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जानिए कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने पर क्या बोले उनके निकट सहयोगी रहे वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित (BJP leader Shatrudra Prakash) करने का ऐलान किया गया है. कर्पूरी ठाकुर के करीबी रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शतरुद्र प्रकाश ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

स्पेशल रिपोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 3:01 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 6:12 PM IST

वरिष्ठ भाजपा नेता शतरुद्र प्रकाश से ईटीवी भारत यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की खास बातचीत

लखनऊ : केंद्र की भाजपा सरकार ने हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कर्पूरी ठाकुर को, जिन्हें अत्यधिक लोकप्रियता के कारण 'जननायक' भी कहा जाता है, मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है. 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में एक नाई समाज में जन्मे कर्पूरी ठाकुर आजादी के आंदोलन में जेल भी गए थे. बाद में उन्होंने 1967 के आम चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया. वह 1970 और 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. वाराणसी के कई बार विधायक और फिर मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शतरुद्र प्रकाश से कर्पूरी ठाकुर के करीबी संबंध थे. हमने शतरुद्र प्रकाश से कर्पूरी ठाकुर के विषय में बात की. देखिए साक्षात्कार के प्रमुख अंश....

प्रश्न : केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है. आपके उनसे अच्छे संबंध थे. आपके परिवार में उनका आना-जाना भी रहा है. आप इस घोषणा को कैसे देखते हैं?

उत्तर : देखिए यह बड़ी हिम्मत का काम है. इसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है. आज तक कर्पूरी जी पर किसी भी सरकार की निगाह ही नहीं गई. कांग्रेस से तो खैर उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि वह कांग्रेस विरोधी विचारों वाले व्यक्ति थे. सोशलिस्ट विचारों के राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी हिस्सेदारी थी. वह बहुत साधारण और सरल व्यक्ति थे. वह लोकप्रिय बहुत थे. वह गांव-गांव पैदल जाते थे. वह लोगों के बीच में इतने ज्यादा रमे रहते थे कि उन्हें जननायक कहा जाता था. डॉ लोहिया के विचारों से आगे बढ़ने और मानने वालों के लिए यह बहुत ही खुशी का मौका है.

प्रश्न : कर्पूरी ठाकुर जी के विषय में कहा जाता है कि वह बहुत ही जमीनी नेता थे. उन्होंने अभावों में राजनीति की और हर तरह का संघर्ष भी किया. उनके विषय में यदि आप कोई यादगार किस्सा बता सकें.

उत्तर : उनके साथ तो कई किस्से और यादें हैं. डॉ लोहिया की मृत्यु हो गई 12 अक्टूबर 1967 में. उस समय सोशलिस्ट पार्टी थी. डॉ. लोहिया के जाने के बाद इस पार्टी के लोगों में आपसी संघर्ष हो गया. इंदिरा जी ने बांग्लादेश की विजय हासिल की थी. डॉ लोहिया के विचारों में था कि कांग्रेस इस देश का भला नहीं कर सकती है. कांग्रेस का वंशवाद राजनीति की सबसे बड़ी बुराई थी. कर्पूरी ठाकुर जी कहते थे कि गंगा को साफ करने से अच्छा है कि गंगोत्री को साफ करो. देश में नौ राज्यों ने गैर कांग्रेसी सरकारें बनी थीं, लेकिन जब तक केंद्र में सरकार नहीं बदली जाएगी, तब तक बड़ा परिवर्तन नहीं हो सकेगा. कर्पूरी जी डॉ लोहिया को मानने वाले थे. राजनारायण जी से भी उनका बहुत अच्छा संबंध था.

प्रश्न : कर्पूरी ठाकुर जी के ऐसे कौन से विचार थे, जिनसे आपको लगता है कि समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता था.

उत्तर : देखिए विचार तो सोशलिस्ट थे. विचारधारा तो डॉ लोहिया की थी, लेकिन उस पर चलने, उसे अपने आचरण में लाने का और खुद को एक सशक्त वाहक बनाने का जो सरल, सुगम और सुलभ व्यक्तित्व था, वह कर्पूरी ठाकुर में था. एक तो उनमें घमंड बिल्कुल भी नहीं था. वह बहुत ही गरीबी से आए थे. उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं किया. खूब गांव-गांव घूमते थे. वह विनम्र भी बहुत थे. विनम्रता उनकी पहचान थी. पूरे जीवन में हमने उनको बहुत ही विनम्र देखा. वह सबको जी कहकर संबोधित किया करते थे.

