इंदौर। शहर के जूनी इंदौर स्थित शनि मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी प्रार्थना की जाती है, वह पूर्ण होती है. यह बात न केवल मंदिर से जुड़े आम श्रद्धालु जानते हैं बल्कि देशभर में अलग-अलग जगह गायन और वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियां देने वाले नामचीन कलाकार भी आजमा चुके हैं. यही वजह है कि अब मंदिर से जुड़े कई कलाकार यहां शनि जन्मोत्सव के अवसर पर अपनी प्रस्तुतियां देने पहुंचते हैं. 29 मई को यहां एकल पखवाज वादन पंडित श्री गोस्वामी दिव्यांश महाराज द्वारा किया गया. बांसुरी वादन की प्रस्तुति प्रवीण शर्मा द्वारा दी गई.
4 जून तक कई संगीतकार देंगे प्रस्तुति
30 मई को सितार वादन डॉ. निखिल बडोतिया द्वारा किया गया. वहीं मुंबई की कथक नृत्यांगना मनाली मोहिते और तनीषा मोहिते द्वारा अपनी प्रस्तुति दी गई. 31 मई को एकल तबला वादन दिनेश शुक्ला द्वारा किया जाएगा. वहीं भोपाल के गिटार वादक अमरीश कलेले गिटार वादन करेंगे. 1 जून को राम का गुणगान मोहित अग्रवाल और नितिशा अग्रवाल के सानिध्य में होगा. वही शाम को भजन संध्या प्रसिद्ध भजन गायक मनीष तिवारी की मौजूदगी में होगी. 2 जून को मोहित शाक्य प्रस्तुति देंगे. गायक सुधीर व्यास द्वारा राम संकीर्तन किया जाएगा. 3 जून को पूर्वी निमगांवकर द्वारा शास्त्री गायन की प्रस्तुति होगी. वहीं संतूर और तबले पर सत्येंद्र सोलंकी और रामेंद्र सोलंकी भोपाल के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे. 4 जून को नृत्य, सितार वादन और ख्याल गायन की प्रस्तुति इंदौर के कलाकारों द्वारा दी जाएगी.
स्वयं प्रकट हुई थी शनि देव की प्रतिमा
मंदिर की पुजारी सविता तिवारी बताती हैं "इंदौर के जूनी इंदौर प्राचीन शानी मंदिर में मूर्ति स्वयंभू है, जो यहीं प्रकट हुई थी. कई सालों पहले यहां जन्म से ही दृष्टिहीन गोपाल दास महंत रहते थे, जो मंदिर प्रांगण में मौजूद कुएं पर कपड़े धोते थे. उन्हें एक बार सपना आया कि मैं शनिदेव हूं और यह स्थान मेरा है. इस बात पर महंत ने यकीन नहीं किया हालांकि इसके बाद जब यहां खुदाई करने पर मूर्ति निकली तो मूर्ति को वहीं रख दिया गया लेकिन अगले दिन मूर्ति अपने पूर्व नियत स्थान पर पहुंच गई. इसके बाद गोपाल दास महंत मूर्ति की पूजा करने लगे. इस दौरान उनकी दृष्टि लौट आई और यहां मंदिर स्थापित हो गया, जो आज भी अपने भव्य रूप में मौजूद है."
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80 साल से संगीत समारोह का आयोजन
मंदिर के परम भक्त रजनीकांत तिवारी बताते हैं "शनिवार को सुबह और शाम की आरती में कई श्रद्धालु दशकों से शामिल हो रहे हैं. भगवान शनिदेव को लेकर माना जाता है कि उनकी दृष्टि वक्रीय होती है लेकिन यह धारणा गलत है. यहां 80 साल से संगीत समारोह का आयोजन संगीत समारोह के रूप में होता है, जहां देशभर के बड़े संगीत और वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति देने वाले कलाकार पहुंचते हैं."