके पर जहां महिलाओं के सम्मान सुरक्षा और उनके अधिकारों को बढ़ाने की बात हो रही है वहीं डिंडोरी की पूर्व जनपद अध्यक्ष रंजीता परस्ते अपने आदिवासी और महिला होने का फायदा उठाकर एक सरकारी अधिकारी को बेवजह चप्पलों से मार रही हैं. उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह एक फर्जी बिल के जरिए सरकार के खजाने से पैसा निकालने की मांग कर रही हैं और जब वह उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होंने एक एसडीओ को बेवजह चप्पलों से मार दिया और उसके खिलाफ छेड़खानी का भी आरोप लगा दिया.
फर्जी बिल लेकर पहुंची जनपद ऑफिस
दरअसल रंजीता परस्ते ग्राम पंचायत काटीगहन में चल रहे नाली निर्माण में मूल्यांकन का एक फर्जी बिल लेकर जनपद ऑफिस पहुंची थी और 2 लाख के काम की जगह वे चार लाख रुपए की पेमेंट निकलवाना चाह रही हैं. इसलिए वे अपने साथ कुछ दूसरे ठेकेदारों को लेकर पहुंची थी. उन्होंने इस काम का वैल्यूएशन करने वाले अधिकारी के साथ जमकर बदतमीजी की और जब इस मामले में एसडीओ ने इस काम का वैल्यूएशन करने वाले इंजीनियर को फोन लगाया तो रंजीता परस्ते ने अपनी चप्पल उतारी और एसडीओ पंकज परिहार को मारना शुरू कर दिया.
एसडीओ पर चप्पल से हमला
एसडीओ पंकज परिहार का कहना है कि ''उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था की रंजीता परस्ते उनके ऊपर चप्पल से हमला करेंगी. वह न तो रंजीता परस्ते को पहचानते हैं और न ही यह मामला उनके संज्ञान में था. वह इस मामले की जानकारी ही ले रहे थे कि इस दौरान महिला ने उनके ऊपर हमला बोल दिया.'' पंकज परिहार का कहना है कि उनके ऊपर लगाया गया छेड़खानी का आरोप भी झूठा है. पंकज परिहार का कहना है कि ''उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात की है और अब इस मामले की शिकायत पुलिस में भी करेंगे.''
विवादों में रही हैं रंजीता परस्ते
रंजीता परस्ते अपने 2018 के कार्यकाल के दौरान भी इसी तरह एक एसडीओ को चप्पलों से मर चुकी हैं, लेकिन आदिवासी महिला होने की वजह से उन्हें यह संरक्षण मिल जाता है और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती. इस बार भी उन्होंने आदिवासी और महिला होने का फायदा उठाकर एक सरकारी कर्मचारी को सरेआम पीट दिया. आदिवासी महिला यदि किसी सामान्य वर्ग के आदमी के खिलाफ छेड़खानी का आरोप लगा दे तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है और इसमें कोर्ट से भी बड़ी मुश्किल से जमानत मिलती है. इसी का फायदा उठाकर कई झूठे मामले बनते हैं. ताजा मामले में तो वीडियो सामने है जिसमें झूठा आरोप लगाया गया है. अब देखना यह होगा कि इस आदिवासी नेता के खिलाफ सरकार क्या कार्यवाही कर पाती है.