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चॉकलेट ने बदली अमित नारायण की जिंदगी, यूं ही नहीं मिली चॉकलेटियर की पहचान - valentine day 2024

Jabalpur Chocolatier Amit Narayan: जबलपुर के अमित नारायण को लोग चॉकलेटियर के नाम से जानते हैं. चॉकलेट बनाना उनका शौक है. नौकरी जाने के बाद इसी प्रोफेशन ने उन्हें सहारा दिया. तभी तो अमित के लिए चॉकलेट बनाने मतलब जिंदगी जीने जैसा है.

jabalpur chocolatier amit narayan
चॉकलेट ने बदली अमित नारायण की जिंदगी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 8, 2024, 9:01 PM IST

चॉकलेट ने बदली अमित नारायण की जिंदगी

जबलपुर। जो चॉकलेट आपके लिए गिफ्ट देने या मीठा खाने का एक विकल्प है. उसे चॉकलेट की अहमियत अमित नारायण की जिंदगी में कुछ अलग ही है. वह चॉकलेट ही थी, जिसे अमित नारायण को जीने का एक नया तरीका दिया. अमित जबलपुर में होममेड चॉकलेट बनाकर न केवल अपना जीवन यापन कर रहे हैं, बल्कि चॉकलेट के मामले में कई नए प्रयोग कर रहे हैं.

नौकरी जाने के बाद चॉकलेट आई काम

चॉकलेट किसी के लिए एक छोटा सा मीठा हो सकता है, लेकिन अमित नारायण के लिए चॉकलेट का महत्व मीठे से कहीं ज्यादा है, बचपन में अमित नारायण चॉकलेट के साथ कुछ प्रयोग करते रहते थे. अलग-अलग तरह की चॉकलेट बनाना उनका शौक था, उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह चॉकलेट किसी दिन उन्हें विपत्ति के समय में मदद करेगी. अमित नारायण ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक टेलीकॉम कंपनी में नौकरी शुरू की. लगभग 15 साल नौकरी करने के बाद अचानक कंपनी बंद हो गई और हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली गई. अमित नारायण के पास कोई दूसरी नौकरी नहीं थी. काम का कोई दूसरा अनुभव भी नहीं था. लिहाजा अमित दिल्ली से जबलपुर लौटे और उन्होंने अपने शौक को ही अपना रोजगार का जरिया बनाने का निर्णय लिया.

jabalpur chocolatier amit narayan
अमित ने बनाई चॉकलेट

कैसे बनती है होममेड चॉकलेट

अमित बचपन में चॉकलेट खरीदते थे और उन्हें अलग-अलग शेप में बनाने की कोशिश करते थे, लेकिन वह बचपन का खेल था. अब उन्हें बाजार में बड़ी चॉकलेट कंपनियों के सामने अपने प्रोडक्ट को बेचना था. लिहाजा उन्होंने मुंबई के एक चॉकलेट इंस्टीट्यूट से चॉकलेट का कोर्स किया और इसके बाद उन्होंने चॉकलेट बनाना शुरू किया. अमित के पास कोई कारखाना नहीं था. इसलिए उन्होंने अपने घर में ही एक कमरे में वर्कशॉप शुरू की. आज भी अमित अपने घर से ही चॉकलेट बनाकर बाजार में बेचते हैं. अमित कई किस्म की रॉ चॉकलेट लेकर आते हैं और फिर उनमें नट्स और टेस्ट की नई चीज डालकर उन्हें अलग-अलग शेप में तैयार करते हैं. चॉकलेट में कुछ छोटी-छोटी बारीकियां होती हैं, जो अमित कहते हैं कि काम करते-करते ही समझ में आती हैं. चॉकलेट को मेल्ट करके उसे सांसों में डाला जाता है.

कहां बेचते हैं टॉफी

अमित ने सामान्य बाजार के अपेक्षा अपना बाजार अलग ढंग से तैयार किया. अमित की चॉकलेट के बॉक्स कभी स्कूल के बच्चों को बांटे जाते हैं, तो कभी शादियों में रिटर्न गिफ्ट के तौर पर मिलते हैं. जबलपुर की कुछ कार कंपनियां अपनी कार के साथ अमित की चॉकलेट भी ग्राहकों को देती हैं.

jabalpur chocolatier amit narayan
अमित को मिला सर्टिफिकेट

यहां पढ़ें...

वैलेंटाइंस से जुड़ी चॉकलेट

इन दिनों अमित हार्ट शेप की चॉकलेट बना रहे हैं, क्योंकि वेलेंटाइन वीक चल रहा है. इसमें एक दिन चॉकलेट के लिए भी होता है. इसीलिए अमित हार्टशिप की चॉकलेट बना रहे हैं. इसमें कई फ्लेवर ऐड करते हैं. अमित का कहना है कि उनकी कोशिश होती है कि हर बार ग्राहक को नया टेस्ट दिया जा सके. अमित हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. इसलिए वे जल्द ही एक चॉकलेट फज बना रहे हैं. उनका कहना है कि अभी तक चॉकलेट फज केवल मेट्रो शहरों में रहने वाले लोग ही खरीद पाए थे, लेकिन उनका कहना है कि स्वाद सभी के लिए है और इसे केवल बड़े शहरों तक सीमित रखना ठीक नहीं है. फिलहाल अमित अपने संघर्ष के दौर में हैं और धीरे-धीरे अपनी चाकलेट को लोगों की जुबान तक पहुंचा रहे हैं. उनका कहना है कि एक दिन चॉकलेट उन्हें बड़ी पहचान दिलाएगा.

