इंदौर। देश भर में जिस तेजी से चोरी छुपे और असुरक्षित गर्भपात के मामले सामने आ रहे हैं. उनमें से अधिकांश मामले चौंकाने वाले हैं. इंदौर में ऐसे ही एक मामले में एक महिला के पेट से उसके ही बच्चे की 22 हड्डियां निकली है. जो उसके पेट में करीब 3 साल से मौजूद थी. दरअसल इस महिला ने अपने 6 माह के गर्भ का गर्भपात कराया था, लेकिन पूरी तरीके से गर्भपात नहीं होने के कारण बच्चे के शरीर के अधिकांश भाग मां के गर्भाशय में ही रह गए. जिसे डॉक्टरों ने एक जटिल ऑपरेशन करके निकाला है. इसके बाद पीड़िता अब सुरक्षित है.
महिला के पेट में मिली 22 हड्डियां
शहर के एमटीएच शासकीय अस्पताल में संबंधित महिला मरीज पेट दर्द से परेशान होकर इलाज के लिए लाई गई थी. जहां महिला मरीज की सोनोग्राफी और जांचों के बाद पता चला कि महिला की आंत और गर्भाशय में हड्डियों जैसे अवशेष उलझे हुए हैं. अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुमित्रा यादव ने पीड़ित महिला का ऑपरेशन किया, तो पाया महिला के गर्भाशय में उसके ही द्वारा पूर्व में कराए गए असुरक्षित गर्भपात में से बच्चे के शरीर की एक दो नहीं बल्कि 22 हड्डियां मौजूद हैं. इन हड्डियों में सिर की हड्डी के अलावा हाथ-पैरों की हड्डियां, अंग और पसलियां भी हैं, जो उसके द्वारा पूर्व में कराए गए असुरक्षित गर्भपात का परिणाम थी.
2 सालों से पेट दर्द से परेशान थी महिला
कई घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद संबंधित महिला मरीज के शरीर से 22 हड्डियों के टुकड़े निकाल गए गए. अपनी तरह के चौंकाने वाले मामले को लेकर डॉ यादव ने बताया कि 'संभवत पीड़ित महिला ने अनमेच्योर गर्भपात की मंशा से कोई दवाई खाई होगी. दवाई खाने के बाद भी जब पूरी तरह गर्भपात नहीं हुआ, तो महिला ने किसी अप्रशिक्षित चिकित्सक से गर्भ सफाई कराई होगी. जिसने सफाई के दौरान हड्डियों के अवशेष महिला के गर्भाशय में ही छोड़ दिए. जिसके फलस्वरुप महिला लंबे समय से भीषण दर्द से परेशान थी. उसके शरीर में मौजूद हड्डियां शरीर के अन्य अंगों के साथ जटिल रूप से जुड़कर उलझ गई थी. डॉ सुमित्रा यादव यादव की माने तो समय रहते महिला का उपचार नहीं होता, तो उसकी जान को खतरा बना हुआ था. पीड़िता को असहनीय दर्द बीते करीब 2 वर्षों से हो रहा था. फिलहाल मरीज की स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है.'
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बीते 10 साल में असुरक्षित गर्भपात के 80% मामले
इंदौर स्थित एमटीएच कंपाउंड महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमित्रा यादव के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में सामान्य तौर पर 15 से 20% गर्भ रोकने के लिए महिलाएं एमटीपी (Medical Termination Pregnancy) करती हैं. इनमें भी अधिकांश महिलाएं कॉपर टी लगवाने से बचती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मामले असुरक्षित गर्भपात के सामने आ रहे हैं. जिनकी दर करीब 80 फीसदी है. ऐसे मामले में अधूरे गिरे हुए बच्चे महिलाओं द्वारा असुरक्षित तरीके से गर्भपात की गोली लेने या कहीं भी गर्भपात करने के कारण होते हैं. उन्होंने कहा जरूरी नहीं है कि मेडिकल स्टोर से चोरी छिपे गर्भपात करने के लिए ली जाने वाली दवाइयों से पूरी तरह गर्भपात हो सके. ऐसे मामलों के कारण ही महिलाओं और युवती की जान कई बार खतरे में पड़ जाती है. उन्हें लगता है की गोली लेने के बाद उनका गर्भपात हो गया, लेकिन इसके दुष्परिणाम बाद में अधूरे गिरे हुए बच्चे के रूप में सामने आते हैं. उन्होंने अपील करते हुए कहा अनमेच्योर गर्भपात जैसी स्थिति में बिना किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई नहीं खाए, वहीं प्रशिक्षित चिकित्सक से ही इलाज कराएं.