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29 साल बाद भी वीर सैनिक को नहीं मिली पुरूस्कार की जमीन, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा आदेश - High Court on ex servicemen award - HIGH COURT ON EX SERVICEMEN AWARD

वीर सैनिक का परिवार उपहार में मिली जमीन के लिए 29 सालों से भटक रहा है. दरअसल वीरता के लिए सैनिक को 1995 में सुहागपुर जिले में जमीन मिली थी, लेकिन राजस्व विभाग आज तक परिवार को जमीन मुहैया नहीं करा सका है. उस सैनिक की मौत हो चुकी है. इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने राजस्व विभाग को फटकार लगाते हुए तहसीलदार को सैनिक के परिवार को जमीन आवंटित करने के आदेश दिये हैं.

HIGH COURT ON EX SERVICEMEN AWARD
29 साल बाद भी वीर सैनिक को नहीं मिला उसका पुरस्कार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 16, 2024, 8:53 AM IST

जबलपुर। राजस्व विभाग के अधिकारियों की लेट लतीफी किसी से छुपी हुई नहीं है, लेकिन इस बार मामला एक सैनिक से जुड़ा हुआ है. जिसे उसकी वीरता के लिए 1995 में सुहागपुर जिले में सरकार की ओर से जमीन आवंटित की गई थी. अब उस सैनिक की मौत भी हो चुकी है लेकिन उसके परिवार के लोग अभी तक उस जमीन के लिए भटक रहे हैं. हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ा आदेश देते हुए कहा है कि 4 माह के भीतर सैनिक के परिवार को जमीन दी जाए.

सरकार ने की थी 15 एकड़ जमीन देने की घोषणा

भोला सिंह भारतीय सेना के जवान थे और उन्होंने दो युद्ध लड़े थे. युद्ध में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर वीरता का प्रदर्शन किया था. जब रिटायर हुए तो उन्हें वीरता पुरस्कार मिला. इसके साथ ही सरकार ने भोला सिंह को जीवन यापन करने के लिए सुहागपुर जिले के महुआ खेड़ा गांव में 15 एकड़ जमीन देने की घोषणा की थी. 1995 में भोला सिंह को इस जमीन को देने का आदेश हुआ था. यह आदेश होशंगाबाद कलेक्टर को मिला. फिर कलेक्टर के द्वारा सोहागपुर तहसील तक ये आदेश भेजा गया. लेकिन 1995 से 2010 तक लगभग 15 सालों में भोला सिंह को जमीन के कागजात नहीं दिए गए.

पूर्व सैनिक की हो चुकी है मौत

2010 में परेशान भोला सिंह ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद भोला सिंह को जमीन ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे, लेकिन 14 साल बीत जाने के बाद अब तक इस मामले में कुछ नहीं हो पाया है. इस मामले में 14 जून 2024 में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और जस्टिस एमएस भट्टी ने इस मामले को सुना. पूर्व सैनिक भोला सिंह की मृत्यु हो गई है और अब यह केस उनके पुत्र लड़ रहे हैं. कोर्ट ने सरकारी वकीलों के माध्यम से पूछा कि आखिर राजस्व विभाग के अधिकारी इस मामले का निराकरण क्यों नहीं कर रहे हैं. सेना के एक जवान ने अपनी वीरता में यह जमीन कमाई है. इस जमीन को अब तक उनके नाम पर ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया है, जबकि मामला आज से लगभग 29 साल पुराना है.

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सोहागपुर तहसीलदार को कड़े निर्देश

इस मामले में सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया और अगली तारीख मांगी गई है. एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए तहसीलदार सोहागपुर को निर्देशित किया है कि वे चार माह में याचिकाकर्ता के आवेदन का निराकरण करें, तब तक न्यायालय ने उक्त जमीन पर अपनी रोक बरकरार रखी है. सैनिक के परिवार की ओर से प्रशांत चौरसिया ने कोर्ट में पैरवी की है.

जबलपुर। राजस्व विभाग के अधिकारियों की लेट लतीफी किसी से छुपी हुई नहीं है, लेकिन इस बार मामला एक सैनिक से जुड़ा हुआ है. जिसे उसकी वीरता के लिए 1995 में सुहागपुर जिले में सरकार की ओर से जमीन आवंटित की गई थी. अब उस सैनिक की मौत भी हो चुकी है लेकिन उसके परिवार के लोग अभी तक उस जमीन के लिए भटक रहे हैं. हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ा आदेश देते हुए कहा है कि 4 माह के भीतर सैनिक के परिवार को जमीन दी जाए.

सरकार ने की थी 15 एकड़ जमीन देने की घोषणा

भोला सिंह भारतीय सेना के जवान थे और उन्होंने दो युद्ध लड़े थे. युद्ध में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर वीरता का प्रदर्शन किया था. जब रिटायर हुए तो उन्हें वीरता पुरस्कार मिला. इसके साथ ही सरकार ने भोला सिंह को जीवन यापन करने के लिए सुहागपुर जिले के महुआ खेड़ा गांव में 15 एकड़ जमीन देने की घोषणा की थी. 1995 में भोला सिंह को इस जमीन को देने का आदेश हुआ था. यह आदेश होशंगाबाद कलेक्टर को मिला. फिर कलेक्टर के द्वारा सोहागपुर तहसील तक ये आदेश भेजा गया. लेकिन 1995 से 2010 तक लगभग 15 सालों में भोला सिंह को जमीन के कागजात नहीं दिए गए.

पूर्व सैनिक की हो चुकी है मौत

2010 में परेशान भोला सिंह ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद भोला सिंह को जमीन ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे, लेकिन 14 साल बीत जाने के बाद अब तक इस मामले में कुछ नहीं हो पाया है. इस मामले में 14 जून 2024 में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और जस्टिस एमएस भट्टी ने इस मामले को सुना. पूर्व सैनिक भोला सिंह की मृत्यु हो गई है और अब यह केस उनके पुत्र लड़ रहे हैं. कोर्ट ने सरकारी वकीलों के माध्यम से पूछा कि आखिर राजस्व विभाग के अधिकारी इस मामले का निराकरण क्यों नहीं कर रहे हैं. सेना के एक जवान ने अपनी वीरता में यह जमीन कमाई है. इस जमीन को अब तक उनके नाम पर ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया है, जबकि मामला आज से लगभग 29 साल पुराना है.

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इस मामले में सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया और अगली तारीख मांगी गई है. एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए तहसीलदार सोहागपुर को निर्देशित किया है कि वे चार माह में याचिकाकर्ता के आवेदन का निराकरण करें, तब तक न्यायालय ने उक्त जमीन पर अपनी रोक बरकरार रखी है. सैनिक के परिवार की ओर से प्रशांत चौरसिया ने कोर्ट में पैरवी की है.

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