पटना: बिहार में जमीन सर्वे का काम 3 महीने टालने का फैसला सरकार ले चुकी है. हालांकि आधिकारिक रूप से अभी तक लेटर नहीं निकला है लेकिन सरकार के रवैये से साफ लग रहा है कि 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में संशय की स्थिति बन गई है. राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकार की मंशा जो भी हो लेकिन विधानसभा चुनाव जब सर पर हो तो कोई सरकार रिस्क नहीं लेगी है. जो स्थिति बन रही है, उससे लगता है कि सिर्फ 3 महीने ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव तक इसे टाला जा सकता है.
"लोगों को जमीन के कागजात ढूंढने में दिक्कत हो रही थी. इसलिए हमलोगों ने तय किया है कि कागजात तैयार करने के लिए लोगों को तीन महीने का समय दिया जाए. जल्द ही इसको लेकर विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी. एक बात तय मानिये कि हर हाल में बिहार में जमीन सर्वे का काम होकर रहेगा. "- दिलीप जायसवाल, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री, बिहार
2025 तक टलेगा जमीन सर्वे?: बिहार में जमीन सर्वे को लेकर लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई थी. तमाम लोग परेशान थे, क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों के पास जमीन के कागजात नहीं हैं. जमीन सर्वे के लिए जो जरूरी कागजात होने चाहिए. जब नहीं रहेंगे तो फिर सर्वे कैसे होगा. राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि बिहार में केवल 62% लोगों के पास ही जमीन के कागजात हैं, वह भी आधे-अधूरे. 38% लोगों के पास कागजात है ही नहीं. लाखों म्यूटेशन का मामला पेंडिंग पड़ा हुआ है. बड़ी संख्या में कोर्ट में केस है. इसी तरह की कई समस्या बिहार में जमीन सर्वे के आड़े आ रही थी.
विधानसभा चुनाव के कारण बैकफुट पर सरकार: अरुण पांडे का कहना है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ही विभागीय मंत्री हैं. जमीन सर्वे को अभी 3 महीने उन्होंने टालने की बात कही है लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने बातचीत में साफ इशारा कर दिया है कि अब 2025 के बाद ही जमीन सर्वे का काम होगा, क्योंकि यह बड़ी चुनौती है. सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. नीतीश कुमार भी कहते रहे हैं कि जमीन विवाद के कारण ही सबसे अधिक हत्याएं हो रही है. केंद्र सरकार के एनसीआरबी रिपोर्ट में भी जमीन विवाद से सबसे अधिक हत्या के आंकड़े को देखा जा सकता है.
"बिहार में सिर्फ 62 फीसदी लोगों के पास ही जमीन के कागजात हैं, वह भी आधे-अधूरे. 38% लोगों के पास कागजात है ही नहीं. लाखों म्यूटेशन का मामला पेंडिंग पड़ा हुआ है. बड़ी संख्या में कोर्ट में केस है. बीजेपी के नेता भी इशारा कर चुके हैं कि सर्वे के कार्य को टाला जाएगा. वैसे भी जब चुनावी साल हो तो इस तरह का फैसला नुकसान पहुंचा सकता है और यही कारण है कि अब जो स्थिति बन रही है उससे लगता कि 2025 तक इसे एनडीए सरकार टालेगी."- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
जन आक्रोश के कारण एनडीए में डर: वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का भी कहना है कि जिस प्रकार से भ्रष्टाचार है. जमीन विवाद के मामले हैं, वैसे में जमीन सर्वे आसान काम नहीं है. बीजेपी के अंदर ही इसको लेकर काफी विरोध है. इसलिए चुनाव जब 2025 में होना है तो एनडीए के अंदर भी डर बना हुआ है, क्योंकि लोगों में इसको लेकर आक्रोश बढ़ रहा है.
"जमीन सर्वे को लेकर लोगों में काफी नाराजगी है. बीजेपी नेताओं को भी लगता है कि इससे नुकसान हो सकता है. सरकार ने 3 महीने तक के लिए अभी इसे टालने की बात कही है लेकिन उसके बाद चुनावी मोड में बिहार आ जाएगा तो संभव नहीं है कि जमीन सर्वे का काम हो पाएगा."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
एनडीए को डर कि विपक्ष फायदा ना उठा ले: बिहार में 45000 के करीब गांव हैं, जिनमें जमीन सर्वे का काम होना है. जमीन सर्वे शुरू होने के बाद सरकार के सामने कई तरह की समस्या आई है और अब सरकार उन समस्याओं के निदान के बाद ही अपना कदम आगे बढ़ाएगी, ऐसा लग रहा है. जानकार भी कहते हैं कि चुनावी साल में जमीन जैसे संवेदनशील विषयों पर सरकार ने जो फैसला लिया था, वह अब सरकार के लिए ही मुसीबत बन गई है. इसीलिए सरकार उससे यू टर्न हो रही है, क्योंकि एनडीए सरकार को ही लग रहा है कि उनके फैसले का लाभ कहीं विपक्ष न उठा ले.
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