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ना पूजा में ना शादी में ड्रिंक, तिन्हेटा गांव में शराब को लगाया हाथ तो देनी पड़ेगी रोटी - LIQUOR BAN TINHETA TRIBAL VILLAGE

जबलपुर के तिन्हेटा गांव की तरक्की देखकर आसपास की 5 पंचायतों ने भी शराबबंदी लागू कर दी है. यहां कोई शराब से बीमार नहीं होता.

LIQUOR BAN TINHETA tribal VILLAGE
जबलपुर के तिन्हेटा गांव में शराब बैन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 4:08 PM IST

Updated : Jan 31, 2025, 4:35 PM IST

जबलपुर: (विश्वजीत सिंह राजपूत) ऐसा कहा जाता है कि आदिवासियों के जीवन में शराब जन्म से मृत्यु तक इस्तेमाल होती है. आदिवासियों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक सभी क्रियाकलापों में शराब शामिल है. इसी एक धारणा की वजह से आदिवासियों को कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन जबलपुर के एक गांव ने इस धारणा को बदलकर तरक्की की राह पकड़ ली है. गांव में अब शराब को छूना पाप माना जाता है.

शराब पीने पर जुर्माने के साथ रोटी

जबलपुर की चरगवा तहसील के पास तिन्हेटा नाम का एक गांव है. यह शत-प्रतिशत आदिवासी गांव है. इसमें गोंड जनजाति के लोग रहते हैं. यहां आज से लगभग 20 वर्ष पहले महिलाओं ने एक समिति बनाई. इस समिति ने यह तय किया कि गांव के किसी भी आदमी को शराब नहीं पीने देंगे. महिलाओं की समिति ने शराब पीने वाले लोगों पर ₹20000 का जुर्माना और शराब पीते हुए पकड़े जाने पर पूरे समाज को भोजन करवाने का प्रावधान रखा. जिसे 'रोटी' का नाम दिया जाता है.

तिन्हेटा गांव में शराब पीने पर देना होता है भारी जुर्माना (ETV Bharat)

महिलाओं को सबसे बड़ी समस्या अपने ही परिवार के पुरुषों से थी क्योंकि इसमें उनके पति भी शामिल थे और घर के बुजुर्ग भी शामिल थे. महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार शराब के खिलाफ मुहिम चलाती रहीं. धीरे-धीरे लोगों ने उनकी बात मानी और अब बीते कुछ सालों से तिन्हेटा गांव में कोई शराब नहीं पीता.

Jabalpur Tinheta village MP
तिन्हेटा गांव जबलपुर (ETV Bharat)

ना पूजा में शराब ना शादी में शराब

स्थानीय निवासी शिवलाल बताते हैं कि "हमने हमारी धार्मिक परंपराओं में भी परिवर्तन किया है. पहले हमारी पूजा में देवताओं को शराब चढ़ाई जाती थी. अब हम उसकी जगह महुआ का फूल और फल चढ़ाते हैं. शराब का इस्तेमाल नहीं करते. सबसे ज्यादा समस्या शादी के दौरान आती है. बारात में आने वाले लोग अक्सर शराब का सेवन करते हैं. अब धीरे-धीरे उनके पूरे समाज में यह बात पता लग गई है कि इस गांव में शराब पीकर आने वाली बारात को जुर्माना देना पड़ता है. इसलिए कोई भी शादी में भी शराब का इस्तेमाल नहीं करता. इसके साथ ही उन्होंने शराब पीने वालों के साथ अपनी बेटियों का ब्याह भी बंद कर दिया."

LIQUOR ban in puja wedding
गांव में धार्मिक और सामाजिक कामों के दौरान शराब बैन (ETV Bharat)

शराब की वजह से नहीं होता कोई बीमार

तिन्हेटा गांव के सचिव सतीश कुमार राय बताते हैं कि "वे गांव के बीमार लोगों के लिए आयुष्मान कार्ड बनवाते हैं और उन्होंने देखा है कि यहां आयुष्मान कार्ड में किसी भी बीमार का इलाज शराब की वजह से होने वाली बीमारियों की वजह से नहीं हुआ. लोगों को सामान्य सर्दी बुखार या दूसरी बीमारियां होती हैं लेकिन कोई भी लिवर, किडनी जैसी शराब जनित बीमारियों से पीड़ित नहीं है."

