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'दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की जांच', विजेंद्र गुप्ता का दावा- विजिलेंस ऑफिसर को सहयोग नहीं कर रहा बोर्ड - DELHI JAL BOARD CORRUPTION CASE

विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड में अनियमितताओं का आरोप लगाया. उन्होंने केंद्रीय सतर्कता आयोग से शिकायत की, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

'दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की जांच' पर सियासत
'दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की जांच' पर सियासत (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 2, 2025, 3:36 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड के घोटाले से संबंधित जांच जारी है. इस संबंध में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर गत वर्ष जांच शुरू हुई थी. लेकिन जांच कर रहे हैं मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) का आरोप है कि जांच से संबंधित दस्तावेज व रिपोर्ट उन्हें जल बोर्ड उपलब्ध नहीं करा रहा है. ऐसे में अब विपक्ष ने चुनावी माहौल में बड़ा मुद्दा बना दिया है.

दिल्ली के मुख्य सचिव ने जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितता से संबंधित रिपोर्ट 15 मार्च 2024 को दिल्ली के जल मंत्री (आतिशी) को दी थी. जिसमें दिल्ली जल बोर्ड पर 73 हज़ार करोड़ रुपये के कर्ज का खुलाया किया गया था. रिपोर्ट में बहुत सारे कारणों और वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी दी गई थी. इस रिपोर्ट के अनसार दिल्ली जल बोर्ड को 2015 से लेकर 2024 तक 28,500 करोड़ रुपये की धनराशि अनेक कामों के लिए दी गई थी. विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह राशि किन-किन कामों में खर्च हुई, इसका हिसाब किताब कहीं नहीं है. क्योंकि बिना बैलेंस शीट और ऑडिट के इन खर्चों का पता ही नहीं चल पाएगा और शायद सरकार की मंशा भी ऐसी ही है, तभी बैलेंस शीट तैयार नहीं की जा रही है और जान बूझकर इसमें देरी की जा रही है. जिसके बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग से इसकी शिकायत की गई थी.

जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल: चुनावी माहौल में बीजेपी ने इस मुद्दे को लपकते हुए आम आदमी पार्टी सरकार को घेरने की कोशिश की है. विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर उनके द्वारा सीवीसी में दी गई शिकायत के संबंध में दिल्ली सरकार के सतर्कता आयुक्त की चिट्ठी का भी जवाब सरकार नहीं दे रही है. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल हुआ है. जिसे सरकार दबाने और जनता से छुपाने पर आमादा है.

विपक्ष ने उठाए AAP सरकार पर सवाल: नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को दी अपनी शिकायत में दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार ने 2018 के बाद जान बूझकर दिल्ली जल बोर्ड की बैलेंस शीट नहीं बनवाई ताकि बोर्ड में किये भ्रष्ट्राचार की भनक किसी को न मिले. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के दखल के बाद सरकार ने पहले तीन साल की बैलेंस शीट तो बनवा ली, लेकिन अगले दो साल यानी 2021-22 और 2022-23 की बैलेंस शीट को पेंडिंग कर दिया. इसलिए अभी तक जल बोर्ड के खर्चे का सीएजी द्वारा ऑडिट नहीं किया जा सका. इससे यह साफ तौर पर ज़ाहिर हो रहा है कि इसके पीछे वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को छिपाने की गहरी साजिश रची गई है. उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि पिछले दस साल में न तो दिल्ली की पानी की सप्लाई में कोई वृद्धि हो पाई और न ही यमुना की सफाई का काम किया जा सका, तो फिर आखिर ये पैसा गया तो गया कहां.

जानिए क्या है मामला: दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी. 5 सितंबर 2024 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र भेजकर दिल्ली जल बोर्ड में पाई गई वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की थी. जिस पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए इस शिकायत को 13 सितंबर 2024 को दिल्ली सरकार के मुख्य सतर्कता अधिकारी धर्मेंद्र, जो दिल्ली के मुख्य सचिव भी हैं, उसे भेजकर जांच करने और अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है. मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को 14 अक्टूबर 2024 को पत्र भेजकर इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया. लेकिन इस पर जल बोर्ड ने कोई एक्शन नहीं लिया जिसके बाद सतर्कता अधिकारी की ओर से 6 नवंबर 2024 को एक रिमाइंडर भेजकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच कर अपनी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा. लेकिन जब मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस मामले में स्टेटस पूछा तो उन्हें यह जानकारी दी गई कि अभी तक उन्हें इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड का कोई जवाब नहीं मिला है.

