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गर्मी से वन्य जीवों को बचाने की बड़ी चुनौती, पलामू के जंगलों में जलस्रोत तैयार करने की योजना - Initiative To Save Wildlife In Palamu - INITIATIVE TO SAVE WILDLIFE IN PALAMU

Plan to develop water sources in Palamu. भीषण गर्मी इंसान से साथ-साथ वन्य जीवों के लिए भी आफत बन गई है. पलामू में बंदरों की मौत के बाद प्रशासन जागा है और अब जंगली क्षेत्र में जलस्रोतों को डेवलप करने की योजना पर कार्य शुरू किया गया है.

Initiative To Save Wildlife In Palamu
पलामू में गर्मी से परेशान वन्य जीव. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 10, 2024, 3:35 PM IST

पलामूः जिले के पांकी इलाके में तीन जून को एक कुआं से 32 बंदरों का शव बरामद हुआ था. सभी बंदर प्यास बुझाने के लिए कुआं में कूदे थे और उनकी मौत हो गई थी. यह घटना समझने के लिए काफी है कि भीषण गर्मी में जीव-जंतु कितने संकट में हैं. बंदरों की मौत के बाद जलसंकट की ओर प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान खींचा था. वन्य जीवों के लिए नए सिरे से जलस्रोत को डेवलप करने की योजना पर कार्य शुरू किया गया है. पलामू के जंगलों में जलस्रोत को ढूंढा जा रहा है और उनकी स्थिति का आकलन किया जा रहा है.

25 इलाकों में वन्य जीवों के लिए जलस्रोत नहीं

पलामू में वन विभाग ने अब तक 25 इलाकों को चिन्हित किया है, जहां वन्य जीवों के लिए जलस्रोत नहीं हैं. इन इलाकों में चेक डैम बनाने की योजना तैयार की जा रही है. अगले कुछ महीनों में चेक डैम बनकर तैयार हो जाएगा. बारिश के पानी को भी बचाने के लिए कच्चे जलस्रोत चिन्हित किए गए हैं.

जंगल क्षेत्र में जलस्रोत डेवलप किए जाएंगेः डीएफओ

इस संबंध में पलामू के डीएफओ कुमार आशीष बताते हैं कि जंगल के इलाकों में वन्य जीवों के लिए जलस्रोत को चिन्हित किया जा रहा है. कई इलाकों में चेक डैम बनाने की योजना है, ताकि वन्य जीवों को पाने के लिए भटकना नहीं पड़े. बारिश के पानी को बचाने के लिए भी पहल की जा रही है. फिलहाल 20 से 25 इलाकों में चेक डैम बनाने की योजना है. जिला प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर जंगली इलाकों में जलस्रोत को डेवलप किया जाएगा.

854 वर्ग किलोमीटर में पलामू में जंगल, पाए जाते हैं कई जीव

पलामू में 1854 वर्ग किलोमीटर में जंगल फैला हुआ है. करीब 140776 हेक्टेयर भूमि पर जंगल है. जंगल में करीब 170 प्रकार के पेड़-पौधे हैं. जबकि जंगलों में हिरण, हाथी, बंदर, लंगूर समेत कई प्रकार के वन्य जीव भी मौजूद हैं.

वन्य जीव प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर

इन इलाकों में वन्य जीव प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर. पूरे बरसात जंगल से होकर बहने वाली नदियों में पानी आता है, जबकि गर्मी के मौसम में नदियां सूख जाती हैं. भीषण गर्मी के कारण जंगल से कई वन्य जीव बाहर निकलते हैं और ग्रामीणों का शिकार बन जाते है. 2022 के बाद से एक दर्जन से अधिक हिरण ग्रामीणों का शिकार बने हैं.

ये भी पढ़ें-

32 बंदरों की मौत का मामला: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जानें मौत की असली वजह - Monkeys death in Palamu

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25 इलाकों में वन्य जीवों के लिए जलस्रोत नहीं

पलामू में वन विभाग ने अब तक 25 इलाकों को चिन्हित किया है, जहां वन्य जीवों के लिए जलस्रोत नहीं हैं. इन इलाकों में चेक डैम बनाने की योजना तैयार की जा रही है. अगले कुछ महीनों में चेक डैम बनकर तैयार हो जाएगा. बारिश के पानी को भी बचाने के लिए कच्चे जलस्रोत चिन्हित किए गए हैं.

जंगल क्षेत्र में जलस्रोत डेवलप किए जाएंगेः डीएफओ

इस संबंध में पलामू के डीएफओ कुमार आशीष बताते हैं कि जंगल के इलाकों में वन्य जीवों के लिए जलस्रोत को चिन्हित किया जा रहा है. कई इलाकों में चेक डैम बनाने की योजना है, ताकि वन्य जीवों को पाने के लिए भटकना नहीं पड़े. बारिश के पानी को बचाने के लिए भी पहल की जा रही है. फिलहाल 20 से 25 इलाकों में चेक डैम बनाने की योजना है. जिला प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर जंगली इलाकों में जलस्रोत को डेवलप किया जाएगा.

854 वर्ग किलोमीटर में पलामू में जंगल, पाए जाते हैं कई जीव

पलामू में 1854 वर्ग किलोमीटर में जंगल फैला हुआ है. करीब 140776 हेक्टेयर भूमि पर जंगल है. जंगल में करीब 170 प्रकार के पेड़-पौधे हैं. जबकि जंगलों में हिरण, हाथी, बंदर, लंगूर समेत कई प्रकार के वन्य जीव भी मौजूद हैं.

वन्य जीव प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर

इन इलाकों में वन्य जीव प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर. पूरे बरसात जंगल से होकर बहने वाली नदियों में पानी आता है, जबकि गर्मी के मौसम में नदियां सूख जाती हैं. भीषण गर्मी के कारण जंगल से कई वन्य जीव बाहर निकलते हैं और ग्रामीणों का शिकार बन जाते है. 2022 के बाद से एक दर्जन से अधिक हिरण ग्रामीणों का शिकार बने हैं.

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