Heavy penalty for drinking LIQUOR
तिन्हेटा गांव में शराब पीने वालों को देना होता है भारी जुर्माना (ETV Bharat)

गांव में कोई पुलिस केस नहीं

गांव के बुजुर्ग शिवलाल ने बताया कि "शराब की वजह से लोग आपस में विवाद करते थे, इसलिए पहले पुलिस केस होते थे लेकिन बीते लगभग 10 सालों से उनके गांव में कभी पुलिस नहीं आई क्योंकि कोई किसी से झगड़ा नहीं करता. इसलिए उनके गांव की थाने में कोई रिपोर्ट नहीं है. लोगों के व्यवहार बदल गए हैं और लोग खेती-बाड़ी अच्छे से करते हैं. गांव के बच्चे पढ़ाई लिखाई में अच्छे हैं और बहुत से नए बच्चों की तो नौकरियां लग गई. कुछ लोगों ने अपने कारोबार भी स्थापित कर लिए.

गांव से निकलते हैं पहलवान

गांव के सचिव सतीश राय ने बताया कि "इस गांव का एक अखाड़ा है और कुश्ती खेलने वाले युवाओं का एक दल है. वह स्वस्थ हैं इसलिए कुश्ती और कबड्डी जैसे खेल खेलते हैं .यदि शराब पीते तो इस तरह के खेल नहीं खेल पाते."

5 पंचायतों ने लागू की शराबबंदी

तिन्हेटा गांव की खुशहाली देखकर आसपास की 5 पंचायत के आदिवासी लोगों ने भी ऐसी समितियां बनाई हैं और उनके गांव में भी लोगों ने शराबबंदी लागू कर दी है. अब धीरे-धीरे इन गांवों की भी तस्वीर बदल रही है.

आदिवासी समाज और शराब

शराब का सबसे ज्यादा सेवन आदिवासी समाज करता है यहां तक की आदिवासी समाज के लिए शराब बनाने और उसके इस्तेमाल करने पर कोई रोक भी नहीं है. सामान्य आदमी यदि शराब बनाता है तो उसे गैरकानूनी माना जाता है लेकिन आदिवासी यदि शराब बनाता है तो उसे परंपरागत मानते हुए गैर कानूनी नहीं माना जाता. ऐसा तर्क दिया जाता है कि आदिवासी समाज में शराब का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों के साथ ही धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है. इसलिए आदिवासियों को शराब बनाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती और यह उनकी परंपरा का हिस्सा है.

जबलपुर: (विश्वजीत सिंह राजपूत) ऐसा कहा जाता है कि आदिवासियों के जीवन में शराब जन्म से मृत्यु तक इस्तेमाल होती है. आदिवासियों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक सभी क्रियाकलापों में शराब शामिल है. इसी एक धारणा की वजह से आदिवासियों को कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन जबलपुर के एक गांव ने इस धारणा को बदलकर तरक्की की राह पकड़ ली है. गांव में अब शराब को छूना पाप माना जाता है.

शराब पीने पर जुर्माने के साथ रोटी

जबलपुर की चरगवा तहसील के पास तिन्हेटा नाम का एक गांव है. यह शत-प्रतिशत आदिवासी गांव है. इसमें गोंड जनजाति के लोग रहते हैं. यहां आज से लगभग 20 वर्ष पहले महिलाओं ने एक समिति बनाई. इस समिति ने यह तय किया कि गांव के किसी भी आदमी को शराब नहीं पीने देंगे. महिलाओं की समिति ने शराब पीने वाले लोगों पर ₹20000 का जुर्माना और शराब पीते हुए पकड़े जाने पर पूरे समाज को भोजन करवाने का प्रावधान रखा. जिसे 'रोटी' का नाम दिया जाता है.

तिन्हेटा गांव में शराब पीने पर देना होता है भारी जुर्माना (ETV Bharat)

महिलाओं को सबसे बड़ी समस्या अपने ही परिवार के पुरुषों से थी क्योंकि इसमें उनके पति भी शामिल थे और घर के बुजुर्ग भी शामिल थे. महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार शराब के खिलाफ मुहिम चलाती रहीं. धीरे-धीरे लोगों ने उनकी बात मानी और अब बीते कुछ सालों से तिन्हेटा गांव में कोई शराब नहीं पीता.

