नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मोबाइल टावरों से रिमोट रेडियो यूनिट आआरयू चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गैंग का भंडाफोड़ किया है. क्राइम ब्रांच ने इस गिरोह के छह सदस्यों को दिल्ली के अलग-अलग इलाके से गिरफ्तार किया. इनकी निशानदेही पर 130 रिमोट रेडियो यूनिट बरामद किए गए, जिसकी कीमत करीब चार करोड़ रुपये बताई जा रही है. आरोपियों की गिरफ्तारी से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और वेस्ट बंगाल में दर्ज रिमोट रेडियो यूनिट चोरी के 47 मामलों का खुलासा हुआ है.
क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर संजय भाटिया ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान यूपी के मेरठ निवासी 25 वर्षीय आदिल, 21 वर्षीय सादिक , 22 वर्षीय अदनान, गाजियाबाद निवासी मोहम्मद अनस, दिल्ली के जफराबाज निवासी मोहम्मद शोएब और मंडावली निवासी 21 वर्षीय फरहान के रूप में की गई है. उन्होंने बताया कि, दिल्ली सहित कई राज्यों से आरआरयू यूनिट चोरी होने की शिकायत मिली थी.
कई राज्यों से कनेक्शन: उन्होंने आगे बताया कि, आरआरयू यूनिट की चोरी में शामिल गैंग को पकड़ने के लिए टीम का गठन किया गया. इस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर पांडव नगर थाना क्षेत्र के एनएच नौ पर अक्षरधाम मंदिर के पास से इस गैंग में शामिल तीन आरोपियों आदिल, सादिक और अदनान को गिरफ्तार कर लिया. इनकी निशानदेही पर पांडव नगर इलाके से 126 आरआरयू बरामद किए गए, जिसे इन्होंने दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड, असम और वेस्ट बंगाल से चुराया था. इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने जाफराबाद इलाके से भी इस गैंग में शामिल मोहम्मद अनस और मोहम्मद शोएब को गिरफ्तार किया, जिनके पास से एक पिस्तौल, जिंदा कारतूस और तीन आरआरयू बरामद हुआ.
ऐसे हुए शामिल: इसके अलावा क्राइम ब्रांच की टीम ने मंडावली इलाके से फरहान नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसके पास से एक आरआरयू बरामद किया गया. आरोपी आदिल, सादिक और अदनान यूपी के मेरठ में स्क्रैप डीलर के तौर पर काम करते हैं. आदिल और सादिक सगे भाई है. आदिल और सादिक को पता था कि आरआरयू की अलग-अलग देश में भारी डिमांड है. इसपर आदिल ने अपने भाई सादिक और अदनान के साथ मिलकर गैंग बनाया और देशभर में मोबाइल टावर से आरआरयू की चोरी करने लगे.
क्या है रिमोट रेडियो यूनिट: रिमोट रेडियो यूनिट (आरआरयू), जिसे रिमोट रेडियो हेड (आरआरएच) के रूप में भी जाना जाता है. यह वायरलेस बेस स्टेशनों का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो वायरलेस उपकरणों और नेटवर्क के बीच संचार की सुविधा प्रदान करता है. इसका प्राथमिक कार्य बेस स्टेशन से डिजिटल सिग्नल को रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सिग्नल में बदलना है, जिसे वायरलेस तरीके से प्रसारित किया जा सकता है.
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पहले भी पकड़ा गया था गैंग: इससे पहले गाजियाबाद पुलिस ने मोबाइल टावरों के उपकरण चोरी करने वाले गिरोह के सरगना जावेद मीरापुरिया को गिरफ्तार किया था, जो कि दुबई भागने की कोशिश कर रहा था. उसे आठ अक्टूबर की रात इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पकड़ा गया था. उसपर मोबाइल टावरों से बैटरी, और अन्य महंगे उपकरण चोरी कर उन्हें दुबई और चीन भेजने का आरोप था. उसके गिरोह द्वारा चुराए गए उपकरणों की कुल कीमत लगभग 35 लाख रुपये है.
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