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तड़पती मासूम को अस्पताल में छोड़ा, डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी, शिशु गृह भेजते समय डॉक्टर्स नर्स की आंखें हुई नम - kanpur news

कानपुर शहर के जीएसवीएम अस्पताल के डॉक्टर और नर्स की आंखे उस वक्त नम हो गई जब बाल रोग विभाग में भर्ती 10 माह की बच्ची को राजकीय शिशु लखनऊ भेजा जा रहा था. नवजात बच्ची को भर्ती कराकर माता-पिता चले गए और कभी नहीं लौटे. जिसके बाद से अस्पताल के डॉक्टर ही उसके परिजन बन गए थे.

सिया को मिली नई जिंदगी
सिया को मिली नई जिंदगी (PHOTO credits Media Cell,GSVM Medical College)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 11:05 PM IST

जब रो पड़े डॉक्टर (video credits Media Cell,GSVM Medical College)

कानपुर: कानपुर में एक दंपत्ति ने दस महीने पहले एक नवजात को बीमार होने पर शहर के जीएसवीएम अस्पताल के बाल रोग विभाग भर्ती कराया और फिर कभी उसे देखने तक नहीं आए. शायद ही इतने कठोर दिल वाले कोई मां-बाप होते होंगे. मासूम सिया जब वेंटिलेटर पर थी, तभी बाल रोग के डॉक्टरों ने उसे बचाने की ठान ली थी. फिर क्या था, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की टीम ने मासूम सिया को नईं जिंदगी दे दी. इसके बाद समय आया, उसके माता-पिता को तलाशने का. जब वह नहीं मिले, तो बाल रोग विभाग के ही डॉक्टर्स और नर्स स्टॉफ सिया के माता-पिता बन गए. जब सिया 10 महीने की हो गई, तो डॉक्टरों की टीम ने उसे शुक्रवार देर शाम लखनऊ स्थित राजकीय शिशु गृह भेज दिया.

शहर भर में मासूम सिया की चर्चा, जाते समय खूब रोए डॉक्टर: शुक्रवार को कानपुर में केवल मासूम सिया की चर्चा रही. जब डॉक्टर्स की टीम ने सिया को बाल रोग विभाग से विदा किया, तो कई डॉक्टर्स और नर्स रो रहे थे. हालांकि, मासूम सिया मुस्कुराते हुए ही बाल रोग विभाग से चली गई. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने कहा, कि सिया का बाल रोग विभाग में भर्ती होना किसी चमत्कार से कम नहीं था. हर डॉक्टर और नर्स का सिया से अद्भुत लगाव था. इस अस्पताल में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी बच्ची को डॉक्टर और नर्स ने माता-पिता का प्यार दिया. वह हर किसी की दुलारी बनी.

ये भी पढ़ें: प्रयागराज में कुंभ मेला 2025 को लेकर पंचायती अखाड़ा ने शुरू की तैयारी

जब रो पड़े डॉक्टर (video credits Media Cell,GSVM Medical College)

कानपुर: कानपुर में एक दंपत्ति ने दस महीने पहले एक नवजात को बीमार होने पर शहर के जीएसवीएम अस्पताल के बाल रोग विभाग भर्ती कराया और फिर कभी उसे देखने तक नहीं आए. शायद ही इतने कठोर दिल वाले कोई मां-बाप होते होंगे. मासूम सिया जब वेंटिलेटर पर थी, तभी बाल रोग के डॉक्टरों ने उसे बचाने की ठान ली थी. फिर क्या था, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की टीम ने मासूम सिया को नईं जिंदगी दे दी. इसके बाद समय आया, उसके माता-पिता को तलाशने का. जब वह नहीं मिले, तो बाल रोग विभाग के ही डॉक्टर्स और नर्स स्टॉफ सिया के माता-पिता बन गए. जब सिया 10 महीने की हो गई, तो डॉक्टरों की टीम ने उसे शुक्रवार देर शाम लखनऊ स्थित राजकीय शिशु गृह भेज दिया.

शहर भर में मासूम सिया की चर्चा, जाते समय खूब रोए डॉक्टर: शुक्रवार को कानपुर में केवल मासूम सिया की चर्चा रही. जब डॉक्टर्स की टीम ने सिया को बाल रोग विभाग से विदा किया, तो कई डॉक्टर्स और नर्स रो रहे थे. हालांकि, मासूम सिया मुस्कुराते हुए ही बाल रोग विभाग से चली गई. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने कहा, कि सिया का बाल रोग विभाग में भर्ती होना किसी चमत्कार से कम नहीं था. हर डॉक्टर और नर्स का सिया से अद्भुत लगाव था. इस अस्पताल में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी बच्ची को डॉक्टर और नर्स ने माता-पिता का प्यार दिया. वह हर किसी की दुलारी बनी.

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