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सूचना के अधिकार के तहत EOW से ली जा सकती है जानकारी, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का आदेश

Chhattisgarh High Court छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ईओडब्ल्यू भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से जुड़ी जांच करती है इसलिए इस संस्था को आरटीआई से मुक्त नहीं किया जा सकता.

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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 20, 2024, 12:21 PM IST

Updated : Mar 20, 2024, 12:29 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने 7 नवंबर 2006 को एक अधिसूचना जारी कर ईओडब्ल्यू को सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त कर दिया था. इस अधिसूचना के बाद कोई भी ईओडब्ल्यू से सूचना के अधिकार के तहत कोई भी जानकारी नहीं ले सकता था. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ चिरमिरी में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की.

ईओडब्ल्यू को आरटीआई से नहीं किया जा सकता मुक्त: आरटीआई कार्यकर्ता ने 15 नवंबर 2016 को सूचना के अधिकार का एक आवेदन प्रस्तुत कर ईओडब्ल्यू से जानकारी मांगी. संस्था ने इस आधार पर जानकारी देने से इनकार कर दिया कि राज्य सरकार ने उन्हें सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त कर दिया है. इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में सुनवाई के बाद यह जानकारी मिली कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 में उल्लेख है कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से किसी भी संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता. इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार की यह संस्था राज्य में भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों की जांच करती है, इस तरह इस संस्था को सूचना के अधिकार से मुक्त नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने आरटीआई में शामिल करने का दिया आदेश: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि "सामान्य प्रशासन विभाग 7 नवंबर 2006 को जो अधिसूचना जारी कर ईओडब्ल्यू को सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त किया, वह त्रुटि पूर्ण है. भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता, इसलिए इस आदेश के तीन सप्ताह के अंदर सामान्य प्रशासन विभाग अधिसूचना में जरूरी संशोधन करें. ईओडब्ल्यू को सूचना के अधिकार के दायरे में लाए."

कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को निर्देश दिया है कि आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा 15 नवंबर 2016 में प्रस्तुत सूचना के अधिकार का आवेदन का जवाब आज की स्थिति में इस आदेश के चार सप्ताह के अंदर दें.

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ईओडब्ल्यू को आरटीआई से नहीं किया जा सकता मुक्त: आरटीआई कार्यकर्ता ने 15 नवंबर 2016 को सूचना के अधिकार का एक आवेदन प्रस्तुत कर ईओडब्ल्यू से जानकारी मांगी. संस्था ने इस आधार पर जानकारी देने से इनकार कर दिया कि राज्य सरकार ने उन्हें सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त कर दिया है. इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में सुनवाई के बाद यह जानकारी मिली कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 में उल्लेख है कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से किसी भी संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता. इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार की यह संस्था राज्य में भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों की जांच करती है, इस तरह इस संस्था को सूचना के अधिकार से मुक्त नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने आरटीआई में शामिल करने का दिया आदेश: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि "सामान्य प्रशासन विभाग 7 नवंबर 2006 को जो अधिसूचना जारी कर ईओडब्ल्यू को सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त किया, वह त्रुटि पूर्ण है. भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता, इसलिए इस आदेश के तीन सप्ताह के अंदर सामान्य प्रशासन विभाग अधिसूचना में जरूरी संशोधन करें. ईओडब्ल्यू को सूचना के अधिकार के दायरे में लाए."

कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को निर्देश दिया है कि आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा 15 नवंबर 2016 में प्रस्तुत सूचना के अधिकार का आवेदन का जवाब आज की स्थिति में इस आदेश के चार सप्ताह के अंदर दें.

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Last Updated : Mar 20, 2024, 12:29 PM IST
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