कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 चल रहा है. ये महोत्सव 15 दिसंबर तक जारी रहेगा. महोत्सव में 5 दिसंबर से 11 दिसंबर तक मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इनमें हरियाणा पवेलियन में मिनी हरियाणा की झलक दिखी. यहां हरियाणा के प्रमुख व्यंजनों का स्टॉल लगाया गया. जहां काफी भीड़ देखने को मिली.
व्यंजन स्टॉल में उमड़ी भीड़: दरअसल, गीता महोत्सव में पवेलियन देखने लाखों लोग पहुंच रहे हैं. इस बीच हरियाणा पवेलियन के व्यंजन स्टॉल में लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली. लोग स्टॉल सेहरियाणा के पारंपरिक भोजन को खरीदकर उसका स्वाद लेते नजर आए. लोगों ने कहा कि वापस हम अपनी संस्कृति की ओर धीरे-धीरे जा रहे हैं. ये गर्व की बात है. हरियाणवी पवेलियन में हरियाणवी रसोई में काफी लोग पहुंच रहे हैं.
हर साल लगता है व्यंजन स्टॉल: पवेलियन में हरियाणवी रसोई स्टॉल के मालिक शिशपाल ने कहा कि हमें हरियाणा सरकार की ओर से विशेष तौर पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आमंत्रित किया जाता है. हर साल हम यहां हरियाणवी रसोई लगाते हैं. यहां पर हरियाणवी व्यंजन तैयार किए जाते हैं. जैसे-जैसे हरियाणा बदलता जा रहा है, वैसे-वैसे ही खान-पान भी बदलता जा रहा है. हम हरियाणवी रसोई में देसी घी से बना हुआ चूरमा, शक्कर, बाजरे एवं मक्की की रोटी सरसों का साग, हरियाणा की खास जलेबी और साथ में कढ़ी चावल बना रहे हैं. सरसों का साग और बाजरे की रोटी के साथ-साथ हरियाणा का चूरमा पूरे भारत में प्रसिद्ध है. यहां पर शुद्ध देसी घी से सभी व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि हमारे आने वाली पीढ़ियां हमारे खाने को जान पाए और उसकी पौष्टिकता को भी पहचाने.
हरियाणवी खाने के साथ दी जाती है लस्सी: हरियाणवी रसोई में काम करने वाली महिला मनदीप कौर ने बताया कि यहां पर घर की तरह ही सारी खाने की चीजें बनाई जा रही है. जो लोग अब गांव में कुछ सालों पहले बनने वाली खाने के व्यंजनों को भूलते जा रहे हैं, उन्हीं को याद दिलाने के लिए हम अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचे हैं. यहां बाजरे की रोटी, सरसों का साग और देसी घी के चूरमा को खूब पसंद किया जा रहा है. बाजरे की रोटी और सरसों के साग के साथ लोगों को पीने के लिए लस्सी भी दी जा रही है.
शुद्ध और पौष्टिक खाना मिल रहा: गीता महोत्सव में आए सूरत सिंह ने कहा कि हरियाणा का जो खानपान था, वह सबसे अच्छा खान-पान माना जाता था. वह एक हेल्थी फूड होता था, जिसको खाकर हमारे हरियाणा के जवान और खिलाड़ी बनते थे, लेकिन समय के साथ-साथ खान-पान में भी बदलाव हुआ है. हालांकि गीता महोत्सव में हरियाणवी रसोई ने गांव की याद दिला दी. यहां गांव का बना हुआ खाना खाने को मिला है. लोग इसको काफी पसंद कर रहे हैं. यह शुद्ध और पौष्टिक से भरा खाना है, जो काफी अच्छा है. जंक फूड की तरफ हमारे युवा पीढ़ी बढ़ रहे है, लेकिन हमारे युवा पीढ़ी को यहां आना चाहिए. ये खाना खाकर तो देखो ये कितना हेल्दी होता है.
खाकर आ गई बचपन की याद: महोत्सव में पहुंचे चेतन ने कहा कि यहां का खाना खाकर मां की याद आ गई. ये खाना हमें बचपन की याद दिला रहा है. वहीं, पवेलियन में आए यशपाल ने कहा कि हरियाणा पवेलियन में हरियाणा की संस्कृति को दर्शाया गया है. हरियाणा का जो प्रसिद्ध खाना है, वह भी खाने को मिला है. यह खाकर काफी अच्छा लग रहा है. बचपन की याद आ गई. मां और दादी ऐसा खाना बनाती थी.
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में लोग भारत के अन्य राज्यों से और विदेशों से आ रहे हैं. हरियाणवी रसोई में पके व्यंजन खाकर लोगों को काफी अच्छा लग रहा है. देश ही नहीं बल्कि विदेशी भी हरियाणवी खाने की खूब तारीफ कर रहे हैं.