Jabalpur Tinheta village MP
तिन्हेटा गांव जबलपुर (ETV Bharat)

ना पूजा में शराब ना शादी में शराब

स्थानीय निवासी शिवलाल बताते हैं कि "हमने हमारी धार्मिक परंपराओं में भी परिवर्तन किया है. पहले हमारी पूजा में देवताओं को शराब चढ़ाई जाती थी. अब हम उसकी जगह महुआ का फूल और फल चढ़ाते हैं. शराब का इस्तेमाल नहीं करते. सबसे ज्यादा समस्या शादी के दौरान आती है. बारात में आने वाले लोग अक्सर शराब का सेवन करते हैं. अब धीरे-धीरे उनके पूरे समाज में यह बात पता लग गई है कि इस गांव में शराब पीकर आने वाली बारात को जुर्माना देना पड़ता है. इसलिए कोई भी शादी में भी शराब का इस्तेमाल नहीं करता. इसके साथ ही उन्होंने शराब पीने वालों के साथ अपनी बेटियों का ब्याह भी बंद कर दिया."

LIQUOR ban in puja wedding
गांव में धार्मिक और सामाजिक कामों के दौरान शराब बैन (ETV Bharat)

शराब की वजह से नहीं होता कोई बीमार

तिन्हेटा गांव के सचिव सतीश कुमार राय बताते हैं कि "वे गांव के बीमार लोगों के लिए आयुष्मान कार्ड बनवाते हैं और उन्होंने देखा है कि यहां आयुष्मान कार्ड में किसी भी बीमार का इलाज शराब की वजह से होने वाली बीमारियों की वजह से नहीं हुआ. लोगों को सामान्य सर्दी बुखार या दूसरी बीमारियां होती हैं लेकिन कोई भी लिवर, किडनी जैसी शराब जनित बीमारियों से पीड़ित नहीं है."

Heavy penalty for drinking LIQUOR
तिन्हेटा गांव में शराब पीने वालों को देना होता है भारी जुर्माना (ETV Bharat)

गांव में कोई पुलिस केस नहीं

गांव के बुजुर्ग शिवलाल ने बताया कि "शराब की वजह से लोग आपस में विवाद करते थे, इसलिए पहले पुलिस केस होते थे लेकिन बीते लगभग 10 सालों से उनके गांव में कभी पुलिस नहीं आई क्योंकि कोई किसी से झगड़ा नहीं करता. इसलिए उनके गांव की थाने में कोई रिपोर्ट नहीं है. लोगों के व्यवहार बदल गए हैं और लोग खेती-बाड़ी अच्छे से करते हैं. गांव के बच्चे पढ़ाई लिखाई में अच्छे हैं और बहुत से नए बच्चों की तो नौकरियां लग गई. कुछ लोगों ने अपने कारोबार भी स्थापित कर लिए.

गांव से निकलते हैं पहलवान

गांव के सचिव सतीश राय ने बताया कि "इस गांव का एक अखाड़ा है और कुश्ती खेलने वाले युवाओं का एक दल है. वह स्वस्थ हैं इसलिए कुश्ती और कबड्डी जैसे खेल खेलते हैं .यदि शराब पीते तो इस तरह के खेल नहीं खेल पाते."

5 पंचायतों ने लागू की शराबबंदी

तिन्हेटा गांव की खुशहाली देखकर आसपास की 5 पंचायत के आदिवासी लोगों ने भी ऐसी समितियां बनाई हैं और उनके गांव में भी लोगों ने शराबबंदी लागू कर दी है. अब धीरे-धीरे इन गांवों की भी तस्वीर बदल रही है.

आदिवासी समाज और शराब

शराब का सबसे ज्यादा सेवन आदिवासी समाज करता है यहां तक की आदिवासी समाज के लिए शराब बनाने और उसके इस्तेमाल करने पर कोई रोक भी नहीं है. सामान्य आदमी यदि शराब बनाता है तो उसे गैरकानूनी माना जाता है लेकिन आदिवासी यदि शराब बनाता है तो उसे परंपरागत मानते हुए गैर कानूनी नहीं माना जाता. ऐसा तर्क दिया जाता है कि आदिवासी समाज में शराब का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों के साथ ही धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है. इसलिए आदिवासियों को शराब बनाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती और यह उनकी परंपरा का हिस्सा है.

Last Updated : Jan 31, 2025, 4:35 PM IST
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