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दुनिया में स्टील हब बनेगा भारत, तैयारी में जुटा इस्पात मंत्रालय, इस्पात सचिव ने एचईसी को दी टेक्नोलॉजी बदलने की सलाह - STEEL International CONFERENCE

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 30, 2024, 7:12 PM IST

Steel Conference In Ranchi. सेल और मेकॉन द्वारा दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस दौरान इस्पात सचिव एनएन सिन्हा ने कहा कि एचईसी को यह सोचना होगा कि वह अपनी 50-60 साल पुरानी तकनीक के साथ मौजूदा तकनीकी युग में शामिल नहीं हो सकता. इसलिए उसे अपने तरीके बदलने होंगे.

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इस्पात पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन (ETV BHARAT)

रांची: झारखंड दौरे पर आए भारत सरकार के इस्पात सचिव एन एन सिंहा ने कहा कि एचईसी को सोचना होगा कि 50-60 साल पुराने अपने टेक्नोलॉजी के जरिए वर्तमान टेक्नोलॉजी युग में शामिल नहीं हो सकते हैं. इसलिए उसे अपने तरीके को बदलना होगा. ईटीवी भारत के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि आम तौर पर कस्टमर की शिकायत यह रहती है कि एचईसी समय पर वर्क ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाता है. इस मुद्दे को भी दूर करना होगा.

इस्पात सचिव और सेल चैयरमेन स्टील को लेकर जानकारी देते हुए (ETV BHARAT)

केन्द्र सरकार द्वारा एचईसी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई योजना बनाए जाने संबंधी सवाल का जवाब देते हुए एन एन सिन्हा ने कहा कि हैवी इंडस्ट्री मंत्रालय इसपर काम कर रहा है. सेल और मेकॉन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में शिरकत करते हुए एन के सिन्हा ने कहा कि तकनीकी युग में हर इंडस्ट्री को बदलते समय के साथ-साथ अपने आपको भी इम्प्रूव करके रखना होगा तभी वो जिंदा रह सकता है.

दुनिया में भारत सबसे ज्यादा स्टील का प्रोडक्शन और खपत करने वाला देश

भारत देश का स्टील इंडस्ट्री दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है जिसमें काफी संभावनाएं हैं. इसे ध्यान में रखते हुए रांची झारखंड में इस तरह का आयोजन किया गया जिसमें भविष्य की रणनीति और कमियों को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की राय ली जा रही है जो बहुत ही अच्छी पहल है. सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा है कि भारत दुनिया के देशों में सबसे तीव्र गति से स्टील प्रोडक्शन और कन्जम्शन करने वाला देश है.

इस वर्ष भारत में 13.5% की दर से स्टील की खपत बढी है. 2023-24 में भारत में 136 मिलियन टन स्टील की खपत हुई है, जबकि पूरे विश्व में देखें तो मात्र 0.5% है. 2017 में बनी स्टील पॉलिसी के तहत हमारा लक्ष्य है. देश में 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन करने का है, जिसके तहत प्रत्येक स्टील कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहती है. यदि बात करें सेल की तो वर्तमान में 20 मिलियन टन हमारी उत्पादन क्षमता है जिसे हम प्रतिवर्ष 35 मिलियन टन क्षमता करने का लक्ष्य बना रखा है.

स्टील उत्पादन के लिए विदेशों से आते हैं मशीनें: सेल चेयरमैन

स्टील उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे अहम योगदान इसमें नई टेक्नोलॉजी के साथ लगने वाले मशीन हैं जो विदेशों से आती हैं. सेल अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य यह है कि अगर मशीन विदेश की बजाय अपने देश में तैयार हो तो न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा बल्कि यहां आर्थिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ेंगी. इसी उद्देश्य को लेकर स्टील उद्योग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े देश-दुनिया के 150 विशेषज्ञ उपस्थित हैं. इसके अलावे करीब 200 ऑनलाइन जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संकट को ध्यान में रखकर नेट जीरो को लेकर स्टील इंडस्ट्री अभी से अपने टेक्नोलॉजी में बदलाव करने में जुटा है. आज क्लाइमेट चेंज सबके लिए चिंता का विषय है, जो रांची में पिछले 20 साल पहले लोग इस मौसम में पंखा नहीं चलाते थे आज एसी भी काम नहीं कर रहा है. ये परिवर्तन सबके लिए है इसलिए चिंता के साथ-साथ सबको पहल करनी होगी.

कॉन्फ्रेंस को मेकॉन के सीएमडी संजय कुमार वर्मा, इस्पात मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव सहित कई लोगों ने संबोधित किया. इस मौके पर स्टील निर्माता, लोहा और इस्पात उत्पादक, शिक्षा जगत के प्रतिनिधि, उपकरण आपूर्तिकर्ता, इंजीनियरिंग और परामर्श कंपनियां, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिभागी और बड़े एवं मध्यम इस्पात क्षेत्र के कंपनियों के प्रमुख भी उपस्थित थे. यह सेमिनार 31 मई तक चलेगा.

