जबलपुर: सीबीएसई ने एक अभूतपूर्व फैसला लिया है, जिसके तहत अब सीबीएसई से संबंधित सभी स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की पुस्तक ही पढ़ाई जाएंगी. हालांकि, अभी यह नियम 9वीं से लेकर 12वीं तक अनिवार्य किया गया है. वहीं कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाने की सख्त सलाह दी है. यदि स्कूल अपनी मनमर्जी से किसी निजी प्रकाशक की पुस्तक चलाएंगे, तो उन्हें स्कूल की अपनी वेबसाइट में एक डिक्लेरेशन जारी करना होगा, कि यदि कुछ गलत हुआ तो उसके लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे.
निजी स्कूलों की नहीं चलेगी मनमर्जी
सेंट्रल बोर्ड सेकेंडरी एजुकेशन ने 12 अगस्त को एक सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर में यह स्पष्ट है कि अब सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की पुस्तकों के माध्यम से ही पढ़ाई करवाई जाएगी. निजी स्कूल अपनी मनमर्जी से पुस्तक नहीं चला सकेंगे.
1 से लेकर 8वीं तक के लिए सीबीएसई ने दिए सख्त निर्देश
सीबीएसई के सेक्रेटरी हिमांशु गुप्ता के इस पत्र में लिखा गया है कि "कक्षा 1 से 8वीं तक के लिए भी स्कूलों को सख्त सलाह दी गई है, कि स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों से ही पढ़ाई करवाएं." हालांकि, कक्षा 1 से 8वीं तक के पाठ्यक्रम में इसे अनिवार्य रूप से घोषित नहीं किया गया है. वहीं पत्र में इस बात का उल्लेख है, कि बच्चों को पढ़ाई जाने वाली कोई भी सामग्री किसी जाति धर्म की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाएगी.
9वीं से 12वीं तक के लिए नए नियम
कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं के लिए सीबीएसई ने केवल एनसीईआरटी की पुस्तक पाठ्यक्रम में शामिल करने की अनिवार्यता कर दी है. अब इन क्लासों में कोई भी निजी प्रकाशक की पुस्तक नहीं पढ़ाई जाएगी. यदि एनसीईआरटी की पुस्तक उपलब्ध नहीं हैं, तो उसे वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है.
स्कूल के मैनेजर और प्रिंसिपल होंगे जिम्मेदार
इन पुस्तकों के अलावा यदि कोई दूसरी सामग्री स्कूलों में पढ़ाई के लिए उपलब्ध करवाई जा रही है, तो स्कूल को अपनी वेबसाइट पर एक रिटन डिक्लेरेशन डालना होगा, कि पुस्तक में यदि कुछ भी आपत्तिजनक हुआ तो इसकी पूरी जिम्मेवारी स्कूल के मैनेजर और स्कूल के प्रिंसिपल की होगी.
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इस आदेश से अभिभावकों में खुशी
गौरतलब है कि, निजी स्कूल बड़े पैमाने पर ऐसी पुस्तक पाठ्यक्रम में शामिल किए हुए थे जिनकी सामग्री पर संदेह था और उनकी कीमतें बहुत अधिक थीं. इस वजह से छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही थी. वहीं अभिभावकों को इन पुस्तकों का ज्यादा पैसा देना पड़ रहा था. जबलपुर में जब इस मामले में प्रशासन ने कार्रवाई की, तो कई पुस्तक संचालकों के साथ स्कूल के प्राचार्य और मैनेजमेंट के लोगों को जेल में तक जाना पड़ा है.