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अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर स्कूली बच्चों ने निकाली रैलियां, लोगों को किया जागरूक - International drug prevention day - INTERNATIONAL DRUG PREVENTION DAY

International drug prevention day: अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर हिमाचल में रैलियों का आयोजन किया गया. सोलन में स्कूली बच्चों ने रैली निकाली और कुल्लू में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया.

International drug prevention day
हिमाचल में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 26, 2024, 4:57 PM IST

सोलन/कुल्लू: हिमाचल में अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस के मौके पर जागरूकता रैलियों का आयोजन किया गया. सोलन शहर में स्कूली बच्चों ने एक जागरूकता रैली का आयोजन किया. यह रैली सोलन शहर के ओल्ड डीसी ऑफिस से रेस्ट हाउस सोलन तक निकाली गई जिसमें नशा ना करने को लेकर स्कूली बच्चों ने लोगों को जागरूक किया.

उच्च शिक्षा विभाग सोलन के उपनिदेशक डॉ. जगदीश नेगी ने बताया आज की युवा पीढ़ी लगातार नशे से ग्रस्त होती जा रही है. ऐसे में इस मानसिक बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को जागरूक करने की जरूरत है.

इसी विषय को देखते हुए हर साल की तरह इस साल भी रैली के माध्यम से लोगों को नशा न करने और युवाओं को इसके चंगुल से बाहर निकालने के प्रति जागरूक किया गया. इसी के साथ स्कूलों में आज पेंटिंग प्रतियोगिता व क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई.

वहीं, कुल्लू जिला के मुख्यालय ढालपुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में स्वास्थ्य विभाग ने नशा निवारण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया.

ढालपुर अस्पताल में कार्यरत मनोचिकित्सक आकाश ने बताया कि जिला कुल्लू हिमाचल प्रदेश में पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. वहीं, यहां पर भांग अफीम के साथ-साथ अब सिंथेटिक ड्रग्स ने भी अपना अड्डा जमा लिया है. प्रदेश के युवाओं का भविष्य नशे की लत में पड़कर खराब हो रहा है.

हालांकि यहां पर दिल्ली एम्स के द्वारा डी-एडिक्शन सेंटर की स्थापना की गई है और अब जल्द ही प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में भी इसकी सुविधा मिलेगी लेकिन सबसे पहले छात्र या युवा नशे की ओर क्यों जा रहे हैं. इसका कारण जानना काफी जरूरी है.

ऐसे में अभिभावक भी पहले इन कारणों को पहचाने और उसके बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चलाए जा रहे नशा निवारण केंद्र में इसका इलाज किया जा सकता है. आकाश ने बताया कि जिला कुल्लू में जहां विदेशी पर्यटक काफी संख्या में आते हैं तो वहीं सिंथेटिक ड्रग भी यहां पर अब युवाओं के द्वारा प्रयोग में लाए जा रहे हैं.

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के लिए साल 1987 में 7 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें नशीली दवाओं के गैर कानूनी इस्तेमाल और अवैध तस्करी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की बात कही थी. पहली बार यह दिन साल 1989 में 26 जून को मनाया गया था और उसके बाद से हर साल इस दिन को मनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: ऐसे कैसे बनेगा हिमाचल ग्रीन स्टेट? फायर सीजन में अब तक आग लगने के 2304 मामले, 7 करोड़ से ज्यादा वन संपदा जलकर राख

सोलन/कुल्लू: हिमाचल में अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस के मौके पर जागरूकता रैलियों का आयोजन किया गया. सोलन शहर में स्कूली बच्चों ने एक जागरूकता रैली का आयोजन किया. यह रैली सोलन शहर के ओल्ड डीसी ऑफिस से रेस्ट हाउस सोलन तक निकाली गई जिसमें नशा ना करने को लेकर स्कूली बच्चों ने लोगों को जागरूक किया.

उच्च शिक्षा विभाग सोलन के उपनिदेशक डॉ. जगदीश नेगी ने बताया आज की युवा पीढ़ी लगातार नशे से ग्रस्त होती जा रही है. ऐसे में इस मानसिक बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को जागरूक करने की जरूरत है.

इसी विषय को देखते हुए हर साल की तरह इस साल भी रैली के माध्यम से लोगों को नशा न करने और युवाओं को इसके चंगुल से बाहर निकालने के प्रति जागरूक किया गया. इसी के साथ स्कूलों में आज पेंटिंग प्रतियोगिता व क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई.

वहीं, कुल्लू जिला के मुख्यालय ढालपुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में स्वास्थ्य विभाग ने नशा निवारण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया.

ढालपुर अस्पताल में कार्यरत मनोचिकित्सक आकाश ने बताया कि जिला कुल्लू हिमाचल प्रदेश में पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. वहीं, यहां पर भांग अफीम के साथ-साथ अब सिंथेटिक ड्रग्स ने भी अपना अड्डा जमा लिया है. प्रदेश के युवाओं का भविष्य नशे की लत में पड़कर खराब हो रहा है.

हालांकि यहां पर दिल्ली एम्स के द्वारा डी-एडिक्शन सेंटर की स्थापना की गई है और अब जल्द ही प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में भी इसकी सुविधा मिलेगी लेकिन सबसे पहले छात्र या युवा नशे की ओर क्यों जा रहे हैं. इसका कारण जानना काफी जरूरी है.

ऐसे में अभिभावक भी पहले इन कारणों को पहचाने और उसके बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चलाए जा रहे नशा निवारण केंद्र में इसका इलाज किया जा सकता है. आकाश ने बताया कि जिला कुल्लू में जहां विदेशी पर्यटक काफी संख्या में आते हैं तो वहीं सिंथेटिक ड्रग भी यहां पर अब युवाओं के द्वारा प्रयोग में लाए जा रहे हैं.

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के लिए साल 1987 में 7 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें नशीली दवाओं के गैर कानूनी इस्तेमाल और अवैध तस्करी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की बात कही थी. पहली बार यह दिन साल 1989 में 26 जून को मनाया गया था और उसके बाद से हर साल इस दिन को मनाया जा रहा है.

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