इंदौर। इंदौर के मल्हारगंज स्थित अनाथ आश्रम युगपुरुष धाम में 30 जून और जुलाई के शुरुआती दिनों में तबीयत बिगड़ने पर दो बच्चों की मौत का मामला सामने आया. इस दौरान संस्था के 90 से ज्यादा बच्चे फूड प्वाइजनिंग के कारण एमवाय अस्पताल और चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराए गए. इसके बाद से ही लगातार बच्चों की मौतें उजागर हुईं. इस दौरान यह आंकड़ा 6 बच्चों की मौत तक पहुंचा. इस मामले में ईटीवी भारत ने शुरुआती दौर में ही पंचकुइयां मुक्ति धाम में पाए गए प्रमाण के आधार पर 6 से ज्यादा मौतें होने का खुलासा किया था.
ETV भारत की खबर पर प्रशासन ने लगाई मुहर
ईटीवी के खुलासे के बाद उच्च स्तरीय जांच समिति ने 6 से ज्यादा मौत के तथ्यों को नकार दिया था. अब ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगाते हुए जांच समिति के प्रमुख एडीएम गौरव बैनल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि युगपुरुष धाम संस्था में 6 नहीं बल्कि 10 बच्चों की मौत हुई. इन मौत पर पर्दा डाला जा सके, इसलिए संस्था की संचालक अनीता शर्मा समेत संस्था की अध्यक्ष जानवी पवन ठाकुर और सचिव तुलसी शादिजा ने बच्चों का समय पर इलाज नहीं कराया. बच्चों की मौत होने पर उन्हें चुपचाप पंचकुइया मुक्तिधाम में दफना भी दिया, जबकि अन्य को बिना पोस्टमार्टम कराए ही उनके परिजनों को सौंप दिया.
संस्था ने कदम-दर कदम दिखाई लापरवाही
अब जांच रिपोर्ट आने के बाद अध्यक्ष सचिव और युगपुरुषधाम की संचालक अनीता शर्मा को हटाने के आदेश हुए हैं. इस बारे में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने स्पष्ट किया "28 से 30 जून तक लगातार बच्चे उल्टी-दस्त और फूड प्वाइजनिंग से मरते रहे लेकिन संस्था की संचालक अनीता शर्मा और अन्य स्टाफ ने बच्चों के इलाज में गंभीरता नहीं दिखाई. इस मामले में गठित जांच समिति द्वारा जांच में पाया कि संस्था की संचालक ने बच्चों की मौत के बाद उनके परिजनों को बुलाकर डेडबॉडी सौंप दी, जिनके पोस्टमार्टम भी नहीं हो सके."
कलेक्टर की रिपोर्ट को नहीं लिया गंभीरता से
वहीं, जब जिला प्रशासन ने संस्था को नोटिस दिया तो 3 दिन में जवाब देने की बजाय 12 दिन तक कोई जवाब नहीं दिया. बाद में जैसे तैसे जवाब दिया तो बताया गया कि बच्चों की मौत मौसमी बीमारियों के कारण हुई. संस्था लगातार यह दर्शाती रही की इसका संचालन स्वामी परमानंद गिरि का ट्रस्ट करता है लेकिन बाद में पता चला कि स्वामी परमानंद गिरि के ट्रस्ट से इस संस्था का कोई लेना-देना नहीं है.
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कलेक्टर ने राज्य सरकार को भेजी रिपोर्ट
इधर, संस्था के अध्यक्ष और सचिव के सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण भी जिला प्रशासन इस मामले में फूंक-फूंककर कदम रख रहा था. यही वजह है कि रिपोर्ट आने के बाद जिला प्रशासन को अब इस मामले में कठोर कार्रवाई करनी पड़ी. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक "रिपोर्ट राज्य शासन के अलावा अन्य संबंधित विभागों को भेजी जा रही है, जिससे कि इस संस्था के खिलाफ यथासंभव कार्रवाई की जा सके."