जबलपुर। कला कभी किसी की मोहताज नहीं होती. बस खुद में जुनून होना चाहिए. अच्छा कलाकार हर महौल में अपनी कला को जीवित रखने का प्रयास करता है. इस कथन को सत्य साबित कर दिखाया है जेल में बंद कुछ कैदियों ने जो जबलपुर के नेताजी सुभाषचन्द्र बोस सेन्ट्रल जेल में तो बंद हैं, लेकिन इस जेल की चारदीवारी इनकी कला को कैद नही कर सकी. जेल में रहते हुये भी इन कैदियों ने अपनी कला को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए गणेशजी की मूर्तियों का निर्माण किया है.
सभी मूर्तियां ईको फ्रेंडली, पर्यावरण संरक्षण का संदेश
जबलपुर सेन्ट्रल जेल में सज़ा काट रहे कैदियों की कला अपना अलग रंग दिखा रही है. अलग-अलग अपराधों में सजा काट रहे कैदी मूर्तियां बनाने में लगे हैं. मूर्तियों की खास बात इनका ईको फ्रेंडली होना है, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही हैं. वाटर कलर और ब्रश के साथ साथ मिट्टी, गोबर और तुलसी के बीज से निर्मित भगवान गणेश की मूर्तिया इतनी मनोहारी हैं कि किसी का भी मन मोह लें. अपने अपराधों की सजा काट रहे कैदियों की कला का सम्मान करते हुए जेल प्रशसान ने मूर्तियां बनाने का सामान मुहैया कराया है. इन बंदियों ने जेल में बड़ी संख्या में भगवान गणेश की छोटी प्रतिमाएं तैयार की हैं.
जेल के काउंटर पर बिक्री के लिए लगेगा स्टॉल
कई रूपों में गणेश की इन मूर्तियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल के काउंटर पर आम लोगों के खरीदने के लिए रखा जाएगा ताकि लोग कैदियों की कला की हौसलाअफ़जाई करने के साथ इन्हें अपने घरों में विराजमान कर गणेशोत्सव धूमधाम से मनाएं. इसके साथ ही समय आने पर यह कैदी दीपावली में दीए बनाने का काम करते हैं तो वहीं नवरात्रि में मां दुर्गा की अलौकिक मूर्तियों का निर्माण करते हैं. साथ ही ये कैदी जेल के अंदर ही फर्नीचर इलेक्ट्रीशियन, आर्केस्ट्रा संगीत से लेकर हर तरह की कला में निपुण हैं.
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जेल से छूटने के बाद मूर्तियां बनाकर करेंगे भरण-पोषण
कैदियों का कहना है कि इस कला के जरिए जेल से छूटने के बाद वह अपना घर परिवार चला सकते हैं. उन्होंने जिंदगी में अपराध ना करने की भी कसम खाई है. कैदी निशांत कोरी और जय नारायण प्रजापति ने बताया "वे पहले से मूर्तियां बनाते आ रहे हैं." वहीं, उप जेलर मदन कमलेश का कहना है "इन मूर्ति को आप घर में ही विसर्जन कर सकते हैं, जो पर्यावरण के लिए सहायक हैं. इस बार 300 मूर्तियों का निर्माण किया गया है, जिन्हें 10 कैदियों ने मिलकर तैयार किया है." इसके अलावा शहर के अलग-अलग स्थान से मूर्तियों के ऑर्डर भी मिले हैं, जिन्हें डिमांड के आधार पर तैयार किया जा रहा है.