चॉकलेट ने बदली अमित नारायण की जिंदगी

जबलपुर। जो चॉकलेट आपके लिए गिफ्ट देने या मीठा खाने का एक विकल्प है. उसे चॉकलेट की अहमियत अमित नारायण की जिंदगी में कुछ अलग ही है. वह चॉकलेट ही थी, जिसे अमित नारायण को जीने का एक नया तरीका दिया. अमित जबलपुर में होममेड चॉकलेट बनाकर न केवल अपना जीवन यापन कर रहे हैं, बल्कि चॉकलेट के मामले में कई नए प्रयोग कर रहे हैं.

नौकरी जाने के बाद चॉकलेट आई काम

चॉकलेट किसी के लिए एक छोटा सा मीठा हो सकता है, लेकिन अमित नारायण के लिए चॉकलेट का महत्व मीठे से कहीं ज्यादा है, बचपन में अमित नारायण चॉकलेट के साथ कुछ प्रयोग करते रहते थे. अलग-अलग तरह की चॉकलेट बनाना उनका शौक था, उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह चॉकलेट किसी दिन उन्हें विपत्ति के समय में मदद करेगी. अमित नारायण ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक टेलीकॉम कंपनी में नौकरी शुरू की. लगभग 15 साल नौकरी करने के बाद अचानक कंपनी बंद हो गई और हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली गई. अमित नारायण के पास कोई दूसरी नौकरी नहीं थी. काम का कोई दूसरा अनुभव भी नहीं था. लिहाजा अमित दिल्ली से जबलपुर लौटे और उन्होंने अपने शौक को ही अपना रोजगार का जरिया बनाने का निर्णय लिया.

jabalpur chocolatier amit narayan
अमित ने बनाई चॉकलेट

कैसे बनती है होममेड चॉकलेट

अमित बचपन में चॉकलेट खरीदते थे और उन्हें अलग-अलग शेप में बनाने की कोशिश करते थे, लेकिन वह बचपन का खेल था. अब उन्हें बाजार में बड़ी चॉकलेट कंपनियों के सामने अपने प्रोडक्ट को बेचना था. लिहाजा उन्होंने मुंबई के एक चॉकलेट इंस्टीट्यूट से चॉकलेट का कोर्स किया और इसके बाद उन्होंने चॉकलेट बनाना शुरू किया. अमित के पास कोई कारखाना नहीं था. इसलिए उन्होंने अपने घर में ही एक कमरे में वर्कशॉप शुरू की. आज भी अमित अपने घर से ही चॉकलेट बनाकर बाजार में बेचते हैं. अमित कई किस्म की रॉ चॉकलेट लेकर आते हैं और फिर उनमें नट्स और टेस्ट की नई चीज डालकर उन्हें अलग-अलग शेप में तैयार करते हैं. चॉकलेट में कुछ छोटी-छोटी बारीकियां होती हैं, जो अमित कहते हैं कि काम करते-करते ही समझ में आती हैं. चॉकलेट को मेल्ट करके उसे सांसों में डाला जाता है.

कहां बेचते हैं टॉफी

अमित ने सामान्य बाजार के अपेक्षा अपना बाजार अलग ढंग से तैयार किया. अमित की चॉकलेट के बॉक्स कभी स्कूल के बच्चों को बांटे जाते हैं, तो कभी शादियों में रिटर्न गिफ्ट के तौर पर मिलते हैं. जबलपुर की कुछ कार कंपनियां अपनी कार के साथ अमित की चॉकलेट भी ग्राहकों को देती हैं.

jabalpur chocolatier amit narayan
अमित को मिला सर्टिफिकेट

यहां पढ़ें...

वैलेंटाइंस से जुड़ी चॉकलेट

इन दिनों अमित हार्ट शेप की चॉकलेट बना रहे हैं, क्योंकि वेलेंटाइन वीक चल रहा है. इसमें एक दिन चॉकलेट के लिए भी होता है. इसीलिए अमित हार्टशिप की चॉकलेट बना रहे हैं. इसमें कई फ्लेवर ऐड करते हैं. अमित का कहना है कि उनकी कोशिश होती है कि हर बार ग्राहक को नया टेस्ट दिया जा सके. अमित हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. इसलिए वे जल्द ही एक चॉकलेट फज बना रहे हैं. उनका कहना है कि अभी तक चॉकलेट फज केवल मेट्रो शहरों में रहने वाले लोग ही खरीद पाए थे, लेकिन उनका कहना है कि स्वाद सभी के लिए है और इसे केवल बड़े शहरों तक सीमित रखना ठीक नहीं है. फिलहाल अमित अपने संघर्ष के दौर में हैं और धीरे-धीरे अपनी चाकलेट को लोगों की जुबान तक पहुंचा रहे हैं. उनका कहना है कि एक दिन चॉकलेट उन्हें बड़ी पहचान दिलाएगा.

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