अलवर. टेक्नोलॉजी के युग में युवाओं में कॅरियर व रोजगार के लिए होड़ लगी है, लेकिन अलवर में एक ऐसा भी युवा है, जिसने 50 साल की उम्र में आधा से ज्यादा समय योग को दिया और योग को ही अपना करियर बनाया. यह योगाभ्यास का ही कमाल है कि योग शिक्षक संजीव शर्मा 50 साल की उम्र के बाद भी युवाओं को शारीरिक दक्षता में मात दे रहे हैं. वे 25—30 साल के अपने योग करियर में हजारों लोगों को योगाभ्यास के माध्यम से स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखा चुके हैं. भागदौड़ वाली जिंदगी में मध्यम वर्ग के लोग ही नहीं, बल्कि डॉक्टर्स, अधिकारी, उद्योगपति, व्यापारी समेत महिलाएं एवं युवा योगाभ्यास के माध्यम से तनाव मुक्ति एवं स्वस्थ जीवन की विधा सीख रहे हैं.
योग दिवस पर हर साल लगाते नि:शुल्क योग शिविर : विश्व योगा दिवस से पहले संजीव शर्मा अलवर के नेहरू गार्डन में आमजन के लिए एक महीने का विशेष योग शिविर लगाते हैं. इन दिनों भी यह शिविर चल रहा है. शर्मा ने वर्ष 2016—17 से इस शिविर की शुरुआत की और तभी से हर साल निरंतर लगाया जा रहा है. इस शिविर में वे अब तक शहर में हजारों लोगों को योगाभ्यास करा चुके हैं. साथ ही कई अन्य शहरों में भी योगाभ्यास करा चुके हैं.
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योगाभ्यास से कई रोगों से मिलती है मुक्ति : भागदौड़ वाली जिंदगी में लोग इन दिनों शारीरिक विकार, मानसिक रोग, तनाव, जोड़ों का दर्द, रीढ़ की हडडी का दर्द आदि से परेशान रहते हैं. योगाभ्यास से इन रोगों में काफी राहत मिलती है.
योग व्यक्ति का प्रकृति से तालमेल : योग शिक्षक संजीव शर्मा का कहना है कि व्यक्ति का प्रकृति से जुड़ाव ही योग कला है. व्यक्ति का शरीर पंचतत्व से बना है और प्रकृति और ब्रह्मांड भी पंचतत्व से मिलकर बने हैं. इनके बीच तालमेल बिठाने का माध्यम योगाभ्यास है. व्यक्ति प्रकृति के जितना नजदीक रहेगा, वह उतना ही स्वस्थ रहेगा.