भरतपुर. शहर निवासी बीना देवी के पति योगेश फैक्ट्री में काम कर पूरे परिवार का पालन पोषण किया करते थे, लेकिन एक हादसे में जख्मी होने के बाद उनके हाथ काटने पड़े. उसके बाद परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया. वहीं, इस विकट परिस्थिति में बिना विचलित हुए बीना देवी ने अपने पति, बच्चों की पढ़ाई के साथ ही घर की सभी जिम्मेदारी को उठाया. उन्होंने सिलाई का काम सीखकर घर खर्च निकलना शुरू किया. धीरे-धीरे बीना के सिले कपड़ों की मांग बढ़ती गई और व्यवसाय चल पड़ा. बीना ने कपड़ों की सिलाई से न केवल परिवार की जिम्मेदारी उठाई, बल्कि बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिलाई. अच्छी परवरिश और शिक्षा की बदौलत आज एक बेटी बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर है और दो बच्चे प्रायोगिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. इतना ही नहीं बीना देवी अब तक 100 से ज्यादा महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जानते हैं, महिला बीना देवी के संघर्ष और सफलता की कहानी.
24 साल पहले टूटा दुखों का पहाड़ : शहर के गोपालगढ़ की रहने वाली बीना देवी के पति योगेश एक फैक्ट्री में काम करते थे. करीब 24 साल पहले काम के दौरान ही योगेश के हाथ को करंट लग गया. घटना इतनी भीषण थी कि योगेश का बायां हाथ काटना पड़ा. उसके बाद साल 2000 में वो फैक्ट्री भी बंद हो गई. ऐसे में योगेश पूरी तरह से बेरोजगार हो गए. घर में तीन छोटे बच्चे और पूरे परिवार को पालने की जिम्मेदारी, मानो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
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सिलाई से मिला संबल : बीना देवी ने बताया कि पति का हाथ कटने और बेरोजगार होने के बाद परिवार पालना मुश्किल हो गया था. जैसे तैसे कुछ वक्त गुजरा, लेकिन दिन रात चिंता में गुजर रहे थे. आखिर में साल 2004 में बीना देवी ने सिलाई का काम सीखा. धीरे-धीरे बीना देवी के सिले कपड़े महिलाओं को पसंद आने लगे. बीना देवी नगर निगम के समूह से जुड़ी. उसके बाद मेलों में स्टॉल लगाने लगी. इसके साथ ही उनका व्यवसाय चल पड़ा.
बच्चों को दी बेहतर शिक्षा : बीना देवी ने सिलाई के साथ ही परिवार को संभाला और दो बेटी व एक बेटा को बेहतर शिक्षा दिलाई. उसी का नतीजा है कि आज बीना देवी की बड़ी बेटी बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत है, जबकि बेटा और बेटी उच्च शिक्षा ग्रहण कर प्रायोगिक परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं. अब बीना की मेहनत और लगन से परिवार पर से मानो दुखों के बदल छंट गए हैं.
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महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर : बीना देवी ने बताया कि वो भरतपुर के अलावा संभाग और आसपास के मेलों में भी अपने कपड़ों की स्टॉल लगाती हैं. साथ ही आसपास की महिलाओं को सिलाई सिखा कर उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रही हैं. अब तक बीना देवी करीब 100 से ज्यादा महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दे चुकी हैं. बीना देवी अब व्यवसाय से लाखों कमा कर परिवार की जिम्मेदारी भलीभांति उठा रही हैं और महिला सशक्तिकरण का मजबूत उदाहरण पेश कर रही हैं.