ये भी पढ़ें: संथाल में बदल रही है डेमोग्राफी, आदिवासी संख्या घटी, मुस्लिम आबादी बढ़ी, अमर बाउरी बोले, भाजपा ही बदल सकती है तस्वीर

ये भी पढ़ें: मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड अवधि समाप्त, कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

रांची: झारखंड दौरे पर आए भारत सरकार के इस्पात सचिव एन एन सिंहा ने कहा कि एचईसी को सोचना होगा कि 50-60 साल पुराने अपने टेक्नोलॉजी के जरिए वर्तमान टेक्नोलॉजी युग में शामिल नहीं हो सकते हैं. इसलिए उसे अपने तरीके को बदलना होगा. ईटीवी भारत के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि आम तौर पर कस्टमर की शिकायत यह रहती है कि एचईसी समय पर वर्क ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाता है. इस मुद्दे को भी दूर करना होगा.

इस्पात सचिव और सेल चैयरमेन स्टील को लेकर जानकारी देते हुए (ETV BHARAT)

केन्द्र सरकार द्वारा एचईसी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई योजना बनाए जाने संबंधी सवाल का जवाब देते हुए एन एन सिन्हा ने कहा कि हैवी इंडस्ट्री मंत्रालय इसपर काम कर रहा है. सेल और मेकॉन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में शिरकत करते हुए एन के सिन्हा ने कहा कि तकनीकी युग में हर इंडस्ट्री को बदलते समय के साथ-साथ अपने आपको भी इम्प्रूव करके रखना होगा तभी वो जिंदा रह सकता है.

दुनिया में भारत सबसे ज्यादा स्टील का प्रोडक्शन और खपत करने वाला देश

भारत देश का स्टील इंडस्ट्री दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है जिसमें काफी संभावनाएं हैं. इसे ध्यान में रखते हुए रांची झारखंड में इस तरह का आयोजन किया गया जिसमें भविष्य की रणनीति और कमियों को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की राय ली जा रही है जो बहुत ही अच्छी पहल है. सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा है कि भारत दुनिया के देशों में सबसे तीव्र गति से स्टील प्रोडक्शन और कन्जम्शन करने वाला देश है.

इस वर्ष भारत में 13.5% की दर से स्टील की खपत बढी है. 2023-24 में भारत में 136 मिलियन टन स्टील की खपत हुई है, जबकि पूरे विश्व में देखें तो मात्र 0.5% है. 2017 में बनी स्टील पॉलिसी के तहत हमारा लक्ष्य है. देश में 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन करने का है, जिसके तहत प्रत्येक स्टील कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहती है. यदि बात करें सेल की तो वर्तमान में 20 मिलियन टन हमारी उत्पादन क्षमता है जिसे हम प्रतिवर्ष 35 मिलियन टन क्षमता करने का लक्ष्य बना रखा है.

स्टील उत्पादन के लिए विदेशों से आते हैं मशीनें: सेल चेयरमैन

स्टील उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे अहम योगदान इसमें नई टेक्नोलॉजी के साथ लगने वाले मशीन हैं जो विदेशों से आती हैं. सेल अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य यह है कि अगर मशीन विदेश की बजाय अपने देश में तैयार हो तो न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा बल्कि यहां आर्थिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ेंगी. इसी उद्देश्य को लेकर स्टील उद्योग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े देश-दुनिया के 150 विशेषज्ञ उपस्थित हैं. इसके अलावे करीब 200 ऑनलाइन जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संकट को ध्यान में रखकर नेट जीरो को लेकर स्टील इंडस्ट्री अभी से अपने टेक्नोलॉजी में बदलाव करने में जुटा है. आज क्लाइमेट चेंज सबके लिए चिंता का विषय है, जो रांची में पिछले 20 साल पहले लोग इस मौसम में पंखा नहीं चलाते थे आज एसी भी काम नहीं कर रहा है. ये परिवर्तन सबके लिए है इसलिए चिंता के साथ-साथ सबको पहल करनी होगी.

कॉन्फ्रेंस को मेकॉन के सीएमडी संजय कुमार वर्मा, इस्पात मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव सहित कई लोगों ने संबोधित किया. इस मौके पर स्टील निर्माता, लोहा और इस्पात उत्पादक, शिक्षा जगत के प्रतिनिधि, उपकरण आपूर्तिकर्ता, इंजीनियरिंग और परामर्श कंपनियां, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिभागी और बड़े एवं मध्यम इस्पात क्षेत्र के कंपनियों के प्रमुख भी उपस्थित थे. यह सेमिनार 31 मई तक चलेगा.

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