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Women's Day Special: पताका सिलकर बेटी को पाला, अब महिलाओं को दे रही रोजगार, पति के छोड़ने के बाद अंजू देवी की बदल गई जिंदगी - Anju Devi of Koderma

Anju Devi of Koderma. आज महिला दिवस है और आज चर्चा उन महिलाओं की जिन्होंने न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रही हैं. ऐसी ही एक महिला हैं कोडरमा की अंजू देवी. पति से अलग होने के बाद अंजू महावीरी झंडा-पताका बनाकर न सिर्फ आर्थिक आय अर्जित कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को स्वरोजगार भी सिखा रही हैं.

Anju Devi of Koderma
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 8, 2024, 9:26 AM IST

Updated : Mar 8, 2024, 10:30 AM IST

अंजू देवी के बारे में जानकारी देते संवाददाता भोला शंकर सिंह

कोडरमा: हाथों में हुनर और मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती. कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली अंजू देवी इसकी उदाहरण हैं. पति के छोड़ने के बाद कभी पाई-पाई की मोहताज रहीं अंजु देवी आज अपने जैसी लाखों महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं हैं.

अंजु देवी सिलाई मशीन पर विभिन्न प्रकार के झंडे और पताकाएं सिलती हैं. वह 15 वर्षों से महावीरी झंडे और पताकाओं का निर्माण कर रही हैं, साथ ही देवी-देवताओं के लिए वस्त्र और जैन और मुस्लिम समुदाय से संबंधित धार्मिक वस्त्र भी बनाती हैं. उन्होंने इसके जरिए कई महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा है. वे इस काम में अपने साथ आसपास की 8 महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.

बेटी के जन्म से नाराज होकर पति ने छोड़ा था साथ

करीब 18 साल पहले जब अंजू ने बेटी को जन्म दिया तो उनके पति उनसे नाराज हो गए और उन्हें बेसहारा छोड़ दिया. जिसके बाद अपना और अपनी नवजात बेटी का भरण-पोषण करने के लिए अंजू ने कपड़े सिलना शुरू कर दिया. शुरुआती दिनों में वह किसी और के लिए महिलाओं के कपड़े तैयार करती थीं, लेकिन बाद में अंजू ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया. अपनी बचत किए पैसे का इस्तेमाल कर उन्होंने महावीरी झंडे और पताकाएं बनाना शुरू किया. अंजू बताती हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के दौरान अंजू के कारोबार में अचानक उछाल आ गया और झंडों की बिक्री चार गुना बढ़ गई.

बेटी को अफसर बनाना चाहती हैं अंजू

अंजू अपनी बेटी अन्नू को पढ़ा-लिखाकर बड़ी अफसर बनाना चाहती हैं. अन्नू भी अपनी मां के साहस और जज्बे को सलाम करती हैं. अन्नू बताती हैं कि उन्होंने बचपन से अपनी मां को इसी सिलाई मशीन के साथ देखा है. उनका पालन-पोषण भी इसी सिलाई मशीन के सहारे हो रहा है. उन्होंने बताया कि जो भी जरूरतमंद महिला उनकी मां के पास आती है, वह उसे रोजगार भी मुहैया कराती हैं.

पति से अलग होने के बाद अंजू को आसपास के लोगों का सहारा मिला था. जब अंजू की हिम्मत को पंख लगे तो उन्होंने भी अपने आसपास की महिलाओं और लड़कियों को हुनरमंद बनाना शुरू कर दिया. अंजू के काम में मदद करने वाली एक महिला ने बताया कि जो कभी खुद बेसहारा थी, आज वह कई महिलाओं का सहारा बन गई है.

यह भी पढ़ें: Women's Day Special: ईंट भट्ठे की राख से भरे हाथ को जब मिला आशा का सहारा तो बदल गई जिंदगी, जानिए फुटबॉलर बिरसमनी की पूरी कहानी

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अंजू देवी के बारे में जानकारी देते संवाददाता भोला शंकर सिंह

कोडरमा: हाथों में हुनर और मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती. कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली अंजू देवी इसकी उदाहरण हैं. पति के छोड़ने के बाद कभी पाई-पाई की मोहताज रहीं अंजु देवी आज अपने जैसी लाखों महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं हैं.

अंजु देवी सिलाई मशीन पर विभिन्न प्रकार के झंडे और पताकाएं सिलती हैं. वह 15 वर्षों से महावीरी झंडे और पताकाओं का निर्माण कर रही हैं, साथ ही देवी-देवताओं के लिए वस्त्र और जैन और मुस्लिम समुदाय से संबंधित धार्मिक वस्त्र भी बनाती हैं. उन्होंने इसके जरिए कई महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा है. वे इस काम में अपने साथ आसपास की 8 महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.

बेटी के जन्म से नाराज होकर पति ने छोड़ा था साथ

करीब 18 साल पहले जब अंजू ने बेटी को जन्म दिया तो उनके पति उनसे नाराज हो गए और उन्हें बेसहारा छोड़ दिया. जिसके बाद अपना और अपनी नवजात बेटी का भरण-पोषण करने के लिए अंजू ने कपड़े सिलना शुरू कर दिया. शुरुआती दिनों में वह किसी और के लिए महिलाओं के कपड़े तैयार करती थीं, लेकिन बाद में अंजू ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया. अपनी बचत किए पैसे का इस्तेमाल कर उन्होंने महावीरी झंडे और पताकाएं बनाना शुरू किया. अंजू बताती हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के दौरान अंजू के कारोबार में अचानक उछाल आ गया और झंडों की बिक्री चार गुना बढ़ गई.

बेटी को अफसर बनाना चाहती हैं अंजू

अंजू अपनी बेटी अन्नू को पढ़ा-लिखाकर बड़ी अफसर बनाना चाहती हैं. अन्नू भी अपनी मां के साहस और जज्बे को सलाम करती हैं. अन्नू बताती हैं कि उन्होंने बचपन से अपनी मां को इसी सिलाई मशीन के साथ देखा है. उनका पालन-पोषण भी इसी सिलाई मशीन के सहारे हो रहा है. उन्होंने बताया कि जो भी जरूरतमंद महिला उनकी मां के पास आती है, वह उसे रोजगार भी मुहैया कराती हैं.

पति से अलग होने के बाद अंजू को आसपास के लोगों का सहारा मिला था. जब अंजू की हिम्मत को पंख लगे तो उन्होंने भी अपने आसपास की महिलाओं और लड़कियों को हुनरमंद बनाना शुरू कर दिया. अंजू के काम में मदद करने वाली एक महिला ने बताया कि जो कभी खुद बेसहारा थी, आज वह कई महिलाओं का सहारा बन गई है.

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Last Updated : Mar 8, 2024, 10:30 AM IST
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