कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोगों ने स्टॉल लगाया है. स्टॉल में हर दिन लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. महोत्सव में उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से शिल्पकार पहुंचे हुए हैं. यहां उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान से करीब 26 शिल्पकार महोत्सव में पहुंचे हैं, जिन्होंने अपने हैंड क्राफ्ट की प्रदर्शनी यहां पर लगाई हुई है, जो 15 दिसंबर तक चलेगी. यहां हैंडीक्राफ्ट के स्टॉल में लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं.
जमकर स्टॉल से सामान खरीद रहे लोग: उज्बेकिस्तान से आए हुए शिल्पकार रंजीदीन ने बताया कि उनको विशेष तौर पर अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में आमंत्रित किया गया है. पहली बार वो महोत्सव में आए हैं. महोत्सव में उन्होंने वुडन के हाथों से बनाए गए सामानों की स्टॉल लगाई है, जिसकी कीमत 200 से 15000 रुपए तक रखी गई है. इसमें लकड़ी से बने हुए होम डेकोरेटर के साथ-साथ चेस जैसे सामान भी बनाए गए हैं, जो एक विशेष लकड़ी से तैयार किए गए हैं. इसकी गुणवत्ता भी काफी अच्छी है. लोग जमकर इसकी खरीदारी कर रहे हैं. इससे हमें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है.
स्टॉल के सामानों की काफी डिमांड: वहीं, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में करनाल से पहुंचे राजेश ने कहा कि यहां पर जितने भी शिल्पकार आए हुए हैं सभी के द्वारा काफी अद्भुत सामान बनाए गए हैं. यहां पर उनके द्वारा उनके देश के कपड़ों की स्टॉल भी लगाई गई है, जिनकी बनावट काफी अच्छी है और दिखने में भी यह काफी आकर्षित है. इन सामानों की डिमांड भी काफी अधिक है. ऐसे शिल्पकार हर साल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचते हैं और अपनी कला की छाप छोड़ जाते हैं.
स्टॉलों में देखने को मिल रही अद्भुत कला: महोत्सव में आए पर्यटक दीपांशु ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में इस बार काफी कुछ अलग देखने को मिल रहा है, हालांकि इस बार ओडिशा और तंजानिया की संस्कृति को भी यहां पर दर्शाया गया है, लेकिन अलग से जो उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान के शिल्पकार यहां पर पहुंचे हैं. उनके यहां पर अद्भुत कला देखने को मिल रही है. इस प्रकार के कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आयोजित रहने चाहिए, ताकि हमारा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सके.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान से 26 शिल्पकार आए हुए हैं, जिन्होंने हाथों से बनाई हुई वस्तुओं की स्टॉल लगाई है. इसमें मुख्य तौर पर कपड़ों के स्टाल लगाए गए हैं, जो उनकी संस्कृति और परंपरा को दर्शाते हैं. उसके साथ-साथ आर्टिफिशियल आभूषणों की स्टाल भी यहां पर लगाई गई है. उनके देश की सभ्यता का दर्शन वाले मास्क भी यहां पर आए हुए हैं, जो काफी आकर्षित करते हैं. यहां पर लकड़ी से बने हुए होम डेकोर के समान के साथ-साथ कपड़ों से बने हुए काफी अच्छी चित्रकारी के हाथ में बैग और अन्य प्रयोग में आने वाले कपड़ों की स्टॉल लगाई गई है.
ये भी पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024: देशभर में 1 मिनट के लिए होगा वैश्विक गीता पाठ, वेब से जुटेंगे 1.50 करोड़ लोग