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नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड के घोटाले से संबंधित जांच जारी है. इस संबंध में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर गत वर्ष जांच शुरू हुई थी. लेकिन जांच कर रहे हैं मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) का आरोप है कि जांच से संबंधित दस्तावेज व रिपोर्ट उन्हें जल बोर्ड उपलब्ध नहीं करा रहा है. ऐसे में अब विपक्ष ने चुनावी माहौल में बड़ा मुद्दा बना दिया है.

दिल्ली के मुख्य सचिव ने जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितता से संबंधित रिपोर्ट 15 मार्च 2024 को दिल्ली के जल मंत्री (आतिशी) को दी थी. जिसमें दिल्ली जल बोर्ड पर 73 हज़ार करोड़ रुपये के कर्ज का खुलाया किया गया था. रिपोर्ट में बहुत सारे कारणों और वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी दी गई थी. इस रिपोर्ट के अनसार दिल्ली जल बोर्ड को 2015 से लेकर 2024 तक 28,500 करोड़ रुपये की धनराशि अनेक कामों के लिए दी गई थी. विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह राशि किन-किन कामों में खर्च हुई, इसका हिसाब किताब कहीं नहीं है. क्योंकि बिना बैलेंस शीट और ऑडिट के इन खर्चों का पता ही नहीं चल पाएगा और शायद सरकार की मंशा भी ऐसी ही है, तभी बैलेंस शीट तैयार नहीं की जा रही है और जान बूझकर इसमें देरी की जा रही है. जिसके बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग से इसकी शिकायत की गई थी.

जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल: चुनावी माहौल में बीजेपी ने इस मुद्दे को लपकते हुए आम आदमी पार्टी सरकार को घेरने की कोशिश की है. विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर उनके द्वारा सीवीसी में दी गई शिकायत के संबंध में दिल्ली सरकार के सतर्कता आयुक्त की चिट्ठी का भी जवाब सरकार नहीं दे रही है. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल हुआ है. जिसे सरकार दबाने और जनता से छुपाने पर आमादा है.

विपक्ष ने उठाए AAP सरकार पर सवाल: नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को दी अपनी शिकायत में दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार ने 2018 के बाद जान बूझकर दिल्ली जल बोर्ड की बैलेंस शीट नहीं बनवाई ताकि बोर्ड में किये भ्रष्ट्राचार की भनक किसी को न मिले. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के दखल के बाद सरकार ने पहले तीन साल की बैलेंस शीट तो बनवा ली, लेकिन अगले दो साल यानी 2021-22 और 2022-23 की बैलेंस शीट को पेंडिंग कर दिया. इसलिए अभी तक जल बोर्ड के खर्चे का सीएजी द्वारा ऑडिट नहीं किया जा सका. इससे यह साफ तौर पर ज़ाहिर हो रहा है कि इसके पीछे वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को छिपाने की गहरी साजिश रची गई है. उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि पिछले दस साल में न तो दिल्ली की पानी की सप्लाई में कोई वृद्धि हो पाई और न ही यमुना की सफाई का काम किया जा सका, तो फिर आखिर ये पैसा गया तो गया कहां.

जानिए क्या है मामला: दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी. 5 सितंबर 2024 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र भेजकर दिल्ली जल बोर्ड में पाई गई वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की थी. जिस पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए इस शिकायत को 13 सितंबर 2024 को दिल्ली सरकार के मुख्य सतर्कता अधिकारी धर्मेंद्र, जो दिल्ली के मुख्य सचिव भी हैं, उसे भेजकर जांच करने और अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है. मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को 14 अक्टूबर 2024 को पत्र भेजकर इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया. लेकिन इस पर जल बोर्ड ने कोई एक्शन नहीं लिया जिसके बाद सतर्कता अधिकारी की ओर से 6 नवंबर 2024 को एक रिमाइंडर भेजकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच कर अपनी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा. लेकिन जब मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस मामले में स्टेटस पूछा तो उन्हें यह जानकारी दी गई कि अभी तक उन्हें इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड का कोई जवाब नहीं मिला है.

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