प्रश्न : अब जबकि जैसा कि कर्पूरी जी सोचते थे कि केंद्र से कांग्रेस की सरकार हटनी चाहिए. अब लगभग दस साल से केंद्र में भाजपा की सरकार है. अयोध्या और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों का हल भी हो गया है. 2024 के चुनाव को आप कैसे देखते हैं.

उत्तर : देखिए, यह सांस्कृतिक मानस का देश है. खासकर गंगा के तटों पर बसे लोग और दक्षिण में भी यह इलाका सांस्कृतिक मानस का इलाका है. इस समय भारतीय जनता पार्टी ने लोगों के मन को छुआ है. जो इस देश का सांस्कृतिक मन है, उसका आह्लादित किया है. अब जबकि भाजपा सरकार में कर्पूरी जी को भारत रत्न सम्मान दिया है यह आम लोगों के दिलों को छूने वाला काम है. राजेंद्र प्रसाद जी को भारत रत्न मिला, लोक नायक जयप्रकाश जी को भी भारत रत्न मिला, फिर एक गरीब घर से नेता को भारत रत्न से सम्मानित कर सरकार ने बहुत बड़ा काम किया है. कर्पूरी जी इतनी बड़ी शख्सियत थे और जब मैं 1974 का विधानसभा चुनाव लड़ रहा था और त्रिगुट मोर्चा बना था. चुनाव चिह्न चौधरी चरण सिंह की पार्टी का था, कंधे पर हल धरे किसान. उस समय मैं समाजवादी युवजन सभा में था और राजनारायण जी ने कहा कि चुनाव लड़ जाओ. हमारे पास कुछ नहीं था. मोटरसाइकिल से चलता था. अचानक कर्पूरी जी हमारे सिगरा स्थित घर आ गए. राजनारायण जी के कहने पर भृगुनाथ जी हमारे चुनाव संचालक बने. कर्पूरी जी आए और बोले कि हमें शतरुद्र प्रकाश जी के चुनाव प्रचार में जाना है. मेरी राजदूत पर पीछे बैठकर बनारस के रोहनिया बाजार में कर्पूरी ठाकुर हमारे चुनाव प्रचार में गए और एक घंटे तक भाषण दिया. वह बहुत अच्छे वक्ता थे. हमने वह चुनाव जीत लिया.

यह भी पढ़ें : बिहार के जननायक को मिला भारत रत्न तो यूपी की राजनीति में मची हलचल

यह भी पढ़ें : कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न, पीएम मोदी ने कहा- समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा

वरिष्ठ भाजपा नेता शतरुद्र प्रकाश से ईटीवी भारत यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की खास बातचीत

लखनऊ : केंद्र की भाजपा सरकार ने हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कर्पूरी ठाकुर को, जिन्हें अत्यधिक लोकप्रियता के कारण 'जननायक' भी कहा जाता है, मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है. 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में एक नाई समाज में जन्मे कर्पूरी ठाकुर आजादी के आंदोलन में जेल भी गए थे. बाद में उन्होंने 1967 के आम चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया. वह 1970 और 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. वाराणसी के कई बार विधायक और फिर मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शतरुद्र प्रकाश से कर्पूरी ठाकुर के करीबी संबंध थे. हमने शतरुद्र प्रकाश से कर्पूरी ठाकुर के विषय में बात की. देखिए साक्षात्कार के प्रमुख अंश....

प्रश्न : केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है. आपके उनसे अच्छे संबंध थे. आपके परिवार में उनका आना-जाना भी रहा है. आप इस घोषणा को कैसे देखते हैं?

उत्तर : देखिए यह बड़ी हिम्मत का काम है. इसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है. आज तक कर्पूरी जी पर किसी भी सरकार की निगाह ही नहीं गई. कांग्रेस से तो खैर उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि वह कांग्रेस विरोधी विचारों वाले व्यक्ति थे. सोशलिस्ट विचारों के राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी हिस्सेदारी थी. वह बहुत साधारण और सरल व्यक्ति थे. वह लोकप्रिय बहुत थे. वह गांव-गांव पैदल जाते थे. वह लोगों के बीच में इतने ज्यादा रमे रहते थे कि उन्हें जननायक कहा जाता था. डॉ लोहिया के विचारों से आगे बढ़ने और मानने वालों के लिए यह बहुत ही खुशी का मौका है.

प्रश्न : कर्पूरी ठाकुर जी के विषय में कहा जाता है कि वह बहुत ही जमीनी नेता थे. उन्होंने अभावों में राजनीति की और हर तरह का संघर्ष भी किया. उनके विषय में यदि आप कोई यादगार किस्सा बता सकें.

