अम्बिकापुर: अम्बिकापुर एसएलआरएम सेंटर में काम करने वाली स्वच्छता दीदियों ने अपने काम के साथ शिक्षा जारी रखी. कचरा उठाने के बाद मिलने वाले समय में ये अपनी पढ़ाई करती हैं. कचरे के ढेर में काम करने वाली इन महिलाओं ने इस जीवन से भी आगे बढ़कर खुद की किस्मत लिखने की चाह रखी और अब बीए, एमए, एमएससी जैसी उच्च शिक्षा की डिग्री हासिल कर ली है. कचरा प्रबंधन के साथ साथ सरकारी नौकरी करने का लक्ष्य लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां भी ये स्वच्छता दीदियां कर रही हैं.
इतिहास रचने की राह पर स्वच्छता दीदियां: नगर निगम अम्बिकापुर को स्वच्छता प्रबंधन में स्वच्छता दीदियों ने ही देशभर में पहचान दिलाई है. आम तौर पर शहर में डोर टू डोर कचरा प्रबंधन करने वाली स्वच्छता दीदियों को लेकर लोगों के मन में यही धारणा रहती है कि इन महिलाओं की शिक्षा का स्तर बहुत ही कमजोर होगा. इन महिलाओं का जीवन दिनभर लोगों के घरों से कचरा कलेक्ट करने में ही बीत जाता होगा. हालांकि ऐसा नहीं है. ये महिलाएं खाली समय में अपना भविष्य गढ़ रही हैं.
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियां कर रहीं स्वच्छता दीदियां : अंबिकापुर शहर को स्वच्छ बनाने वाली ये स्वच्छता दीदियां लोगों के घरों से कचरा कलेक्टर करने का काम करती हैं. हालांकि खाली समय में ये दीदियां बीए, एमए, एमएससी डिग्री के लिए पढ़ रही हैं. डिग्री पाने के बाद ये महिलाएं प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारियां भी कर रही हैं.
जानिए क्या कहती हैं स्वच्छता दीदियां: स्वच्छता दीदी मंजूषा कहती हैं कि, "ह्यूमन डेवलपमेंट विषय से हमने अपनी एमएमसी की पढ़ाई पूरी की है. गंगापुर की ही रहने वाली हूं. मेरे पिता पेशे से एक किसान हैं. खेती किसानी से परिवार का मुश्किल से ही गुजरा होता है, इसलिए शहर के स्वच्छता अभियान से जुड़ी हूं.
खुद पैसे कमाकर एमएससी ह्यूमन डेवलपमेंट की पढ़ाई पूरी की. अब दिनभर स्वच्छता प्रबंधन करने के साथ ही समय मिलने पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हूं. पुलिस भर्ती, हॉस्टल अधीक्षक जैसे पदों पर भी आवेदन किया है." मंजुषा, स्वच्छता दीदी
ऐसे शुरू की फिर से पढ़ाई: एसएलआरएम सेंटर में काम करते हुए रामेश्वरी तिर्की ने भी अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की है. रामेश्वरी बताती हैं कि साल 2016 में स्वच्छता अभियान से जुड़ी और शहर में किराए के मकान में रहकर उन्होंने कचरा प्रबंधन का काम किया. इस दौरान बीए की पढ़ाई पूरी की. कुछ ऐसी ही कहानी सुगंती कुजूर की है. सुगंती कहती हैं कि, "साल 2018 में स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ी हूं. मूलतः राजपुर क्षेत्र में रहने वाली हूं. जब इस अभियान से जुड़ी तो 12वीं तक ही शिक्षा हासिल कर पाई थी.
अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, लेकिन अन्य साथियों को पढ़ता देख उनमें भी पढ़ाई करने की इच्छा जागृत हुई. मैंने बीए की पढ़ाई पूरी कर ली है."-रामेश्वरी तिर्की
अंबिकापुर नगर निगम मेयर अजय तिर्की का कहना है कि स्वच्छता दीदियों ने नगर निगम को देश भर में पहचान दिलाई है. स्वच्छता दीदियों ने अपनी मेहनत के बल पर यदि इतनी सफलता हासिल की है तो हमारी ओर से भी उन्हें सबल बनाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा. पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने की चाह रखने वाली दीदियों का चिन्हांकन कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए पूरा सहयोग किया जाएगा.
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए कोचिंग की व्यवस्था प्राथमिकता से की जाएगी. इसके लिए एमआईसी की बैठक में प्रस्ताव लाया जा चुका है जो दीदी पढ़ना चाहेंगी उनकी आर्थिक मदद की व्यवस्था के लिए प्रयास किये जाएंगे. -अजय तिर्की, मेयर
जानिए क्या कहते हैं नोडल अधिकारी: स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी ऋतेश सैनी कहते हैं कि, "अम्बिकापुर में सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए शुरू किया गया स्वच्छता प्रबंधन काम सही मायने में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में सहायक साबित हुआ है. इन महिलाओं ने ना सिर्फ अम्बिकापुर को देश दुनिया में पहचान दिलाई है बल्कि ये खुद के जीवन स्तर को भी बेहतर बना रहे हैं. हमने इसे लेकर उच्च अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों से सहयोग की अपील की है ताकि स्वच्छता दीदियों की पढ़ाई में आर्थिक बाधा ना आए."
अम्बिकापुर की स्वच्छता दीदियां अपने काम के बाद खाली समय में न सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल कर रही हैं बल्कि ये प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियां भी कर रहीं हैं. ऐसे में ये दीदियां आगे चलकर किसी बड़े पद पर अफसर के पद पर भी काम कर सकती हैं.