Baya Bird Nest: नरसिंहपुर के सिहोरा में एक चिड़िया और एक किसान के संबंध की कहानी सदियों पुरानी है. बया चिड़िया वर्मा परिवार की सदस्य है. वर्मा परिवार ने बड़े अनोखे तरीके से इस चिड़िया के घोसलों को बनाने के लिए व्यवस्था बनाई है. सामान्य तौर पर बया चिड़िया पालतू नहीं होती लेकिन इस परिवार के साथ इस चिड़िया का संबंध कई सालों का है. आज भी उनके घर में कई अनोखे घोसलें देखे जा सकते हैं.
बुनकर पक्षी है बया
प्रकृति में कई अनोखे पशु और पक्षी पाए जाते हैं. जिनके जन्मजात गुण उन्हें बाकी प्रकृति से अलग बनाते हैं. इसी तरह पीले और काले रंग की एक चिड़िया होती है, जिसे बया के नाम से जाना जाता है. शहरी वातावरण में आजकल यह चिड़िया नहीं दिखती लेकिन गांव में इसे आसानी से देखा जा सकता है. बया चिड़िया की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक बुनकर पक्षी है. बया बेहद अनोखा घोंसला बनाती है. जिसमें पौधे के तने से रेशे निकाल कर एक-एक रेशे को बुना जाता है और यह लटकता हुआ घोंसला किसी ऐसी सुरक्षित जगह पर बनाया जाता है जहां कोई भी मांसाहारी पक्षी इस घोंसले के भीतर न घुस सके.
बया नर बनाता है घोंसला
जब बया नर अपना आधा घोंसला बना लेता है तब मादा इसके प्रति आकर्षित होती है और वह इस घोसला पर आकर बैठती है. बाकी का घोंसला दोनों मिलकर बनाते हैं क्योंकि अगले तीन महीने के लिए यही इनका घर होता है. इसी घर में मादा बया चिड़िया अंडे देती है. इन अंडों से कुछ दिनों में बच्चे बाहर आ जाते हैं. यह पूरी प्रक्रिया 3 महीने की होती है.
बया के घोंसलों की कुएं में व्यवस्था
नरसिंहपुर जिले के सिहोरा नाम के गांव में सतीश वर्मा खेत में रहते हैं. खेत में ही इनका घर है, घर के ठीक बाजू में एक पुराना कुआं है. आजकल सामान्य तौर पर कुएं का इस्तेमाल खत्म हो गया है. इसलिए ज्यादातर कुएं या तो मिट्टी से भर दिए गए हैं या वह उजाड़ हो गए हैं लेकिन वर्मा परिवार ने अपने इस पुश्तैनी कुएं को जिंदा रखा हुआ है. इसमें अभी भी पानी है इसके साथ ही इसमें एक अनोखी संरचना बनाई गई है जिसमें कुएं के भीतर कुछ जंजीरें टंगी हुई हैं इन रंगीन जंजीरों में बया चिड़िया ने घोंसला बना दिए हैं इस कुएं के भीतर एक दर्जन से ज्यादा घोंसलें हैं जिनमे अभी भी चिड़िया रहती है.
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बुजुर्गों से सीखी थी व्यवस्था
किसान सतीश वर्मा का कहना है कि "यह परंपरा उन्हें अपने बुजुर्गों से सीखी थी. वह इसी तरह कुएं के भीतर चिड़िया को घोंसला बनाने के लिए चीजें लटका देते थे. अब उन्होंने इस व्यवस्था को और सुधार दिया है. अब बया चिड़िया और वर्मा परिवार का रिश्ता और मजबूत हो गया है."