उत्तर : उनके साथ तो कई किस्से और यादें हैं. डॉ लोहिया की मृत्यु हो गई 12 अक्टूबर 1967 में. उस समय सोशलिस्ट पार्टी थी. डॉ. लोहिया के जाने के बाद इस पार्टी के लोगों में आपसी संघर्ष हो गया. इंदिरा जी ने बांग्लादेश की विजय हासिल की थी. डॉ लोहिया के विचारों में था कि कांग्रेस इस देश का भला नहीं कर सकती है. कांग्रेस का वंशवाद राजनीति की सबसे बड़ी बुराई थी. कर्पूरी ठाकुर जी कहते थे कि गंगा को साफ करने से अच्छा है कि गंगोत्री को साफ करो. देश में नौ राज्यों ने गैर कांग्रेसी सरकारें बनी थीं, लेकिन जब तक केंद्र में सरकार नहीं बदली जाएगी, तब तक बड़ा परिवर्तन नहीं हो सकेगा. कर्पूरी जी डॉ लोहिया को मानने वाले थे. राजनारायण जी से भी उनका बहुत अच्छा संबंध था.

प्रश्न : कर्पूरी ठाकुर जी के ऐसे कौन से विचार थे, जिनसे आपको लगता है कि समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता था.

उत्तर : देखिए विचार तो सोशलिस्ट थे. विचारधारा तो डॉ लोहिया की थी, लेकिन उस पर चलने, उसे अपने आचरण में लाने का और खुद को एक सशक्त वाहक बनाने का जो सरल, सुगम और सुलभ व्यक्तित्व था, वह कर्पूरी ठाकुर में था. एक तो उनमें घमंड बिल्कुल भी नहीं था. वह बहुत ही गरीबी से आए थे. उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं किया. खूब गांव-गांव घूमते थे. वह विनम्र भी बहुत थे. विनम्रता उनकी पहचान थी. पूरे जीवन में हमने उनको बहुत ही विनम्र देखा. वह सबको जी कहकर संबोधित किया करते थे.

प्रश्न : अब जबकि जैसा कि कर्पूरी जी सोचते थे कि केंद्र से कांग्रेस की सरकार हटनी चाहिए. अब लगभग दस साल से केंद्र में भाजपा की सरकार है. अयोध्या और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों का हल भी हो गया है. 2024 के चुनाव को आप कैसे देखते हैं.

उत्तर : देखिए, यह सांस्कृतिक मानस का देश है. खासकर गंगा के तटों पर बसे लोग और दक्षिण में भी यह इलाका सांस्कृतिक मानस का इलाका है. इस समय भारतीय जनता पार्टी ने लोगों के मन को छुआ है. जो इस देश का सांस्कृतिक मन है, उसका आह्लादित किया है. अब जबकि भाजपा सरकार में कर्पूरी जी को भारत रत्न सम्मान दिया है यह आम लोगों के दिलों को छूने वाला काम है. राजेंद्र प्रसाद जी को भारत रत्न मिला, लोक नायक जयप्रकाश जी को भी भारत रत्न मिला, फिर एक गरीब घर से नेता को भारत रत्न से सम्मानित कर सरकार ने बहुत बड़ा काम किया है. कर्पूरी जी इतनी बड़ी शख्सियत थे और जब मैं 1974 का विधानसभा चुनाव लड़ रहा था और त्रिगुट मोर्चा बना था. चुनाव चिह्न चौधरी चरण सिंह की पार्टी का था, कंधे पर हल धरे किसान. उस समय मैं समाजवादी युवजन सभा में था और राजनारायण जी ने कहा कि चुनाव लड़ जाओ. हमारे पास कुछ नहीं था. मोटरसाइकिल से चलता था. अचानक कर्पूरी जी हमारे सिगरा स्थित घर आ गए. राजनारायण जी के कहने पर भृगुनाथ जी हमारे चुनाव संचालक बने. कर्पूरी जी आए और बोले कि हमें शतरुद्र प्रकाश जी के चुनाव प्रचार में जाना है. मेरी राजदूत पर पीछे बैठकर बनारस के रोहनिया बाजार में कर्पूरी ठाकुर हमारे चुनाव प्रचार में गए और एक घंटे तक भाषण दिया. वह बहुत अच्छे वक्ता थे. हमने वह चुनाव जीत लिया.

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Last Updated : Jan 25, 2024, 6:12 PM IST
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