कानपुर: कानपुर में एक दंपत्ति ने दस महीने पहले एक नवजात को बीमार होने पर शहर के जीएसवीएम अस्पताल के बाल रोग विभाग भर्ती कराया और फिर कभी उसे देखने तक नहीं आए. शायद ही इतने कठोर दिल वाले कोई मां-बाप होते होंगे. मासूम सिया जब वेंटिलेटर पर थी, तभी बाल रोग के डॉक्टरों ने उसे बचाने की ठान ली थी. फिर क्या था, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की टीम ने मासूम सिया को नईं जिंदगी दे दी. इसके बाद समय आया, उसके माता-पिता को तलाशने का. जब वह नहीं मिले, तो बाल रोग विभाग के ही डॉक्टर्स और नर्स स्टॉफ सिया के माता-पिता बन गए. जब सिया 10 महीने की हो गई, तो डॉक्टरों की टीम ने उसे शुक्रवार देर शाम लखनऊ स्थित राजकीय शिशु गृह भेज दिया.
शहर भर में मासूम सिया की चर्चा, जाते समय खूब रोए डॉक्टर: शुक्रवार को कानपुर में केवल मासूम सिया की चर्चा रही. जब डॉक्टर्स की टीम ने सिया को बाल रोग विभाग से विदा किया, तो कई डॉक्टर्स और नर्स रो रहे थे. हालांकि, मासूम सिया मुस्कुराते हुए ही बाल रोग विभाग से चली गई. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने कहा, कि सिया का बाल रोग विभाग में भर्ती होना किसी चमत्कार से कम नहीं था. हर डॉक्टर और नर्स का सिया से अद्भुत लगाव था. इस अस्पताल में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी बच्ची को डॉक्टर और नर्स ने माता-पिता का प्यार दिया. वह हर किसी की दुलारी बनी.
ये भी पढ़ें: प्रयागराज में कुंभ मेला 2025 को लेकर पंचायती अखाड़ा ने शुरू की तैयारी