इंदौर। पन्ना के एक गांव में रहने वाले मनोज गर्ग के 9 साल के बच्चे की छोटी सी जिंदगी इतनी दुख भरी है कि सुनकर कोई भी द्रवित हो जाए. अपने जन्म के बाद से ही यह मासूम बच्चा होश संभाल पाता, इसके पहले ही उसे सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी के कारण शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता ने घेर लिया. इस मासूम बच्चे को मां का आंचल नसीब हो पता, उसके पहले ही पारिवारिक कारणों से पिता मनोज गर्ग ने मां रश्मि की हत्या कर दी. मां की मृत्यु के बाद पिता जेल चले गए. इसके बाद उसे जैसे तैसे चचेरे भाई विनय दादा और परिवार के अन्य सदस्यों ने संभाला. इस बीच उसकी कई बार तबीयत बिगड़ी तो पिता ने अपने साथ उसे रखने के लिए जेल प्रशासन से अनुरोध भी किया, लेकिन जेल प्रबंधन ने उसकी कमजोर हालत देख उसे पिता के साथ रखने से मना कर दिया.
पन्ना का बालक करीब डेढ़ साल पहले पहुंचा था आश्रम
इसके बाद बाल कल्याण समिति (पन्ना) के जरिए उसे इंदौर के युगपुरुष धाम में भर्ती करने के लिए भेजा गया. 23 जनवरी 2023 को जब अंकित संस्था में भर्ती हुआ था, तब वह शारीरिक रूप से काफी स्वस्थ था लेकिन सालभर में ही संस्था में उसकी ऐसी हालत हो गई कि उसे पहचानना मुश्किल हो गया. इस घटनाक्रम से दुखी अंकित के चचेरे भाई विनय ने बताया "हमारी अंकित से कई माह तक बात नहीं हो पाती थी. संस्था की ओर से बताया गया था कि यहां बात नहीं कराई जाती. आखिरी बार अंकित से कब बात हुई थी यह भी परिवार को याद नहीं है. 2023 में जब उसे संस्था में रखा गया था, तब दो-तीन बाद उसकी खेलते और देखरेख करते चार-पांच वीडियो भेजे गए थे. इसके बाद कोई वीडियो नहीं भेजा."
मासूम के दर्दभरे वीडियो मिले परिजनों को
इस बीच अचानक 30 जून 2023 की दोपहर संस्था ने उनके मोबाइल पर अंकित के दो वीडियो भेजे. एक में वह जमीन पर लेटा है. एक महिला केयरटेकर उसे चम्मच से कुछ खिला रही है, लेकिन वह खा नहीं रहा है. दूसरे वीडियो में अंकित का मुंह खुला है और ऐसा लग रहा है जैसे उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है. विनय का कहना है "संभवतः ये वीडियो 28-29 जून के हैं. लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ी तो मोबाइल से बनाए गए वीडियो उन्हें 30 जून को भेजे गए. इसी दिन रात 12:30 बजे संस्था से उन्हें फोन आया कि अंकित काफी कमजोर है और उसकी हालत खराब होती जा रही है. इसलिए आप इंदौर स्थित संस्था पर जल्दी पहुंचें."
सूचना मिलते ही पन्ना से इंदौर दौड़े परिजन
अंकित के चचेरे भाई समेत पिता मनोज गर्ग दादा आधी रात को ही पन्ना से इंदौर की ओर रवाना हो गए. इस बीच पन्ना से इंदौर आते समय रास्ते में उनके पास संस्था से फिर फोन आया कि उसकी मौत हो गई है. आप जल्दी आ जाएं. इस पर परिवार अवाक रह गया. इस बीच संस्था से कई बार फोन आते रहे कि जल्द आ जाएं. परिजन जैसे-तैसे अगले दिन दोपहर 2:00 बजे परिजन दोपहर को इंदौर पहुंचे युगपुरुष धाम पहुंचकर. जब परिजनों ने संस्था की प्रिंसिपल अनीता शर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा कि वह खाना नहीं खा रहा था. उसे उल्टियां हुई थीं. उसे इंजेक्शन भी लगाया गया था. कमजोर होने के कारण उसकी मौत हो गई.
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पोस्टमार्टम कराए बगैर कर दिया अंतिम संस्कार
विनय का कहना है "संस्था का खुद का हॉस्पिटल होते हुए उसका उपचार नहीं किया गया. उसे समय पर डॉक्टर को दिखाया जाता तो जान बच सकती थी. मृतक अंकित के पोस्टमार्टम के लिए जब अनुरोध किया तो संस्था ने पोस्टमार्टम में काफी सारी खानापूर्ति और देरी होने का हवाला दिया. अंकित का शव देखकर लग रहा था कि उसकी मौत दो-तीन दिन पहले ही हो चुकी थी और औपचारिकता के कारण उन्हें बाद में बुलाया गया. उसका पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया गया. हमसे कागजी प्रक्रिया पूरी करवाकर अंतिम संस्कार करा दिया गया."